जो छल करे वो चीन, जो किसी का सगा नहीं वो चीन, जो शेर की खाल में भेड़िया हो वो चीन। हम चीन को लेकर ऐसा क्यों कह रहे हैं भला? दरअसल, चीन दुनिया का एक ऐसा शैतान देश है जो हर मोर्चे पर अशान्त्ति चाहता है। कम से कम उसकी हरकतों से तो ऐसा ही लगता है। भारत के संदर्भ में बात करें तो चीन हमेशा से भारत के विरुद्ध षड़यंत्र करता रहता है चाहे वो सीमा संबंधी मुद्दा हो या फिर कोई और अंतरराष्ट्रीय मुद्दा हो। चीन और भारत के बीच द्वंद्व कोई नया नहीं है। 1962 में भारत के विरुद्ध किया गया छल सबको याद है जब भारत के हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे को चीन ने अपनी गद्दारी से हमेशा के लिए धूमिल कर दिया। आज हम फिर से चीन को लेकर इतनी भर्त्सना इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आज गलवान में भारत-चीन के बीच हुए खुनी संघर्ष को दो वर्ष हो गए है।
विभिन्न बिंदुओं पर गतिरोध आज भी जारी है
मई 2020 में शुरू हुआ चीन-भारत सीमा गतिरोध हिमालय में लद्दाख के पहाड़ी इलाके में विभिन्न बिंदुओं पर गतिरोध आज भी जारी है। जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एक घातक संघर्ष हुआ जो चार दशकों में सबसे भीषण लड़ाई हुई थी जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्ष हताहत हुए थे ।
गलवान घाटी की बात तब और बढ़ गई थी जब वहां के चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हथियारों से हमला कर दिया था। इस दौरान भारतीय जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। अनसुलझे सीमा विवाद पर अप्रैल 2020 तक यथास्थिति बहाल करने के लिए अब तक भारतीय और चीनी वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच कम से कम 15 दौर की बैठकें हो चुकी हैं।
जून 2020 में भारत के साथ गालवान घाटी संघर्ष में चीन द्वारा अपने नुकसान को छिपाने के बारे एक चौंकाने वाले रहस्योद्घाटन में नये शोध से पता चला है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में चार की आधिकारिक गणना की तुलना में कम से कम नौ गुना अधिक सैनिकों की मौत हुई थी। भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों की लाशे बिछा दी थी। हालांकि चीन हमेशा से वैश्विक शर्म के कारण अपने सैनिकों के मौत के आंकड़ों के बारे में लोगों से छिपाता रहा है।
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चीनी सैनिकों की यह बुरी हालत तब हुई थी जब चीनी सैनिकों ने धोखे से भारतीय सीमा पर हमला किया था इसके बाद 16 बिहार इन्फैंट्री बटालियन के स्वर्गीय कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में चीनी सैनिकों में जबरदस्त भिड़ंत हुई थी। इस प्रकार बिहार की 16 इन्फैंट्री बटालियन की टुकड़ियों ने चीनियों पर जोरदार हमला किया। इस झड़प में दोनों तरफ से चोटें आईं, लेकिन इसमें भारतीय पक्ष जीत गया और इसमें कई चीनी ऑब्जर्वेशन पोस्ट जलकर राख हो गया। हालांकि, पीएलए ने पहले ही कर्नल संतोष बाबू पर हमला करके भारतीय सेना के क्रोध को आमंत्रित कर लिया था, जिनकी एक पत्थर से चोट लगने से मौत हो गई थी। रिपोर्टों से पता चलता है कि भारतीय सैनिकों ने गुस्से में प्रवेश किया जहां भारतीय सैनिकों ने पीएलए सैनिकों को कुत्ते की तरह मारना शुरू कर दिया, जबकि अन्य भारतीय सैनिकों ने ग़दर के तारा सिंह की तरह पीएलए सैनिकों की गर्दन काट कर फेंक दिया।
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भारत ने चीन को कई आर्थिक चोट पहुंचाए हैं
गलवान की इस क्रूर घटना के बाद से भारत ने चीन को कई आर्थिक चोट पहुंचाया है। भारत ने चीन के कई एप्लीकेशन को बैन कर चीन को उसकी हैसियत बता दी। चीन बार-बार भारत से यह गुहार लगाता रहा चीन के दो कौड़ी के एप्लीकेशन को भारत बैन ना करे पर भारत तो भारत ठहरा। भारत की मोदी सरकार ने हर मोर्चे पर चीन की कह के ले ली है। आखिर चीन गलवान को लेकर हमेशा से उग्र क्यों रहा है? दरअसल गलवान घाटी भारत के लिए बड़े सामरिक महत्व का बिंदु है। चीन इस क्षेत्र को नियंत्रित करना चाहता है क्योंकि उसे डर है कि भारत गलवान नदी घाटी का उपयोग करके अक्साई चिन में चीन स्थिति को खतरे में डाल सकता है।
अब तक 15 दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है लेकिन भारत बीच का रास्ता अपनाने की जल्दी में नहीं है। यह भारत सरकार को सीमावर्ती क्षेत्रों में एक घातक गति से बुनियादी ढांचे को विकसित करने का समय दे रहा है- कुछ ऐसा जिसे पिछली सरकारों ने पूरी तरह से अनदेखा कर दिया था।
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चीन सलामी स्लाइसिंग की रणनीति पर चलकर धीरे-धीरे भारत में प्रवेश करना चाहता था पर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ रहे भारतीय सैनिकों ने पीएलए के सिपाहियों के विपरीत जल्दी ही चीन को उसकी जगह दिखा दी। आज के परिदृश्य में शी जिनपिंग प्रशासन सीमा के मोर्चे पर खामोश है और चीन भी यह समझ चुका है कि ये मोदी का नया भारत है इसके साथ पंगा लेना यानी खुद का नुकसान कराना। पूर्व की भारतीय सरकारें विशेष रूप से जो कांग्रेस के अधीन थीं केवल लंबी-चौड़ी डोजियर लिखती थीं और अपराधियों के सामने झुक जाया करती थीं। हालांकि, मोदी सरकार की ताकत और भारतीय सेना को दी गई खुली छूट ने पीएलए सैनिकों को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सैन्य स्तर की बातचीत में शामिल होने के लिए प्रेरित किया है। आज मोदी सरकार की नीतियां ही हैं जिसके कारण चीन भीगी बिल्ली बना हुआ है और आज के परिदृश्य में भारत हर मोर्चे पर चीन को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग कर चूका है जिससे चीन सहम गया है।