रघुवर दास के खुलासे के बाद अब केंद्र सरकार ने शुरू कर दी है हेमंत सरकार की घेराबंदी

झारखण्ड बना भ्रष्टाचारियों का अड्डा !

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Source- TFI POST

झारखण्ड की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से भूचाल मचा हुआ है। झारखण्ड सरकार में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा ने हेमंत सरकार के नाक में दम कर दिया है। अब एक और ऐसा मामला सामने आया है जिससे फिर से झारखण्ड में हेमंत सरकार पर सवाल उठ रहा है दरअसल ED ने गुरुवार को झारखंड की खनन सचिव पूजा सिंघल के कई परिसरों पर छापेमारी की है। इस मामले को लेकर सम्बंधित जांच अधिकारियों ने कहा की 2008-11 के दौरान राज्य के खूंटी जिले में 18 करोड़ रुपये से अधिक के मनरेगा फंड के कथित गबन से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के संबंध में यह छापेमारी की गई है।

जांच अधिकारियों ने बताया कि धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और कुछ अन्य राज्यों में झारखंड की खनन सचिव पूजा सिंघल के करीब 18 परिसरों में तलाशी ली जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि राज्य की राजधानी रांची में आईएएस अधिकारी और झारखंड सरकार के खान और भूविज्ञान विभाग के सचिव सिंघल के परिसर को भी कार्रवाई के तहत कवर किया जा रहा है। आपको बतादें कि सिंघल 2000 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं और पहले खूंटी जिले में उपायुक्त के रूप में तैनात थी। ज्ञात हो की कुछ हफ्तों पहले भाजपा नेता और झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके सहयोगियों पर भूमि आवंटन में अनियमितता का आरोप लगाया था।

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संवैधानिक पद का दुरुपयोग 

पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने आरोप लगाते हुए कहा था कि ‘मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी को एक औद्योगिक क्षेत्र में 11 एकड़ जमीन दी गई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सोरेन उद्योग विभाग के प्रमुख हैं, इसलिए उन्हें यह बताना चाहिए कि क्या यह आवंटन उनके ज्ञान और प्रभाव में किया गया था। भाजपा नेता ने आगे कहा था कि हेमंत सोरेन के राजनीतिक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को साहेबगंज में महाकाल पत्थर के नाम पर पट्टा दिया गया है। इस मामले को लेकर दास ने स्वतंत्र एजेंसी से गहन जांच की मांग भी की थी । वहीं इसके बाद, राज्य भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने इस पर कटाक्ष किया था और कहा था कि, “मुख्यमंत्री ने अपने नाम पर खनन पट्टा आवंटित किया, अपने संवैधानिक पद का पूरी तरह से दुरुपयोग किया।” उन्होंने आगे कहा, देश के इतिहास में ऐसा कोई मुख्यमंत्री नहीं है जिसने उनके नाम पर लीज ली हो। यदि उसके पास कोई नैतिक मूल्य बचा है, तो उसे तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए या कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ेगा।

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घिर गए हेमंत सोरेन 

वहीं बीजेपी के गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने गुरुवार सुबह अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर छापेमारी की घोषणा की, उन्होंने लिखा कि “झारखंड सरकार के अधिकारियों में से एक और हेमंत सोरेन, जो कम कीमतों पर और सीएम को नियमों का उल्लंघन करते हुए पट्टे आवंटित करते हैं,” उनके भाई और उनके सहयोगी आखिरकार सवालों के घेरे में आ गए हैं। ईडी ने उसके और उसके सहयोगियों के खिलाफ रांची, दिल्ली, मुंबई, राजस्थान सहित अन्य 20 स्थानों पर छापेमारी शुरू कर दी है। एक राज्य की इतनी बड़ी प्रशासनिक अधिकारी का इतना बड़ा भ्रष्टाचार सामने आने के बाद सोरेन सरकार बैकफुट पर नज़र आ रही है। झारखण्ड में लगातार भाजपा द्वारा राजनीतिक हमला से झारखण्ड सरकार मुश्किलों में दिख रही है और भ्रष्टाचार जनित अपराध को रोकने में नाकाम हेमंत सोरेन के सरकार की नाकामी उजागर हो गई है।

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