केजरीवाल के दिल्ली ‘शिक्षा मॉडल’ को अपनाएंगे भगवंत मान

पंजाब के विद्यार्थियों का भगवान ही मालिक !

bhagwant maaan

Source - TFI

पंजाब की नवगठित सरकार दिल्ली के शिक्षा मॉडल की नकल पर पंजाब में नैतिकता मॉडल विकसित करना चाह रही है। लोकलुभावन वादों के बल पर सरकार में आई आम आदमी पार्टी को यह अच्छे से पता है कि किसी क्षेत्र में व्यवस्था के स्तर पर परिवर्तन करने से अधिक महत्वपूर्ण है परिवर्तन की बातें करना, बदलाव के नए-नए तरीकों पर जोरदार भाषण देना। पंजाब के मुख्यमंत्री आम आदमी पार्टी की राजनीतिक चाल पर आगे बढ़ते हुए शिक्षा जगत से जुड़े लोगों के बीच में भाषण देते हुए कहने लगे कि पंजाब के प्रिंसिपल हेड मास्टर तथा अन्य शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड, स्वीटजरलैंड, यूह्यूस्टन, ऑक्सफोर्ड जैसी जगहों पर भेजेंगे।

भगवंतमान ने यह भी कहा है कि वह दिल्ली के एजुकेशन मॉडल की नकल पर पंजाब में शिक्षा को सुधारने के लिए काम करेंगे। इसके लिए दिल्ली सरकार और पंजाब सरकार के बीच एक समझौता भी हो चुका है। बड़ा प्रश्न है कि पंजाब की शिक्षा नीति में समस्या क्या है और उनका निराकरण किस प्रकार होना चाहिए।

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शोध के अनुसार

पंजाब के लगभग सभी गांव में प्राइमरी स्कूल है और पंजाब के हर बच्चे के लिए प्राइमरी तक की शिक्षा उपलब्ध है। किंतु 61% गांव ऐसे हैं जहां मिडिल क्लास स्कूल नहीं है। 16% क्षेत्र ऐसे हैं जहां 3 किलोमीटर के क्षेत्र में मिडिल क्लास स्कूल मौजूद नहीं है। 25% बच्चे या तो विद्यालय नहीं जाते है क्या किसी अपंजीकृत विद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं।

पंजाब के शिक्षा मॉडल में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को तो स्वयं मुख्यमंत्री ने भी रेखांकित किया है। अपने इसी भाषण में उन्होंने प्राचार्यों को संबोधित करते हुए पंजाबी में कहा, “मुझे आपकी प्रतिभा पर संदेह नहीं है। मुझे आपकी क्षमताओं पर विश्वास है लेकिन मुझे पता है कि आपकी क्षमता और आकांक्षाओं से मेल खाने के लिए कोई बुनियादी ढांचा नहीं है।”

ऐसे में मुख्यमंत्री जी समझते हैं कि पंजाब की असली समस्या इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। अभी पंजाब की आवश्यकता हेड मास्टर प्रिंसिपल और शिक्षकों की ट्रेनिंग नहीं बल्कि नए स्कूलों की स्थापना है। किंतु जैसा पहले बताया गया है कि आम आदमी पार्टी की नीति है की असल समस्या को सुलझाने में असफल हो तो समस्या को सुलाने का दिखावा करो, लंबे-लंबे भाषण और शानदार योजनाओं की घोषणा करो, लोगों को मुफ्त सेवाएं उपलब्ध कराकर मामले को रफा-दफा करो। भगवंत मान भी इसी योजना पर आगे बढ़ रहे हैं। अगर शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजा जाता है तो इस खबर को मीडिया हाईलाइट मिलेगी। इससे शिक्षा के क्षेत्र में जमीनी स्तर पर सुधार हो अथवा ना हो, आम आदमी पार्टी की सरकार को पब्लिसिटी बहुत मिलेगी।

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दिल्ली का शिक्षा मॉडल

रही बात दिल्ली के एजुकेशन मॉडल की तो उसकी कलाई अब खुलने लगी है। आप ने दिल्ली के स्कूलों के स्मार्ट बोर्ड का प्रचार देखा है किंतु यह सबके सामने नहीं आया है कि शिक्षकों का वेतन भुगतान लंबे समय से रुका हुआ है। 12वीं की परीक्षा में दिल्ली के सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन शानदार रहा और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने बच्चों की मेहनत का श्रेय मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिया। हालांकि उसी वर्ष 10वीं की परीक्षा में दिल्ली के सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थियों का प्रदर्शन खराब रहा। पास होने वाले विद्यार्थियों के राष्ट्रीय औसत, 86.70%, से सरकारी स्कूलों का औसत लगभग 13% कम होकर, 73.46% रहा। विद्यार्थियों के लिए चलने वाली DTC बस सेवा भी शुरू नहीं हो रही।

भले ही वास्तविक परिणाम में सुधार देखने को नहीं मिल रहा है किंतु अभिभावकों को संतुष्ट रखने के लिए केजरीवाल सरकार एक नई योजना लेकर आ गई। दिल्ली सरकार ने एक नई योजना के अंतर्गत सरकारी विद्यालयों में कक्षाओं के अंदर सीसीटीवी कैमरा लगाने की बात कही थी। इस सीसीटीवी कैमरे की वीडियो अभिभावक घर बैठे अपने मोबाइल फोन पर एक ऐप के माध्यम से देख सकते हैं। सुनने में ऐसा लगता है कि अभिभावक यह निगरानी कर सकेंगे की विद्यालय में बच्चे क्या पढ़ रहे हैं। किंतु इस योजना के कारण शिक्षकों और विद्यार्थियों पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक दबाव का अंदाजा नहीं लगाया गया है। दूसरी बात जब शिक्षकों का वेतन रुका हो, तब आप उन्हें कैमरे की निगरानी में रख दें और यह उम्मीद करें कि वह विद्यार्थियों को अच्छे से बढ़ाएं, तो इससे शिक्षकों की कार्यकुशलता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।

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इन सब कमियों के बाद भी दिल्ली का शिक्षा मॉडल विज्ञापनों, PR, झूठे प्रदर्शन के बल पर खूब बेचा गया। अब पंजाब सरकार भी इसी शिक्षा के मॉडल को पंजाब पर लागू कर रही है। पंजाब की शिक्षा व्यवस्था पहले ही खस्ताहाल है, विद्यालयों की संख्या कम है, इसके बाद भी फंड का दुरुपयोग कर केवल लोगों को मूर्ख बनाया जाएगा।

 

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