‘बाबू मोशाय…जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं’ भारतीय सिनेमा के सितारे राजेश खन्ना के इस फ़िल्मी डायलॉग को आज ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर एंड्रयू साइमंड्स अपनी असमय मृत्यु के बाद चरितार्थ कर गए। अपनी जीवन की पारी हो या खेल के मैदान में बतौर क्रिकेट खिलाडी वाली पारी, दोनों में ही अपनी बेहतरीन छाप छोड़कर उन्होंने अलविदा तो कह दी, पर युगों-युगों तक अपने नाम को चमकान से भर गए। एंड्रयू साइमंड्स इस पीढ़ी के क्रिकेट के वो दिग्गज हैं, जिनके नाम को भुलाना बहुत मुश्किल जान पड़ता है। अपनी कार्यकुशलता से लोहा मनवाने की बड़ी अच्छी सूझ-बूझ के धनि साइमंड्स 15 मई को एक कार हादसे का शिकार हो गए और दुनिया को अलविदा कह दिया, जिसके बाद वैश्विक रूप खेल जगत भावशून्य हो गया है।
अपने बेहद ही हरफनमौला अंदाज़ के लिए ख्यातिलब्ध क्रिकेट प्रशंसकों के प्रणेता पूर्व ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर एंड्रयू साइमंड्स ने कम समय में बहुत बड़ा मुकाम हासिल कर लिया था। नवोदित क्रिकेटर हो या युवा प्रशंसक बीते तीन दशकों से एंड्रयू साइमंड्स को पूजते आए हैं जो एंड्रयू साइमंड्स की छवि को एकदम दर्पण की तरह साफ़ कर देता है। बतौर बल्लेबाज कहा जाए, बतौर गेंदबाज़ कहा जाए या बतौर फील्डर कह लिया जाए, एंड्रयू साइमंड्स सभी आयामों में श्रेष्ठ प्रदर्शन करते थे और उनकी यही शक्ति उन्हें बहुत बड़ा खिलाडी बनाने में सहायक बनी। निस्संदेह, वह एक प्रतिभाशाली एथलीट, एक जन्मजात मनोरंजनकर्ता और खुशनुमा व्यक्तित्व के थे।
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अपने आप में ही एक उदाहरण थे
साइमंड्स का जन्म 1975 में बर्मिंघम में हुआ था। 47 वर्षीय एंड्रयू साइमंड्स की असामयिक मृत्यु उपरांत पूरी दुनिया और क्रिकेट प्रशंसक उन्हें नम आंखों से विदाई दे रहे हैं। आइए हम साइमंड्स से जुड़ी कुछ ऐसी उपलब्धियों पर नज़र डालते हैं, जो उन्हें अलग बनाती आई हैं। यूं तो उन्होंने नवंबर 1998 में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया और 2004 में टेस्ट में डेब्यू किया था। फिर उन्होंने 2005 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेली जा रही टी20 सीरीज के पहले मैच में उन्होंने अपना टी20 डेब्यू किया। उन्होंने 2003 और 2007 विश्व कप में अपनी प्रभावशाली बल्लेबाजी और उपयोगी गेंदबाजी प्रदर्शन के साथ ऑस्ट्रेलिया की खिताबी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जिन उपलब्धियों से एंड्रयू साइमंड्स ने विश्वभर के क्रिकेट प्रेमियों का दिल लूटा था, उसकी शुरुआत 20 साल तक कायम रहे उनके उस विश्व रिकॉर्ड के साथ हुई थी, जिसमें साइमंड्स ने अंतरराष्ट्रीय डेब्यू करने से पहले ही ग्लॉस्टर शायर के लिए एक पारी में रिकॉर्ड 16 छक्के लगाकर तहलका मचा दिया था। तब उन्होंने 206 गेंदों में नाबाद 254 रन बनाए थे।
कई ऐसी उपलब्धियां भी एंड्रयू साइमंड्स के नाम पर दर्ज़ हैं जो एकमात्र ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने अपने देश के लिए हासिल की थी। दो मौकों पर वनडे सीरीज में 250 रन और 10 विकेट हासिल करने वाले एंड्रयू एकमात्र ऑस्ट्रेलिया क्रिकेटर हैं। वीबी सीरीज 2003-04 में साइमंड्स ने 349 रन बनाए और नौ मैचों में 10 विकेट लिए। उन्होंने वीबी सीरीज के 2005-06 संस्करण में 389 रन बनाए और 11 विकेट लिए थे और उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज अवार्ड से भी नवाजा गया था। एंड्रयू साइमंड्स को टॉप-10 में रहने वाले खिलाडियों में से एक माना जाता रहा है। वो छठे नंबर पर वनडे पारी में दूसरा सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर खड़ा करने वाले खिलाडी भी थे। पाकिस्तान के खिलाफ 2003 के विश्व कप में टीम का शीर्ष क्रम फेल हो गया था। फिर साइमंड्स छठे नंबर पर आए। उनकी एक अलग योजना थी और उन्होंने 125 गेंदों पर नाबाद 143 रन बनाए, जिससे ऑस्ट्रेलिया को 82 रनों से मैच जीतने में मदद मिली।
IPL 2008 के सबसे महंगे खिलाड़ी थे साइमंड्स
ज्ञात हो कि एंड्रयू साइमंड्स ने वनडे में 5000+ रन और 100+ विकेट लिए थे। वह वनडे प्रारूप में 5000 से अधिक रन (5088) बनाने और 100 से अधिक विकेट (133) लेने वाले तीन ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों में से एक बने रहे। इस प्रारूप में उनका शीर्ष 156 रन का स्कोर दिसंबर 2005 में न्यूजीलैंड के खिलाफ आया था। अंतराष्ट्रीय क्रिकेट हो या क्रिकेट प्रेमियों का त्योहार IPL हो, एंड्रयू साइमंड्स का सिक्का हर जगह चलता था। वो IPL 2008 की नीलामी में सबसे महंगे विदेशी खिलाड़ी भी बने थे।
2007 के वनडे और टी20 विश्व कप में दोनों विभागों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद, साइमंड्स ने आईपीएल 2008 की नीलामी में फ्रेंचाइजी से मोटी रकम हासिल की थी। तब डेक्कन चार्जर्स ने उन्हें 10 करोड़ से ज्यादा रकम देकर खरीदा था, जो उनके बेस प्राइस से पांच गुना अधिक था। वो नीलामी में सबसे महंगे विदेशी खिलाड़ी और एमएस धोनी के बाद दूसरे सबसे महंगे खिलाड़ी के रूप में उभरे। आईपीएल 2009 में, साइमंड्स खिताब जीतने वाली डेक्कन चार्जर्स टीम का हिस्सा थे और तब उन्होंने 249 रन बनाने के साथ-साथ सात विकेट चटकाए थे।
ऐसे असंख्य रिकॉर्ड बेहद ही कम समय में एंड्रयू साइमंड्स ने अपने नाम किये थे। अपने क्रिकेट करियर में वर्ष 1998 में पदार्पण से लेकर रिटायरमेंट घोषित करने वाले वर्ष 2012 तक एंड्रयू साइमंड्स ने कम समय में क्रिकेट जगत में अपना सिक्का जमा लिया था। आज सभी क्रिकेट प्रशंसक और विशेषकर एंड्रयू साइमंड्स के फैन एक ही बात सोच रहे हैं कि “रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई, तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई।“ कम समय में शोहरत हासिल करने की जितनी ख़ुशी एंड्रयू साइमंड्स के प्रशंसकों को थी, उससे अधिक पीड़ा बेहद ही कम समय में अपना देह त्याग कर अलविदा कह चुके एंड्रयू साइमंड्स के जाने से है।
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