बाबा लाएंगे क्रांति, यह भले ही एक वेब सीरीज़ के बहुचर्चित कथन का एक अंश हो पर राजनीतिक पटल पर आज यह शब्द उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर शत-प्रतिशत सटीक बैठ रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार, भारत में किसी सरकार ने अपने शासन में धर्मनिरपेक्षता के सच्चे सिद्धांत का पालन किया है, वह यूपी में योगी सरकार है। ज्ञात हो कि, सीएम योगी ने राज्य में पुरोहित बोर्ड की स्थापना की घोषणा की है। दरअसल, पुरोहित कल्याण बोर्ड साधुओं, संतों, पुजारियों आदि के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित संस्था है। बोर्ड पुजारियों के हितों का ध्यान रखेगा और उसके अनुसार नीतियां बनाएगा, साथ ही उन्हें प्रतिमाह मानदेय भी मिलेगा। सरकार ने सबसे पुरानी भाषाओं में से एक संस्कृत को बढ़ावा देने का भी आदेश दिया है, आधुनिकता के कारण यह क्षय की स्थिति में था। इसके अलावा, संस्कृत के छात्रों को स्कूलों में विशेष छात्रवृत्ति मिलेगी। पर्यटन लाइन पर स्थानों को विकसित करने के लिए मथुरा, गोरखपुर, प्रयागराज और वाराणसी में भजन स्थलों का निर्माण किया जाएगा।
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पूरे वादे होते वादे
चुनाव के दौरान, भाजपा ने विभिन्न अवसरों पर संत समाज के लिए एक समर्पित कल्याण संगठन स्थापित करने और यूपी को धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित करने का वादा किया था। पार्टी ने लखनऊ-अयोध्या राजमार्ग के किनारे एक रामायण सांस्कृतिक केंद्र विकसित करने का वादा किया था। जिसे वो धीरे-धीरे पूर्ण करने की ओर बढ़ती जा रही है। इससे न केवल चुनावी वादों के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ रहा है, जनता और आशन्वित होती जा रही है कि योगी जो वादा करेंगे निस्संदेह उस वादे की पूर्ति होगी।
संस्कृति का उत्थान
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश न केवल आर्थिक विकास में नई ऊंचाईयों को प्राप्त कर रहा है बल्कि भौतिक संरचना के विकास से राज्य की धार्मिक गतिविधियों को संगठित व्यापार के अवसरों से जोड़ा जा रहा है। हाल ही में निर्मित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, निर्माणाधीन अयोध्या राम मंदिर, या दिवाली का सामूहिक उत्सव, सनातन धर्म की हर विरासत को यूपी में फिर से जीवंत किया जा रहा है। भारतवर्ष की हर पहचान को पुनर्जीवित किया जा रहा है और मरती हुई संस्कृति को पुनः प्राप्त करने के लिए एक आधुनिक पटल को विकसित किया जा रहा है। हाल ही में योगी सरकार ने अयोध्या नगर निगम को मंदिर, मठों और अन्य धार्मिक स्थलों से टैक्स नहीं वसूलने का आदेश दिया था। हिन्दू मंदिरों पर से आधुनिक जजिया हटाने की दिशा में यह पहला कदम था।
भारतीय गणतंत्र अपने अद्वितीय धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर विकसित हुआ है। जहां पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता चर्चा को राज्य से अलग करने की बात करती है, वहीं भारतीय धर्मनिरपेक्षता राज्य से संबंधित हर धर्म को समान अधिकार देती है। लेकिन यह भी कटुसत्य है कि अब तक, राज्य एक विशेष धार्मिक समुदाय की सेवा के लिए समर्पित था। हर राज्य के फंड को एक खास धार्मिक समुदाय के प्रचार में लगाया गया। यहां तक कि हिंदू मंदिरों के ‘धर्मनिरपेक्ष’ विषयों की आड़ में इससे वंचित कर दिया गया।
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लेकिन अब योगी आदित्यनाथ की कार्रवाई धर्मनिरपेक्ष शासन मॉडल की आदर्श मिसाल कायम कर रही है। प्रत्येक धार्मिक समुदाय का विकास और संवर्धन राज्य की नीति का मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए। इसके अलावा, संस्कृति का विकास न केवल मरती हुई हिंदू पहचान को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि राज्य के धार्मिक-आर्थिक मॉडल का आधुनिकीकरण भी करेगा।