अडानी और अंबानी के बीच का ‘अधिग्रहण-युद्ध’ कहां तक जाएगा ?

भारत के दोनों अरबपतियों का 'युद्ध' अब महत्वपूर्ण मोड़ पर है!

हिंदुस्तान के 2 अरबपति. मुकेश अंबानी और गौतम अडानी. दोनों दुनिया के सबसे बड़े अमीरों की सूची में शामिल होते हैं. दोनों भारतीय अर्थव्यवस्था के स्तंभ भी कहे जा सकते हैं. आज हम आपको बताते हैं कि कैसे दोनों अरबपतियों के बीच अधिग्रहण करने की रेस हो रही है.

दुनिया के छठे सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी ने इस वर्ष 30 अरब डॉलर से ज्यादा दौलत अपनी संपत्ति में जोड़ी है. अडानी के पास कुल 106 अरब डॉलर की संपत्ति है जोकि टेस्ला के सह-संस्थापक एलन मस्क की कुल संपत्ति से करीब आधी है, लेकिन मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति से 10 अरब डॉलर ज्यादा है.

2020 की कोविड महामारी के बीच मुकेश अंबानी के ऊपर सभी की नज़रें थीं. ख़तरनाक महामारी के बीच भी मुकेश अंबानी ने 27 बिलियन डॉलर की पूंजी निवेशकों से अर्जित की थी. सबसे पहले फेसबुक (अब मेटा प्लेटफॉर्म इंक.) और फिर अल्फाबेट इंक (Alphabet Inc.) ने अंबानी के डिजिटल व्यापार में निवेश किया. इसके बाद अंबानी के खुदरा व्यापार ने भी काफी निवेशकों को आकर्षित किया.

और पढ़ें: पेप्सी, कोका-कोला, नेस्ले की अब बजेगी बैंड, टक्कर देने आ रहे हैं अरबपति मुकेश अंबानी

हालिया आर्थिक स्थितियों को देखें तो प्रतीत होता है कि अंबानी के प्रति निवेशकों का जो उत्साह था वही उत्साह अब अडानी के प्रति देखने को मिल रहा है. इस बात को बल इस तथ्य से भी मिलता है कि हाल ही में अडानी ने भारत में होलसिम लिमिटेड (Holcim Ltd.) का अधिग्रहण 10.5 अरब डॉलर में किया है.

इस अधिग्रहण के साथ ही अडानी देश के ‘सीमेंट किंग’ के तौर पर उभरकर सामने आए हैं. अडानी के अधिग्रहण की अगर बात करें तो पिछले एक साल में ही अडानी ने 17 अरब डॉलर के खर्चे से करीब 32 अधिग्रहण किए हैं. अब अडानी भारत की बंदरगाह क्षमता का 24 फीसदी नियंत्रित करते हैं. करीब-करीब ऐसी ही उनकी पकड़ एयरपोर्ट पर भी है. शेयर बाजार में अक्सर इस बात पर चर्चा होती है कि कैसे अडानी ने इन्फ्रास्ट्रक्चर के बुनियादी ढांचे पर पकड़ बनाई है. कोयला खनन, बिजली उत्पादन और वितरण, खाद्य तेल शोधन, फसलों से लेकर डेटा तक का भंडारण और अब सीमेंट.

एक तरफ अंबानी जहां कंज्यूमर आधारित व्यापार की तरफ बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अडानी अधिकतर इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबंधित व्यापार को ही धार दे रहे हैं. इन सभी तथ्यों को एक साथ रखकर देखें तो समझ आता है कि एक तरफ कोरोना महामारी के दौरान जहां मुकेश अंबानी ने गूगल और फेसबुक से निवेश हासिल किया, वहीं जब वायरस का प्रभाव कम हुआ तो होलसिम (Holcim) का अधिग्रहण करके अडानी ने कंपनी को भारत से अच्छी विदाई दी.

और पढ़ें: मुकेश अंबानी ने जेफ़ बेजोस से खुदरा बाजार छीन लिया!

इसके साथ ही हाल ही कि एक रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस दर्जनों छोटे किराना और नॉन फूड ब्रांड्स का अधिग्रहण करने जा रही है. अधिग्रहण के लिए कंपनी कितना निवेश करेगी, अभी इसकी जानकारी नहीं दी गई है लेकिन रिलायंस का लक्ष्य 6.5 अरब डॉलर कंज्यूमर गुड्स के कारोबार का है. इसके लिए रिलायंस एक नए वर्टिकल Reliance Retail Consumer Brands को आगे बढ़ा रही है.

ऐसे में हमें साफ दिखता है कि दोनों अरबपति ‘अधिग्रहण मॉडल’ पर आगे बढ़ रहे हैं. दोनों अरबपति तेजी से अपने व्यापार को आगे बढ़ा रहे हैं. मुकेश अंबानी किसी सेक्टर में अधिग्रहण करने जा रहे होते हैं तब तक गौतम अडानी किसी दूसरे सेक्टर में अधिग्रहण कर लेते हैं. ऐसा प्रतीत होता है मानों दोनों के बीच ‘अधिग्रहण-युद्ध’ चल रहा हो. ऐसे में अब देखने वाली बात यह होगी कि यह ‘अधिग्रहण-युद्ध’ आगे किस दिशा में जाता है.

और पढ़ें: ‘शार्क टैंक इंडिया’ को भूल जाइए, असली शार्क तो मुकेश अंबानी हैं!

Exit mobile version