अब्दुल करीम तेलगी हर्षद मेहता जितने बड़े नाम नहीं थे, परंतु इनका ‘स्कैम 2003’ कोई कम भयानक नहीं था

सबसे बड़ा घोटालेबाज अब्दुल करीम तेलगी !

“हर्षद के धंधे की धार पर भरोसा रख, अच्छे अच्छों की कट जाती है इसके सामने”

ऐसे संवादों से परिपूर्ण ‘स्कैम 1992’ ने OTT जगत को हिलाकर रख दिया गया था, जब इसने 2020 में कदम रखा था। सोनी लिव पर प्रसारित इस वेब सीरीज़ ने स्टॉक ब्रोकर एवं घोटालों में संलिप्त हर्षद मेहता के जीवन को इतने सटीक तरह से चित्रित किया कि जिसे वित्त यानि फाइनेंस का एफ भी न पता हो, वो भी शेयर मार्केट में हाथ आजमाने की सोचने लगे। अब इसकी भारी सफलता के पश्चात इस सीरीज़ के निर्माताओं ने कुछ ही दिनों पूर्व घोषणा की है कि इस सीरीज़ का दूसरा संस्करण जल्द ही लोगों के समक्ष प्रस्तुत होगा, जिसके लिए प्रमुख अभिनेता का भी चयन हो चुका है।

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निर्देशक हँसल मेहता के ट्वीट के अनुसार, “तेलगी मिल चुका है। पेश हैं प्रतिभावान गगन देव रियार अब्दुल तेलगी के रूप में” –

अब्दुल करीम तेलगी कौन थे?

अब्दुल करीम तेलगी इतना बड़ा घोटालेबाज था कि उस पर ‘स्कैम 2003’ नाम की सीरीज भी आने वाली है जो कि  ‘स्कैम 1992’ सीरीज़ का दूसरा संस्करण होगा। ऐसे में पहले तो हमे यही जानना होगा कि यह अब्दुल करीम तेलगी कौन था। स्टाम्प घोटाले के बारे में तो कभी न कभी पढ़ा होगा आपने या इस बारे में सुना होगा। अब्दुल करीम तेलगी उसी का मास्टरमाइन्ड था। किसे पता था कि बेलगाउम से निकला एक युवक जो कभी ट्रेनों पर फल और सब्जियां बेचा करता था आगे चलकर नकली स्टाम्प पेपर बेच बेचकर विभिन्न सरकारों को लगभग 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाएगा। अब्दुल करीम तेलगी यही व्यक्ति था। 29 जुलाई 1961 को खानापुर, बेलगाउम में एक रेलवे कर्मचारी के यहां जन्मा तेलगी प्रारंभ से कई संकटों से जूझते हुए सऊदी अरब पहुंचा, जहां थोड़े पैसे कमाए और फिर भारत आकर स्टैम्प पेपर उद्योग के अवैध धंधे में अपना हाथ आजमाने का निर्णय किया।

इसका 16 राज्यों में व्यापार फैला हुआ था, तेलगी केवल धनाढ्य ही नहीं अपितु व्यभिचारी भी था। कहते हैं कि कि मुंबई की चर्चित बार गर्ल तरन्नुम खान तेलगी की ‘खास’ थी, जिस पर तेलगी ने एक रात में 93 लाख रुपये उड़ा दिए थे। फर्जी स्टैंप छापने के लिए तेलगी ने नासिक की सरकारी टकसाल से पुरानी और खारिज हो चुकी मशीन भी नीलामी में खरीदी। इनसे स्टांप पेपर पर आसानी से सुरक्षा चिन्ह यानी सिक्योरिटी मार्क्स छप जाते थे।

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घोटाला 2003: द तेलगी स्टोरी

परंतु इनके काले धंधों की भनक एक पत्रकार संजय सिंह को लगी। रिपोर्टर की डायरी’ के नाम से इन्होंने अपनी पुस्तक में बताया कि इन रिपोर्टों के लिए उन्हें एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा, क्योंकि तेलगी की पहुँच देश के विभिन्न राजनैतिक क्षेत्रों तक थी। जब छगन भुजबल जैसे नेताओं का नाम तक इस मामले में सामने आ सकता है, तो आप समझ सकते हैं कि इस घोटाले की जड़ें कितनी गहरी थी। परंतु आखिरकार तेलगी को 2001 में हिरासत में लिया गया। 1992 से 2002 के बीच तेलगी पर अकेले महाराष्ट्र में 12 मामले दर्ज किए गए। 15 और मामले देश के अन्य राज्यों में दर्ज किए गए। मगर उसकी सरकार, अधिकारियों और सिस्टम में ऐसी पैठ थी कि उसका धंधा चलता रहा। 2001 में जाकर कहीं उसकी गिरफ्तारी हो सकी पूछताछ में उसने कई पुलिस अधिकारी और नेताओं के नाम लिए थे। भ्रष्टाचार की हद तो ऐसी थी, कि उदाहरण के लिए एक आरोपित असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर दिलीप कामथ का नाम जब सामने आया, तो मात्र 9000 रुपये सैलरी वाले इस शख्स की प्रॉपर्टी करीब 100 करोड़ रुपये की पाई गई थी।

स्टांप पेपर घोटाले में अब्दुल करीम तेलगी को साल 2006 में 30 साल की कठिन कारावास की सजा सुनाई गई और 202 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया। इसके अलावा इस घोटाले में शामिल अब्दुल करीम तेलगी के सभी साथियों को 6-6 साल की सजा सुनाई गई। 2018 में दिमागी रोग मेनिन्जाइटिस एवं अन्य बीमारियों के कारण तेलगी की 56 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। वह हर्षद मेहता जितना बड़ा नाम नहीं बन पाया था, परंतु उसके कर्मकांड भी कम नहीं थे।

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