असम सरकार ने थाने में आग लगाने वालों की अवैध बस्तियों पर चलाया बुलडोजर

अराजकता फैलाने वालों की जमकर बैंड बजा रही है हिमंता सरकार!

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Source- TFIPOST.in

आपने तो सुना ही होगा जैसी करनी वैसी भरनी, कुछ इसी तरह असम में इन दिनों शासन प्रशासन का डंडा उन कट्टरपंथियों पर चल रहा है जो संयोग में हुई घटना पर पुलिस थाने को ही जलाने का दुस्साहस कर गए। मध्य असम के नगांव जिले में अधिकारियों ने रविवार को पांच परिवारों पर जाली दस्तावेजों के साथ सरकारी जमीन पर कब्जा करने के आरोपों के तहत उनके घरों पर बुलडोजर चला दिया गया। इन लोगों पर पुलिस हिरासत में एक मछली व्यापारी की मौत के बाद पुलिस से प्रतिशोध लेने के चक्कर में थाने को जला देने का आरोप भी था। ऐसे में असम सरकार ने थाने में आग लगाने वालों की अवैध बस्तियों को गिराया और एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया कि आपा खोकर लिया गया फैसला कितना बड़ा घात दे सकता है।

दरससल, असम के नगांव में शनिवार को एक दिन पहले हुई एक व्यक्ति की मौत को लेकर भीड़ द्वारा एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी गई थी। जिस व्यक्ति की मौत से कुछ तत्वों का गुस्सा फूट पड़ा। पुलिस के अनुसार गिरफ्तारी के व्यक्त वो व्यक्ति नशे में था। एक चिकित्सा जांच की गई और अगले दिन सफीकुल इस्लाम को रिहा कर दिया गया और “उनकी पत्नी को सौंप दिया गया।” असम के पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत ने रविवार को एक बयान में कहा, “उन्होंने बीमारी की शिकायत की और उन्हें एक के बाद एक दो अस्पतालों में ले जाया गया।”

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बुलडोज़र बाबा की तर्ज़ पर देशभर में बुलडोज़र कार्रवाई चरम पर है पर इस बार असम सीएम हिमंता बिस्वा सरमा और उनकी सरकार का बुलडोज़र उन तत्वों के निर्माणों पर चला जो एजेंडे के तहत पहले नशे में डूबे सफिकुल इस्लाम के मृत होने पर पुलिस को ज़िम्मेदार ठहराकर पूरे थाने को जला आए थे। हिरासत में मौत के मामले को लेकर असम के नगांव जिले में भीड़ द्वारा एक पुलिस थाने में आग लगाने के एक दिन बाद, बुलडोजर ने हिंसा में शामिल कम से कम तीन लोगों के घरों को ध्वस्त कर दिया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत झोपड़ियों को तोड़ा गया।

असम में हुए इस प्रकरण के बाद, विशेष डीजीपी जीपी सिंह ने कहा, “एक अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया है। एक आरोप था कि कल थाने पर हमला करने वालों में से कुछ ने जमीन पर कब्जा कर लिया था। भले ही उनके पास दस्तावेज थे, वे जाली थे। इसलिए आज कुछ झोपड़ियों को तोड़ा गया।” असम में हिंसा के सिलसिले में कुल 21 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।”

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यही नहीं पुलिस थाने पर हुए हमले को षड़यंत्र बताते हुए राज्य के पुलिस प्रमुख भास्कर ज्योति महंत ने कहा कि, थाने पर हमला कोई ”कार्रवाई-प्रतिक्रिया की घटना” नहीं थी, बल्कि अपराधियों द्वारा मामले के रिकॉर्ड को नष्ट करने के लिए किया गया था। भीड़ में शामिल लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने 39 वर्षीय मछली विक्रेता सफीकुल इस्लाम की हत्या कर दी, क्योंकि वह रिश्वत देने में असमर्थ था। जबकि वास्तविकता यह थी कि वो नशे का आदी होने के साथ ही उस समय भी नशे में धूत था जो अंततः उसकी मृत्यु का कारण बना। ऐसे में यह कहकर कि वो मुस्लिम था या रिश्वत देने में असमर्थ था ये सब करने से माहौल बिगाड़ना किसी को भी बर्दाश्त नहीं होता। अंततः असम सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार द्वारा कार्रवाई हुई और उन लोगों पर हुई जो शासन-प्रशासन को कुछ भी नहीं समझ रहे थे।

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