सरकारी अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत से होने वाले भ्रष्टाचार के कारण बिहार देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है। दुखद यह है कि भ्रष्टाचार के बाद अधिकारी और नेता बयान तक ऐसे देते हैं जिन्हें सुनकर हंसी भी आती है और अहसास होता है कि बिहार में भ्रष्टाचारियों को किसी का कोई भय नहीं है।
भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में 1711 करोड़ की लागत से बन रहे पुल का एक हिस्सा अचानक गिर गया। जब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अधिकारियों से इस संदर्भ में जवाब मांगा तो बिहार सरकार ने बताया कि तेज हवा के कारण लोहे का पुल गिर गया। अधिकारियों के बयान पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी आश्चर्यचकित रह गए। इस पूरे मामले में बिहार सरकार की जमकर किरकिरी हुई। नितिन गडकरी ने इस मामले में बिहार सरकार से अपनी आपत्ति दर्ज करवाई।
इसके बाद बिहार सरकार हरकत में आई। बिहार के पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि एनआईटी पटना की टीम पूरे मामले को देख रही है। आईआईटी रुड़की और मुंबई से भी संपर्क किया गया है, ताकि वहां के भी विशेषज्ञ आकर इस पुल की जांच कर सकें।
बिहार सरकार मामले की जांच करवा रही है किंतु यह पहला मामला नहीं है जब भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए ऐसे अजीबोगरीब बयान दिए जा रहे हो। बिहार में कभी चोर पुल चुरा ले जाते हैं। कभी थाने में रखी शराब चूहे पी जाते हैं। हम यह कोई परिहास नहीं कर रहे हैं बल्कि ऐसे तर्क वास्तव में दिए जाते हैं।
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चोरों द्वारा पुल चुराने का एक नहीं बल्कि 3 मामले सामने आए हैं। पिछले कुछ दिनों के अंदर ही रोहतास, जहानाबाद और बांका के चांदन प्रखंड में पुल की चोरी का मामला सामने आया है। साल 2017 में बिहार के तत्कालीन जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन ने राज्य में आई बाढ़ के लिए चूहों को जिम्मेदार बताया था।
उन्होंने कहा था कि बाढ़ को रोकने के लिए बनाए गए तटबंधों में चूहों ने सुराख बना दिए, जिससे वे कमजोर हो गए और उनमें बाढ़ का पानी घुस गया। इसके पहले इसी साल बिहार में शराबबंदी के दौरान जब्त कर थानों में रखी शराब 1000 लीटर शराब गायब होने पर पुलिस ने बताया कि शराब चूहे पी गए थे।
अक्टूबर 2021 में चूहों ने 40 करोड़ के फ्लाईओवर को खा लिया था। अधिकारियों का कहना था कि फ्लाई ओवर में लगे लोहे के रैंप को चूहों ने कुतर डाला। हुआ यह कि निर्माण के बाद पहली बारिश में ही फ्लाईओवर की सड़क धंस गई और बालू निकलकर बहने लगा।
इसके बाद भी सड़क की दो बार मरम्मत करवाई गई लेकिन दोनों बार बारिश के पहले झटके में ही सड़क धंस जा रही थी। अधिकारियों ने जांच की और इल्जाम चूहों पर आया। ना चूहे आते ना वह रैंप को कुतरते, न सड़क धँसती।
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हाल ही में हवा के झोंके में जो पुल गिरा है उसकी जांच के आदेश दिए जाने के बाद पटना के विश्वेश्वराया भवन में आग लग गई। आग भी भवन के उसी हिस्से में लगी जहां सड़क निर्माण से जुड़ी आवश्यक फाइलें रखी हुई थी। पुल के निर्माण से जुड़ी फाइलें जल चुकी हैं।
बिहार के अधिकारियों पर ईश्वर की असीम अनुकंपा है, क्योंकि जब भी किसी पुल के गिरने के बाद जांच के आदेश दिए जाते हैं। रहस्यमई तरीके से विश्वेश्वरैया भवन में आग लग जाती है। पिछले 6 वर्षों में इस भवन में तीन बार आग लगी है। हालांकि आग लगने के बाद आग लगने के कारणों की जांच के लिए जो कमेटी बनती है उसकी रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं हुई है। बल्कि कभी रिपोर्ट बनी भी अथवा नहीं इसकी जानकारी भी उपलब्ध नहीं है।
इतनी महत्वपूर्ण इमारत में जहां प्रदेश के सभी बड़े विभागों की आवश्यक फाइल रखी हुई है, वहां तीन बार आग लग चुकी है किंतु सुरक्षा के इंतजाम नहीं है। सोचिए अधिकारी जान पर खेलकर इन भवनों में रहते हैं। यह बताता है कि बिहार के अधिकारियों में जन सेवा के लिए कितना समर्पण है।
बिहार के अधिकारी जनता की सेवा तो करना चाहते हैं किंतु विधाता उनके विरुद्ध हैं। स्वयं भगवान गणेश अपने वाहनों को आदेश देकर बिहार के अधिकारियों का काम बिगाड़ दे रहे हैं। हमारे बिहार के महान अधिकारियों ने तो ‛नर सेवा नारायण सेवा’ के मनोभाव से कार्य किए हैं किंतु नियती उनके विरुद्ध है।
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