उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में आने के बाद से राज्य में कानून व्यवस्था पर बहुत काम किया है। हाल की बात करें तो उत्तर प्रदेश के सीएम ने एक नियम पर मुहर लगाई है जिसमें सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों को न केवल तीन महीने में संपत्ति घोषित करने के मौखिक निर्देश दिए हैं बल्कि उन्हें लिखित में पूरी ‘आचार संहिता’ प्रदान की है। इसमें कहा गया है कि मंत्रियों को सोने और चांदी के मुकुट या ऐसे प्रतीकों को स्वीकार नहीं करना चाहिए जो सामंती राजशाही की भावना देते हों। उन्होंने कहा 5000 रुपये से अधिक के उपहार भी स्वीकार नहीं किए जाने चाहिए।
लक्ष्मण रेखा का रखना होगा विशेष ध्यान
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सभी निर्वाचित सदस्यों (मंत्रियों सहित) के लिए सार्वजनिक आचरण के मानक निर्धारित किए गए हैं। इसके अलावा साल 2009 में गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के मंत्रियों के लिए एक आचार संहिता साझा की थी। इसमें मंत्रियों के लिए पुरस्कार, यात्रा, संपत्ति, परिवार के सदस्यों की भूमिका सहित हर पहलू से संबंधित लक्ष्मण रेखा का उल्लेख है। योगी ने सभी मंत्रियों से पहली बार सीएम बनते ही अपनी संपत्ति का ब्योरा देने को कहा था। योगी ने खुद इसका पालन किया लेकिन सभी मंत्री इसका पूरी तरह से पालन नहीं कर सके।
मंत्रियों से कहा गया की वे हर साल 31 मार्च तक अपनी संपत्ति का ब्योरा सीएम कार्यालय को दें। मंत्री या उनके परिवार का कोई भी सदस्य सरकार से लाइसेंस, परमिट, कोटा, लीज पर आधारित कोई भी कार्य नहीं करेगा। अगर मंत्री बनने से पहले यह काम चल रहा है तो सीएम को इसकी पूरी जानकारी देनी होगी। अनुपालन और इन सभी मानकों के उल्लंघन से संबंधित मामलों के लिए, सीएम के मामले में पीएम और मंत्रियों के मामले में सीएम अधिकार होंगे।
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महंगा उपहार राज्य सरकार की संपत्ति माना जाएगा
किसी भी मंत्री को 5,000 रुपये से अधिक का उपहार या प्रतीक चिह्न नहीं मिलना चाहिए। यह महंगा उपहार राज्य सरकार की संपत्ति माना जाएगा। इसे कोषागार में जमा करना होगा।यदि मंत्री महंगा उपहार अपने पास रखना चाहता है तो उसे उपहार के वास्तविक मूल्य से 5000 रुपये काटकर शेष राशि कोषागार में जमा करना होगा।
अधिक पारदर्शिता लाने के प्रयास में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी नौकरशाहों और मंत्रियों से अपनी चल और अचल संपत्ति को सार्वजनिक करने को कहा। योगी का यह बयान मंगलवार को मंत्रिपरिषद की विशेष बैठक में जारी कई निर्देशों में से एक था।
ज्ञात हो कि योगी आदित्यनाथ की छवि बहुत ही ईमानदार व्यक्ति की रही है। योगी का अपराध को लेकर जीरो टॉलेरेंस नीति से सभी वाकिफ है। इसलिए इस फैसले से योगी आदित्यनाथ ने बता दिया है कि कानून के तहत सभी को कार्य करना होगा चाहे आम व्यक्ति हो या नेतागण।
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