2 भाजपा और 5 गैर-भाजपा शासित राज्य राजकोष से करते हैं विधायकों के निजी करों का भुगतान!

जनता के पैसों का इन राज्यों में खूब हो रहा है दुरुपयोग

विधायक टैक्स

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देश में इनकम टैक्स का मुद्दा कई कई बार उठाया जाता रहा है, कई लोग टैक्स न भरने के केस में फंसते हैं तो कई लोग इस बात के लिए चर्चाओं में आ जाता हैं कि उन्होंने भारी इनकम टैक्स भरा है। लेकिन तब क्या हो जब स्थिति ऐसी हो जाए कि आप अपना टैक्स तो भर ही रहे हैं साथ में अपने विधायक और अपने राज्य के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के टैक्स भी भर रहे हों।

जी हां ऐसा ही है, देश में 7 राज्य ऐसे हैं जहां जनता के पैसों से किसी न किसी रूप में मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों का वेतन तो दिया ही जा रहा है बल्कि इस वेतन पर लगने वाला इनकम टैक्स को भी सरकारी ख़ज़ाने से ही चुकाया जा रहा है। ये राज्य हैं- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, बिहार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना। इन सभी राज्यों ने जनप्रतिनिधियों के वेतन-भत्ते से जुड़े कानून में अपने मन के हिसाब से संशोधन कर यह व्यवस्था लागू की है। पहले ऐसे राज्यों की संख्या नौ थी लेकिन साल 2019 में उत्तर प्रदेश और इसी साल 2022 में हिमाचल ने इस नियम पर रोक लगा दी पर अब भी बाकी के सात राज्यों में मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों के व्यक्तिगत वेतन पर लगने वाले टैक्स  को सरकारी ख़ज़ाने से भरा जा रहा है।

सोचिए कि जनता के साथ ये कितना बड़ा अपराधपूर्ण कृत्य है कि पहले तो उनकी कमाई से तरह तरह के टैक्स लिए जाएं। इतने पर भी सरकारी खजाना भर जाए तो राज्य चलाने वाले जिम्मेदारों द्वारा उसका उन पैसों का बंदरबाट करते हुए व्यक्तिगत कमाई पर टैक्स भरने में पैसों को उड़ा दिया जाए। सोचिए कि इससे जनता की जेब पर कितना बड़ी सेंधमारी है।

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दो राज्य जिन्होंने किया कानून में संशोधन

हिमाचल प्रदेश

अप्रैल 2022 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने यह घोषणा की कि हिमाचल के सभी मंत्री और MLA अपना आयकर स्वयं चुकाएंगे। यह घोषणा तब हुई जब कैबिनेट ने मंत्रियों के वेतन और भत्ते (हिमाचल प्रदेश) अधिनियम, 2000 की धारा 12 [section 12 of the Salaries and Allowances of Ministers (Himachal Pradesh) Act] और हिमाचल प्रदेश विधान सभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) अधिनियम, 1971 की धारा 11-ए [section 11-A of the Himachal Pradesh Legislative Assembly (Allowances and Pension of Members) Act, 1971] को हटाने के लिए एक अध्यादेश लाने का फैसला किया। जो मंत्रियों और विधायकों को उनके वेतन और भत्तों पर आयकर से छूट देता है।

बातचीत के दौरान संसदीय मामलों के मंत्री सुरेश भारद्वाज ने बताया, “हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए अधिनियम में संशोधन करने के लिए एक अध्यादेश लाने का फैसला किया है कि सरकार द्वारा विधायकों के आयकर का भुगतान नहीं किया जाता है। इससे प्रति विधायक 2.5 लाख की बचत होगी। ”

राज्य सरकार को मंत्रियों और विधायकों के आयकर का भुगतान करने से रोकने की मांग वाली याचिका पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार को जारी नोटिस के बाद यह फैसला लिया गया।

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राजनीतिक विश्लेषक और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख, हरीश ठाकुर ने बताया, “आयकर केंद्र सरकार के लिए सबसे बड़ा राजस्व स्रोत है। सरकार का निर्णय लोगों के अनुकूल है और इससे विधायकों को करदाताओं की मुश्किलें समझने में मदद मिलेगी।

उत्तर प्रदेश

24 सितंबर, 2019 को, उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश के मंत्री (वेतन, भत्ते और विविध प्रावधान) अधिनियम, 1981 में एक संशोधन को मंजूरी दी थी, जिसमें एक प्रावधान था कि राज्य के खजाने द्वारा मंत्रियों के वेतन और भत्तों पर करों का भुगतान करने की आवश्यकता थी।

वहीं ओडिशा की बात करें तो वहां मंत्री, विधायक और पूर्व विधायक भी स्वयं ही टैक्स चुकाते हैं।

वो राज्य जो विधायक के टैक्स पर खर्च कर रहे हैं जनता पैसा

हरियाणा:  CM, मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का इनकम टैक्स सरकार देती है। विधायकों के सिर्फ भत्तों पर इनकम टैक्स सरकार देती है।

पंजाब:  यहां 117 विधायक हैं। इनके इनकम टैक्स पर सरकार सालाना 11.08 करोड़ खर्च करती है।

झारखंड: इस राज्य में भी विधायकों के आयकर का भुगतान सरकारी खजाने से हो रहा है। यहां 2015 से विधायकों के वेतन पर इनकम टैक्स सरकार भर रही है। जिससे सालाना लगभग 5 करोड़ रुपये खर्च करती है।

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश: इन राज्यों के वेतन और पेंशन के भुगतान और अयोग्यता अधिनियम, 1953 की धारा 3 के खंड (4) में कहा गया है कि सरकार को मुख्यमंत्री, मंत्रियों और प्रमुख की आय पर करों का भुगतान करना होगा।

मध्य प्रदेश: CM-मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से जाता है। विधायकों का मूल वेतन 30 हजार है, यानी वे इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आते।

छत्तीसगढ़: सभी विधायकों का इनकम टैक्स राज्य सरकार भरती है। वर्ष 2000 से ही यह व्यवस्था लागू है।

ये कितनी बेतुकी बात है कि कमाई आपकी अपनी है लेकिन आपकी उसी ‘अपनी कमाई’ टैक्स कोई और भर रहा है। जितना पैसा राज्य सरकारें अपने मंत्रियों और विधायकों के आयकर भरने में चुकाती हैं अगर उस पैसे को राज्य के विकास के लिए काम में लाया जाये तो हर राज्य तेजी से विकास की ओर अग्रसर होगा।

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