भारत में सबसे कार्य कुशल मुख्यमंत्रियों की सूची बनेगी तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समानांतर एक और नाम रहेगा, वह है असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का। पिछले एक वर्ष के कार्यकाल में ही हिमंता ने अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है। बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा कब्जाई हुई जमीनों को छुड़ाने की कार्रवाई हो अथवा ड्रग माफिया के विरुद्ध अभियान चलाना हो, आतंकी स्लीपर सेल और उसके नेक्सस को तोड़ना हो या मदरसों के माध्यम से फैल रहे कट्टरपंथ की रोकथाम करनी हो, हिमंता सरकार सभी मोर्चों पर सक्रिय रुप से कार्य कर रही है।
हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा करते हुए कहा कि अब अगले कुछ वर्षों में असम में AFSPA की आवश्यकता खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा, “लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्र से AFSPA हटा दिया गया है। मुझे विश्वास है कि आने वाले कुछ दिनों और वर्षों में असम पूरी तरह से उग्रवाद मुक्त हो जाएगा और इसलिए AFSPA मुक्त भी हो जाएगा।” यह असम सरकार और सुरक्षा बलों की एक बड़ी उपलब्धि है कि किसी दौर में पूर्वोत्तर में अलगाववाद की सबसे अधिक आवाज जिस क्षेत्र से आती थी, असम उनमें एक था। साथ ही बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण असम के मूल निवासियों में अपनी सांस्कृतिक विरासत को लेकर चिंताएं भी स्वाभाविक रूप से बढ़ चुकी थी। किन्तु हिमंता सरकार ने असम में फैले अलगाववादी और जिहादी तत्वों के पूरे नेक्सस को तोड़ना शुरू किया।
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असम में पुन: आएगा NRC
असम से घुसपैठियों को निकालने के लिए असम सरकार पुनः NRC शुरू करने की योजना बना रही है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बीते दिन कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) एक बार फिर से आयोजित किया जाना चाहिए। इसी बीच हिमंता सरकार जल्दी निष्पक्ष NRC आयोजित कराने के लिए उच्चतम न्यायालय में गुहार लगाने जा रही है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि “हमने पहले भी कहा था कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की समीक्षा की जानी चाहिए और नए सिरे से किया जाना चाहिए। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के साथ हमारी चर्चा चल रही है।”
पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई सरकार असम की समस्याओं को वास्तव में रेखांकित कर रही है। पिछली सरकार में भाजपा ने विकास को अपना एजेंडा बनाकर असम के लोगों का विश्वास जीता और अब असम की प्रमुख समस्याओं पर कार्य हो रहा है। इसका की प्रभाव है कि इस वर्ष असम के अलगाववादी संगठनों ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर बंद का आह्वान नहीं किया। उनके इस कदम की सरकार ने भी प्रशंसा की है। यह दिखाता है कि असम के अलगाववादी तत्वों में भी यह संदेश गया है कि सरकार उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रयासरत है।
हिमंता के नेतृत्व में संवर रहा है असम
असम सरकार प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर भी ध्यान दे रही है, इससे न केवल असम को लाभ मिलेगा बल्कि चीन के विरुद्ध भारत की सामरिक स्थिति मजबूत होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार ने ड्रग माफिया और जिहादियों के नेक्सस को पहचान कर उसके विरुद्ध कार्य शुरू किया है। अप्रैल महीने में 42 करोड़ की ड्रग और फेरो खान तथा इलियास खान नामक दो अपराधी पकड़े गए हैं। अप्रैल में ही एक अन्य मुठभेड़ में एक अपराधी घायल हुए और 20 करोड़ की अफीम बरामद की गई थी।
इसके अलावा सरकार ऐसे विदेशी संगठनों के विरुद्ध भी कार्रवाई शुरू कर चुकी है जो जिहादी मानसिकता को बढ़ावा देते हैं। हिमंता बिस्व सरमा ने मांग उठाई है कि जिहादियों की फंडिंग करने वाले NGO की जांच की जाए। कुछ दिनों पूर्व ही मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “जांच के दौरान हमने पाया कि जिहादियों का अखिल भारतीय नेटवर्क है और यह विदेशी धरती द्वारा समर्थित है।” इसके अतिरिक्त राज्य में मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए कार्य हो रहा है। मदरसे इस्लामिक कट्टरपंथी शिक्षा को फैलाने का सबसे बड़ा माध्यम है, इसलिए हिमंता सरकार मदरसों पर कार्रवाई कर रही है। असम आज कानून व्यवस्था के मामले में एक आदर्श उदाहरण बन गया है और यह सब हिमंता बिस्व सरमा के नेतृत्व के कारण ही संभव हुआ है। यही कारण है कि असम पुलिस को राष्ट्रपति की ओर से प्रेसिडेंट्स कलर अवार्ड मिला है और यह सम्मान पाने वाला असम देश का 10वां राज्य है।
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