अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी ने इस्लामोफोबिया के फर्जी आरोप में ‘ब्राह्मण छात्र’ को सस्पेंड किया

‘इस्लामिस्ट और वामपंथी मुझे ‘संघी’ कहकर, ‘बीजेपी का प्रवक्ता’ कहकर, ‘बीजेपी आईटी सेल’ का सदस्य कहकर चिढ़ाते हैं.’ छात्र का पूरा करियर बर्बाद होने की कगार पर है.

Source: TFI

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि किसी छात्र को उसके हिंदू होने के कारण पढ़ाई से रोका जा सकता है? किसी छात्र को अलग विचाराधारा होने के कारण नौकरी से वंचित किया जा सकता है? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी से एक छात्र को इसलिए बर्खास्त कर दिया जाए क्योंकि वो अपने धर्म को धारण करता है. अपनी परंपराओं का पालन करता है. अपने देश का सम्मान करता है. देश-विरोधी गतिविधियों के विरुद्ध बोलता है.

अगर आप सोच रहे हैं कि यह कोरी कल्पना है, ऐसा तो हो ही नहीं सकता तो आप ग़लत सोच रहे हैं. ऐसा ही हुआ है. इसी देश में हुआ है. इसी देश की मेट्रो सिटी बेंगलुरू में हुआ है. इसी देश की बड़ी प्राइवेट यूनिवर्सिटी, अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में हुआ है.

ऋषि तिवारी को किया सस्पेंड

ऋषि तिवारी उत्तर-प्रदेश के बांदा जिले के बल्लन गांव के रहने वाले हैं. वर्तमान में वो अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी बेंगलुरू में स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएशन) कर रहे हैं. ऋषि तिवारी मास्टर इन आर्ट (MA, Development) के छात्र हैं. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाले ऋषि तिवारी अपनी प्रतिभा की ताक़त पर बेंगलुरू की बड़ी यूनिवर्सिटी तक पहुंच तो गए लेकिन उन्हें नहीं पता था कि यहां उन्हें उन मूल्यों के लिए सज़ा दी जाएगी जिन मूल्यों पर उनका महान देश खड़ा है. मूल्य हैं महान सनातनी परंपराओं को मानना- सनातनी मान्यताओं का सम्मान करना- अपने जन्मभूमि से प्यार करना.

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किसी को भी इन मूल्यों के लिए क्यों सजा दी जा सकती है? लेकिन अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में यह हुआ है. छात्र ऋषि तिवारी का दावा है कि यूनिवर्सिटी में शुरु से ही उन्हें इसलिए भेदभाव का सामना करना पड़ा क्योंकि वो बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अध्ययन करके आए थे और वो हिंदुत्व में आस्था रखते हैं. छात्र का दावा यहां तक है कि कुछ प्राध्यापकों को उनके सरनेम ‘तिवारी’ से भी दिक्कत है?

ऋषि तिवारी ने अपनी पीड़ा TFIPOST.IN के साथ साझा की है. उन्हें टीएफआई के पास आना पड़ा क्योंकि हाल ही में एक ऐसा वाकया घटित हुआ जिसने उनके जीवन को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है. उनकी अबतक की पढ़ाई और आने वाले भविष्य पर काले बादल मंडरा रहे हैं. ऋषि तिवारी को अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी ने सस्पेंड कर दिया है. छात्र के ऊपर आरोप हैं कि उन्होंने एक मुस्लिम छात्र के ऊपर खाना फेंका है और उससे झगड़ा किया है. इस पूरी घटना की सच्चाई हम आपको बताएंगे. लेकिन उससे पहले आप यह जान लीजिए कि छात्र ऋषि तिवारी को सस्पेंड करने से पहले उसका पक्ष भी नहीं सुना गया.

सड़कों पर रहना पड़ रहा है

एक पक्ष की बातें सुनकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें बर्खास्तगी का नोटिस थमा दिया. यूनिवर्सिटी कैंपस में उनकी एंट्री बैन कर दी गई. हॉस्टल में उनकी एंट्री बैन कर दी गई. अब आप सोचिए, यह मानवीय तौर पर भी कितनी क्रूरता है. एक छात्र जो अपने घर से सैकड़ो किलोमीटर दूर, दूसरे राज्य में- अकेले हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा है- उसे हॉस्टल में घुसने से ही प्रतिबंधित कर दिया गया. अब आप सोचिए, कहां जाएगा वो छात्र? कहां रहेगा? कहां सोएगा? क्या करेगा? लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसके बारे में एक बार भी नहीं सोचा. चलिए, अब हम आपको उस घटना का सच बताते हैं जिसकी वज़ह से ऋषि तिवारी को सड़कों/फुटपाथों पर रहना पड़ रहा है.

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ऋषि तिवारी ने TFIPOST.IN को बताया, यूनिवर्सिटी में प्लेसमेंट हो रहे थे. मेरे प्लेसमेंट की प्रक्रिया चल रही थी, अभी तक मेरा सिलेक्शन हुआ नहीं था. तभी शादमान नाम का एक छात्र मेरे पास आया. उसने मुझे गालियां दी और मेरा मज़ाक उड़ाया. उसने कहा, ‘मैं अभी उतना कमा रहा हूं, जितना तू प्लेसमेंट के बाद भी नहीं कमाएगा.’ छात्र ने आगे बताया, कुछ दिनों बाद, 1 मई को मैं अपने 2 दोस्तों के साथ बाहर गया. बाहर दुकान से हमने कुछ स्नैक्स लिया. उस वक्त मेरे पास कैश नहीं था और फ़ोन भी हॉस्टल में ही छूट गया था. मेरे दोस्तों के मोबाइल से भी पेमेंट नहीं हो रहा था. तभी वहां शादमान आ गया. मैंने शादमान से कहा कि दुकानवाले को अभी वो पैसे दे दे, हॉस्टल पहुंचकर मैं वापस कर दूंगा. लेकिन शादमान ने मना कर दिया.

इस पर मैंने कहा, ‘शादमान, तुम तो कह रहे थे कि तुम अभी उतना कमाते हो जितना मैं प्लेसमेंट के बाद कमाऊंगा. अब तुम्हारे पास कुछ पैसे भी नहीं है. तुम्हारे शब्द और तुम्हारी गतिविधियां आपस में मिलती नहीं हैं. जाओ, और कुछ संवेदनशीलता सीखो कि किसी से कैसे बात की जाती है.’

छात्र के विरुद्ध प्रदर्शन

ऋषि तिवारी ने आगे बताया कि इतना बोलकर मैं हॉस्टल वापस आ गया. रात को करीब 8.45 बजे इस्लामिस्ट और वामपंथी विचाराधार के 8-10 छात्रों ने मुझे आकर घेर लिया. उन्होंने मुझे गालियां दीं और पीटा. दूसरे दिन 2 मई को, यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर कुछ प्रोफेसर्स और छात्रों ने मेरे विरुद्ध प्रदर्शन किया.

छात्र ऋषि तिवारी के विरुद्ध यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन

वो लोग मांग कर रहे थे कि मुझे यूनिवर्सिटी से निष्कासित किया जाए. ऋषि तिवारी ने आगे बताया कि उन लोगों ने मेरे ऊपर शादमान के ऊपर खाना फेंकने और उसे पीटने के झूठे आरोप लगाए.

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छात्र ने बताया कि मैं ऐसा करने के बारे में सोच भी नहीं सकता. इसके बाद भी मुझे ‘इस्लामोफोबिक’ बताया गया. ‘संघी-संघी’ बोलकर मेरा मजाक उड़ाया गया. मुझे कट्टर हिंदू कहा गया. उसी दिन स्कूल ऑफ़ डेवलेपमेंट के समक्ष मेरी शिकायत दर्ज कराई गई. मुझे बिना सूचना दिए. मेरा पक्ष सुने बिना. मुझे बर्खास्त कर दिया गया.

सोशल मीडिया पर टारगेट

तो यह सच है उस आरोप का जिसके पीछे एक होनहार छात्र को यूनिवर्सिटी से बर्खास्त कर दिया गया. बर्खास्तगी के बाद छात्र को सोशल मीडिया पर भी टारगेट किया जा रहा है. ऋषि तिवारी अपने धर्म को मानते हैं- दक्षिणपंथी विचारधारा को मानते हैं- बस इसलिए उन्हें टारगेट किया जा रहा है.

सोशल मीडिया पर छात्र को किया जा रहा है टारगेट।

ऐसे में यूनिवर्सिटी से कई सवाल हैं. हम उन सवालों पर आएंगे लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि ऋषि तिवारी ने इस दौरान और भी कई गंभीर आरोप यूनिवर्सिटी पर लगाए हैं. छात्र ऋषि तिवारी का कहना है कि कई प्रोफेसर पहले से ही उनसे नाराज़ चल रहे थे. दरअसल, यूनिवर्सिटी ने ‘क्या भारत अब भी धर्मनिरपेक्ष है?’ (Is India Still a Secular Country?) विषय पर वार्तालाप का आयोजन किया था.

इस दौरान एक फ्रांसीसी राजनीति विशेषज्ञ क्रिस्टोफ़ जैफ्रेलोटे (Christophe Jafrellote) गेस्ट लेक्चरर थे. चर्चा के दौरान गेस्ट लेक्चचर सरकार और हिंदुत्व को बदनाम कर रहे थे. इस पर मैंने और मेरे कुछ दोस्तों ने उनसे कुछ सवाल पूछ लिए, यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स को इससे दिक्कत हो गई. वो लोग तभी से मुझे टारगेट कर रहे थे.

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इसके बाद कुछ प्रोफेसर्स और छात्रों ने मुझे टारगेट करना शुरु कर दिया. मुझे सभी छात्रों के सामने ‘संघी’ कहते, ‘बीजेपी का प्रवक्ता’ कहते, ‘बीजेपी आईटी सेल’ का सदस्य कहते- उन्हें जहां भी मौका मिलता वो मुझे टारगेट करते. इसके साथ ही छात्र का कहना है कि कैंपस में जब भी भारत का नक्शा दिखाया जाता है उसमें से POK और ‘अक्साई चिन’ को गायब कर दिया जाता है. छात्र ने और भी कई गंभीर आरोप यूनिवर्सिटी पर लगाए हैं. उन आरोपों को फिलहाल छोड़ते हैं और कुछ सवाल यूनिवर्सिटी से पूछ लेते हैं.

यूनिवर्सिटी से सवाल

मान लेते हैं कि छात्र ऋषि तिवारी ने कुछ ग़लत किया होगा, फिर भी आपने सस्पेंड करने से पहला उसका पक्ष क्यों नहीं सुना? आपने सस्पेंड किया लेकिन हॉस्टल में घुसने से क्यों रोका, जबकि आप जानते थे कि उसके पास वहां रहने के लिए कोई दूसरी जगह नहीं है? छात्र ऋषि तिवारी की विचारधारा दक्षिणपंथी है, तो क्या उन्हें निकाल दिया जाएगा? छात्र का अंतिम सेमेस्टर था. प्लेसमेंट हो रहे हैं, क्या दो छात्रों के बीच का झगड़ा इतना बड़ा मुद्दा है कि एक छात्र का पूरा करियर बर्बाद कर दिया जाए?

दो छात्रों की लड़ाई को सांप्रदायिक एंगल क्यों दिया गया? क्या किसी को भी कैंपस में प्रदर्शन करने की- नारेबाजी करने की-अनुमति है? अंतिम लेकिन सबसे बड़ा सवाल छात्र ने यूनिवर्सिटी पर जो देश-विरोधी गतिविधियां करने के गंभीर आरोप लगाए हैं, उन आरोपों पर यूनिवर्सिटी का क्या जवाब है?

उम्मीद है कि यूनिवर्सिटी एक छात्र के जीवन को सिर्फ इसलिए बर्बाद नहीं करेगी क्योंकि वो एक विशेष विचाराधारा को मानता है या फिर अपने धर्म का पालन करता है.

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