भारत गेमिंग इंडस्ट्री के क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा बाजार है। बड़ी कम्पनियों को मालूम है कि अवसर के मामले में भारत जैसा मजबूत बाजार शायद ही कोई अन्य हो। विशेष रूप से कोरोना के प्रभाव में लगाए गए लॉकडाउन ने ऑनलाइन गेमिंग के चलन को बढ़ाया। ऑनलाइन गेम के लिए वैश्विक बाजार का आकार 2019 में 37.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2025 में 122.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है। वहीं घरेलू स्तर पर, भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग 2016 में 543 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था और 2020 में 18.6% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ बढ़कर 1.027 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
भारत में ऑनलाइन गेमर्स की संख्या 2020 में 360 मिलियन के स्तर से बढ़कर इस वर्ष यानी 2022 में 510 मिलियन होने का अनुमान है। हालांकि, लॉकडाउन अवधि के दौरान यह काफी तेजी से बढ़ा और साथ ही मोबाइल गेम्स पर खर्च करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में भी वृद्धि हुई। उच्च उपयोगकर्ता जागरूकता और त्वरित जुड़ाव के कारण गेमिंग क्षेत्र में निवेश अगले 12-18 महीनों में तेज गति से बढ़ने की संभावना है। इसी क्रम में ऑनलाइन गेमिंग के बढ़ते प्रचलन के कारण अब भारत सरकार इन ऑनलाइन खेलों पर कर लगा रही है। जैसा कि टीएफआई ने आपको पहले ही बताया था कि सरकार ऑनलाइन गेमिंग पर जीएसटी के साथ आगे बढ़ सकती है, अब हमारी भविष्यवाणी सत्य साबित होती दिख रही है क्योंकि सरकार ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी लगाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
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ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी जीएसटी की तैयारी
खबरों के मुताबिक गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) परिषद, जुआ और सट्टेबाजी से जुड़े खेलों को हतोत्साहित करने के साधन के रूप में ऑनलाइन गेमिंग के लिए कर की दरों को 18 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी कर सकती है। वर्तमान में, ऑनलाइन गेमिंग पर प्लेटफॉर्म शुल्क का 18 फीसदी कर लगाया जाता है, जो प्रतियोगिता में प्रवेश राशि के 5-20% के बराबर होता है। लेकिन मौका गेमिंग जैसे- रेसिंग, बेटिंग और लॉटरी पर कॉन्टेस्ट एंट्री अमाउंट का 28 फीसदी टैक्स लगता है। कैसीनो, रेस कोर्स और ऑनलाइन गेमिंग के कराधान पर मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) ने कौशल गेमिंग (Skill Gaming) और मौका गेमिंग (Chance Gaming) के बीच अंतर को दूर करने की सिफारिश करने का संकल्प लिया है, जिसका अर्थ है कि खेलों की पूर्व श्रेणी पर भी 28 फीसदी कर लगाया जाएगा।
हालांकि, अधिकारियों की एक समिति की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद दो सप्ताह में जीओएम द्वारा कराधान आधार तय किया जाएगा। प्रतियोगिता प्रविष्टि राशि (सीईए) या केवल गेमिंग प्लेटफॉर्म द्वारा लिए जाने वाले सकल गेमिंग राजस्व (जीजीआर)/प्लेटफ़ॉर्म शुल्क पर कर लगाने के दो विकल्प हैं। बताया जा रहा है कि जीओएम की सिफारिशों पर विचार करने के बाद जीएसटी परिषद द्वारा कर में बदलाव पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
इसी महीने स्पष्ट हो जाएगी स्थिति
आपको बताते चलें कि सरकार ने पिछले साल मई में जीएसटी लगाने के लिए कैसीनो, ऑनलाइन गेमिंग पोर्टल और रेस कोर्स की सेवाओं के बेहतर मूल्यांकन के लिए जीओएम का गठन किया था। समिति के लिए संदर्भ की शर्तों में कैसीनो, रेस कोर्स और ऑनलाइन गेमिंग पोर्टल्स द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं का मूल्यांकन और कैसीनो में कुछ लेनदेन की कर योग्यता, मौजूदा कानूनी प्रावधानों और संबंधित मामलों पर अदालतों के आदेश आदि शामिल हैं। समिति को कैसीनो, रेस कोर्स और ऑनलाइन गेमिंग की सेवाओं के मूल्यांकन के बेहतर साधनों को अपनाने और लॉटरी जैसी अन्य समान सेवाओं पर प्रभाव के लिए कानूनी प्रावधानों में किसी भी बदलाव की आवश्यकता का सुझाव देना था। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की अध्यक्षता में जीओएम ने सोमवार (2 मई) को बैठक की और इन तीनों सेवाओं पर लागू जीएसटी दर पर चर्चा की। इस महीने के अंत में होने वाली जीएसटी परिषद की अगली बैठक में जीओएम की रिपोर्ट पर विचार किए जाने की संभावना है।
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