कर्नाटक में दिशाहीन कांग्रेस आर्य-द्रविड़ बयानबाजी का सहारा ले रही है

CM बसवराज बोम्मई ने किया पलटवार !

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Source- TFIPOST.in

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और सियासत इन दिनों काफी गरमा रही है. इसके साथ ही सभी पार्टी चुनाव मोड में है और कोशिश कर रही है किसी भी तरह मतदाताओं को प्रभावित कर और चुनाव जितना चाह रही है. इसकी शुरुआत हुई जब एक सुबह कांग्रेस पार्टी के सिद्दारमैया ने आरएसएस और बीजेपी पर एक के बाद एक बारह ट्वीट किये, और फिर कर्नाटक के बीजेपी पार्टी के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी इसमें प्रतिक्रिया देने में ज़्यादा देर नहीं लगाई.

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क्या था मामला?

28 मई को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने विपक्ष के नेता सिद्धारमैया से कहा की वे स्पष्ट करें की वह ‘आर्यन हैं या द्रविड़’. पिछले कुछ समय से सिद्धारमैया आरएसएस पर कटाक्ष करते जा रहे हैं और उसी के पलटवार में कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने उनसे पुछा की पहले वे बताएं की वे कहा से आये हैं. और क्या वह द्रविड़ हैं या आर्यन. सिद्धारमैया ने पिछले दिनों बीजेपी पर प्रहार करते हुए पूछा था की “क्या आरएसएस भारतीय है?  आरएसएस मूल भारतीयों का संगठन नहीं है और द्रविड़ इस देश के असली मूल निवासी हैं।. मुगलों ने जो 600 वर्षों तक भारत पर राज किया उसके लिए कौन दोषी है? अगर भारत एकजुट होता तो क्या उनके लिए भारत पर शाशन करना संभव होता?”

श्री बोम्मई ने शनिवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा, “विपक्ष के नेता सिद्धारमैया को पहले यह घोषित करने दें कि वह द्रविड़ हैं या आर्य।” बाद में इसका जवाब देते हुए, श्री सिद्धारमैया ने कहा, “बेशक, मैं एक द्रविड़ियन हूं, इस भूमि का मूल निवासी हूं।” उन्होंने आगे कहा कि आर्यों का मध्य एशिया से भारत में प्रवासी होना इतिहास का एक तथ्य था जिसे विवादित नहीं किया जा सकता है।

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सिद्धारमैया का आरएसएस से सवाल

शनिवार को 12 ट्वीट्स की एक श्रृंखला में आरएसएस पर अपने हमले को जारी रखते हुए, श्री सिद्धारमैया ने जानना चाहा कि आरएसएस, जो “हिंदू धर्म के एकमात्र रक्षक की तरह बात करता है” केवल एक राजनीतिक दल का समर्थन करता है, वह है भाजपा। “क्या केवल बीजेपी में हिंदू हैं?”

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि संगठनों में दलितों और पिछड़े वर्गों की स्थिति क्या है और “आरएसएस के अनुसार हिंदू” होने की योग्यता क्या है और क्या इसमें सामाजिक न्याय के सिद्धांतों में विश्वास शामिल नहीं है। उन्होंने आरएसएस को “रिमोट कंट्रोल राजनीति” से दूर रहने और सीधे चुनावी मैदान में उतरने की चुनौती दी।

मोदी की तुलना नेहरू से नहीं कर सकते

भारत के पहले प्रधानमंत्री रह चुके जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम में बोलते हुए सिद्धारमैया ने कहा था, मोदी और नेहरू की तुलना नहीं की जा सकती है, और ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “नेहरू कहां हैं, मोदी कहां हैं। यह जमीन और आसमान की तुलना करने जैसा है, इसकी कोई तुलना नहीं है। उन्होंने (मोदी) नेहरू के सभी अच्छे कामों को, जैसे पंचवर्षीय योजनाओं को, दूसरों के बीच, पूर्ववत कर दिया है,” उन्होंने कहा, सिद्धारमैया की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए, बोम्मई ने शनिवार को कहा, “हाँ, यह सच है. ऐसी तुलना नहीं हो सकती है क्योंकि नेहरू के समय में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया (1962 में), नेहरू ने उचित उपाय किए बिना, सीमावर्ती क्षेत्रों को (चीन को) दे दिया, जबकि नरेंद्र मोदी मजबूत खड़े रहे और हमारे सीमा क्षेत्रों को बचाया।”

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इसके आगे बोम्मई ने संवाददाताओं से कहा, “इसके अलावा, उन्होंने (मोदी) पाकिस्तान के साथ कोई समझौता नहीं किया है। उन्होंने भारत की एकता और अखंडता के लिए काम किया है, ऐसे कई उदाहरण हैं। मोदी ने भारत को मजबूत बनाया, इसलिए नेहरू और मोदी में कोई तुलना नहीं हो सकती।”

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