स्वावलंबन शक्ति, सामर्थ्य और साहस की जननी है। यह आपके अंदर आत्मविश्वास, आत्मस्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की अलौकिक लौ प्रज्वलित करती है। पूर्ण स्वावलंबी राष्ट्र ही वास्तविक अर्थ में अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता को संरक्षित रख सकता है। राष्ट्र को स्वावलंबी बनाने में मोदी सरकार की नीति और निर्णय अप्रत्याशित रूप से उल्लेखनीय हैं। मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल इंडिया आदि नीतियां इसी सर्वोच्च राष्ट्रिय हित की प्राप्ति हेतु प्रयत्नों की उत्कृष्टतम अभिव्यक्ति है। इस अभिव्यक्ति का सबसे स्पष्ट प्रतिबिंबन आपको राष्ट्रीय शक्ति के संसाधन अर्थात सेना में देखने को मिलेगा जिसकी लौ मोदी सरकार ने जगायी और जिसका प्रतिफल पूरा राष्ट्र चख रहा है। देश का कोई भी जागरुक नागरिक इस बात से अनभिज्ञ नहीं होगा कि नरेंद्र मोदी ने भारत के घरेलू रक्षा उद्योग के निर्माण पर विशेष जोर दिया है।
इस लेख में 24 महीनों में भारत द्वारा निर्मित और खरीदे गए हथियारों की एक व्यापक सूची रखी गयी है ताकि पाठक जान सकें कि रक्षा क्षेत्र में भारत पहले से कहीं अधिक सशक्त हो पाया है और पहले से कहीं अधिक देश की सेना नवीनीकरण की तरफ आगे की ओर बढ़ी है।
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आंकड़े क्या बताते हैं?
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के अनुसार, भारत पिछले चार दशकों में दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक बन चुका है। पिछली सरकारों ने सैन्य निर्भरता की इस समस्या को स्वीकार किया है लेकिन उनके नीतिगत उपाय अप्रभावी साबित हुए हैं।
“आत्मनिर्भर भारत” पहल के तहत मोदी सरकार ने सार्वजनिक तरीके से रक्षा उत्पादन को प्राथमिकता दी है। श्रमिक संघों के विरोध के बावजूद सरकार ने आयुध कारखानों का निगमीकरण किया। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भारत के क्षेत्र में भाग लेने के लिए विदेशी फर्मों को प्रोत्साहित करने के साथ साथ राज्य स्वामित्व और निजी क्षेत्र के रक्षा उद्यमों के बीच संतुलन स्थापित किया। शायद, सेना और निजी रक्षा उद्योग के एकीकृत हो कार्य करने के इसी “मानसिकता परिवर्तन” ने भारतीय सेना के आत्मनिर्भरता की नींव रखी वरना इससे पहले सैन्य आयात, आरोप-प्रत्यारोप, अविश्वास, भ्रष्टाचार और दलाली का दौर चलता था। पर, सरकार की नीतिगत प्रेरणा के कारण, एक गणना के अनुसार, 2016 से 2019 तक भारत का सैन्य निर्यात 700 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है।
इस लेख में हम आपको सरकार के सैन्य आत्मनिर्भरता की नीति से अवगत कराते हुए भारत के उन ब्रह्मास्त्रों से परिचित करवाएंगे जो इस नीति के फलस्वरूप प्राप्त हुए हैं जो ना सिर्फ भारतीय सेना को अपराजेय बनाती हैं बल्कि इसकी व्यापारिक संभावनाएं राष्ट्र के लिए सामानांतर अर्थव्यवस्था और कूटनीति की आधारशिला भी रखती है।
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रक्षा खरीद प्रक्रिया में स्वदेशी निर्माण के पीछे स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ावा देने और इसका व्यापारिक तथा कूटनीतिक निहितार्थ तलाशना ही इस नीति का मुख्य उद्देश्य है। इसकी दो उप-श्रेणियां हैं:
- ‘मेक-I’ जो सरकार द्वारा वित्त पोषित है। इन परियोजनाओं में 90% की सरकारी निधि शामिल होगी, जो चरणबद्ध तरीके से जारी की जाएगी। यह योजना की प्रगति तथा रक्षा मंत्रालय और सरकार के बीच सहमत शर्तों के अनुसार वेंडर को जारी होगी।
- ‘मेक-II’ जो उद्योग द्वारा वित्त पोषित होंगी। इसमें आयात प्रतिस्थापन और नवीन समाधानों के लिए उपकरण/प्रणाली/प्लेटफॉर्म के प्रोटोटाइप का विकास शामिल होगा, जिसे सरकारी वित्त पोषण प्रदान नहीं किया जाएगा।
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अब इसी “मेक इन इंडिया” के तहत विगत दो वर्षों में भारतीय सेना द्वारा निर्मित हथियारों का अवलोकन करते हैं।
- थल सेना- सेवा परमो धर्म और राष्ट्र सर्वप्रथम का शाश्वत सिद्धांत लेकर चलने वाली भारतीय सेना दशकों से आधुनिकीकरण और हथियारों के आभाव से जूझ रही थी। दोनों मोर्चों पर शत्रुओं से घिरे होने होने के बावजूद सेना का एकमात्र शक्ति स्रोत उसका शौर्य बना रहा जिसके प्रतिकूल प्रभाव हमें 1962, 1971 और 1999 में मुख्य रूप से देखने को मिला। पर, नमो सरकार के सैन्य आधुनिकीकरण, स्वदेशीकरण और स्वावलंबन ने पूरे समीकरण को ही बदलकर रख दिया और भारत को इस प्रक्रिया के तहत मिले निम्न हथियार।
- अर्जुन टैंक- रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा डिजाइन और विकसित स्वदेशी मुख्य युद्धक टैंक (MBT) अर्जुन Mk-1A सशस्त्र बलों की वर्तमान और भविष्य की आवश्यकता के अनुकूल बनाया गया है। एमबीटी अर्जुन एमके-1ए को एमबीटी अर्जुन एमके-1 की तुलना में 71 अपग्रेड के साथ शामिल किया गया है, जिसमें बेहतर अग्नि शक्ति, उच्च गतिशीलता और उत्कृष्ट सुरक्षा विशेषता है।
- S-400- इस प्रणाली को अक्टूबर 2018 में रूस से 5 बिलियन डॉलर में खरीदा गया था। यह विश्व का सबसे उन्नत मिसाइल सिस्टम है जो अन्य रक्षा प्रणालियों जैसे SA-12, SA-23 और S-300 के साथ डेटा का आदान-प्रदान भी कर सकता है। S-400 का रडार 600 किमी की दूरी के भीतर विमान, रोटरक्राफ्ट, क्रूज मिसाइल, निर्देशित मिसाइल, ड्रोन और बैलिस्टिक रॉकेट का पता लगा सकता है और उन्हें ट्रैक कर सकता है। प्रणाली 100 हवाई लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है और उनमें से छह को एक साथ निशाना बना सकती है।
- Apache हेलीकॉप्टर:-
Boeing द्वारा निर्मित ये हेलिकाप्टर अमेरिका के साथ की गई एक मल्टी बिलियन डॉलर डील का हिस्सा था, जिसे वायुसेना के पठानकोट एयरबेस में 2019 में सम्मिलित किया गया। ये हेलीकाप्टर हर स्थिति में, हर संकट से निपटने में सक्षम हेलीकाप्टर है, जो वायुसेना के लिए विकट परिस्थितियों में संकटमोचक का कार्य करेगी। इसके अतिरिक्त युद्धभूमि से डेटा अप लिंकिंग और नेटवर्किंग के जरिए आवश्यक फोटो को भी ट्रांसमिट करने में सक्षम करने है। इसमें एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल्स भी हैं, एयर टू एयर मिसाइल्स और रॉकेट चलाने की भी क्षमता, यानि इसका उद्देश्य स्पष्ट है – मारिए और भूल जाइए। इसके अतिरिक्त Boeing और TATA के संयुक्त नेतृत्व में इसका भारत में निर्माण अपने आप में मेक इन इंडिया की सफलता का परिचायक है।
- लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’ –
इस महत्वपूर्ण डील ने भारतीय रक्षा उद्योग का चेहरा बदलकर रख दिया है। फरवरी 2021 में रक्षा मंत्रालय ने HAL के साथ 48000 करोड़ के अनुबंध पर हस्ताक्षर करते हुए 83 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’ वायुसेना को सौंपने और 10 मार्क 1 ट्रेनर 1 एयरक्राफ्ट 45696 करोड़ की कीमत पर सौंपने को कहा था, जिसमें डिजाइन और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की कीमत कुल 1202 करोड़ है। तेजस के नए रूप में काफी कुछ देखने को मिलेगा, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्ट।
- Electronically Scanning Array (AESA) radar, Beyond Visual Range (BVR) missiles and network warfare system और यहां तक कि Software Defined Radio (SDR) भी उपलब्ध है। अनुबंध के अनुसार HAL को इनमें प्रथम तीन मार्क 1 ए एयरक्राफ्ट IAF को 2024 तक उपलब्ध कराने हैं, जिसके अतिरिक्त उन्हे अगले 5 वर्ष तक 16 एयरक्राफ्ट उपलब्ध कराने पड़ेंगे।
- सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम ‘आकाश’ –
ये भारत का प्रथम स्वदेशी निर्मित मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जो कई निशानों को कई दिशाओं से झेलने और निपटने में सक्षम है, और उसे टैंकों से या फिर ट्रकों से, कहीं से भी लॉन्च किया जा सकता है। इसकी मारक क्षमता भी बहुत घातक है, लगभग 90 प्रतिशत।
वर्तमान आकाश सिस्टम के मुकाबले इसमें स्वदेशी एक्टिव रेडियो फ्रीक्वन्सी को इन्क्लूड किया गया है, जो इसकी मारक क्षमता को अधिक सटीक बनाता है, ताकि वह निशाने से चूके नहीं। इसका रेडार ‘राजेन्द्र’ भी पूर्णतया स्वदेशी है।
परंतु यह शक्ति प्रदर्शन यहीं नहीं समाप्त होता। भारतीय सैन्यबालों ने इन शस्त्रों के अधिग्रहण पर अपना पूरा ध्यान दिया है, और इस बात को सुनिश्चित किया है कि अधिकतम शस्त्र या तो पूर्णतया स्वदेशी हों, या उनमें भारतीय निवेश अधिक से अधिक हो। उदाहरण के लिए 155mm आर्टिलरी गन सिस्टम ‘धनुष’, मेन बैटल टैंक ‘अर्जुन’, T-90 टैंक, T-72 टैंक, BMP-II/IIK सहित कई महत्वपूर्ण उत्पाद , Su-30 MK1, चीता हेलीकॉप्टर, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर, डोर्नियर Do-228, हाई मोबिलिटी ट्रक, INS कलवरी, INS खंडेरी, INS चेन्नई, एंटी-सबमरीन वारफेयर कार्वेट (ASWC), अर्जुन आर्मर्ड रिपेयर एंड रिकवरी व्हीकल, ब्रिज बिछाने वाला टैंक , 155mm गोला बारूद के लिए द्वि-मॉड्यूलर चार्ज सिस्टम (BMCS), मध्यम बुलेट प्रूफ वाहन (MBPV), वेपन लोकेटिंग रडार (WLR), इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS), सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (SDR), पायलटलेस टारगेट के लिए लक्ष्य पैराशूट पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में विमान, युद्धक टैंकों के लिए ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक साइट, वाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट, इनशोर पेट्रोल वेसल, ऑफशोर पेट्रोल वेसल, फास्ट इंटरसेप्टर बोट, लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी, 25 टी टग्स आदि का उत्पादन किया गया है। भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग किया जा रहा है। भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग किया जा रहा है।
शक्ति का सौन्दर्य सबसे श्रेष्ठकर होता है। कुछ लोगों के लिए ये बहुत हानिकारक होता है, और ‘आर्म्स रेस’ के नाम पर इसका नकारात्मक चित्रण करके हमें अपने लिए अधिक शस्त्र जुटाने से सदैव ही निरुत्साहित किया गया था। परंतु अब और नहीं, अब नया भारत अपनी आत्मरक्षा के लिए किसी के समक्ष नहीं झुकेगा, और आवश्यकता पड़ने पर स्वयं भी शस्त्र निर्मित करेगा।