किसी भी प्रदेश के लिए उसके निकाय चुनाव उसकी प्रथम सुनवाई केंद्र का चुनाव होता है। ऐसे में उन चुनावों को अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए उनका राजनीतिकरण करना जनता के हितों के साथ छलावा है। ऐसे ही छलावे के साथ उद्धव ठाकरे नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार ने चुनावों में अड़ंगा डालने के लिए OBC आरक्षण का ड्रामा करना चाहा पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें झटका देते हुए दो हफ़्तों के भीतर स्थानीय निकाय चुनावों का कार्यक्रम घोषित करने का निर्देश दिया है। देश की शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि वह मतदान प्रक्रिया होने के बाद चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण से संबंधित मुद्दे पर फैसला करेगी।
दरअसल, शिवसेना 2017 में BMC चुनाव में कुल 84 तो भाजपा 82 सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी तो वहीं कांग्रेस ने कुल 31 और राकांपा ने कुल 9 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद एनडीए गठबंधन से टूट और अघाड़ी गठबंधन में जुड़ना शिवसेना के दोगलेपन को परिभाषित कर गया था। उस दौरान भी भाजपा शिवसेना के समकक्ष सीटों पर विजयी हुई थी। ऐसे में शिवसेना को यह भय भी है कि यदि वो इस बार कोई चाल नहीं चलती है तो इन चुनावों में भाजपा एकतरफा जीत जाएगी और इसके बाद राज्य में सरकार में वापसी करना बेहद जटिल हो जाएगा।
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OBC आरक्षण पर कोर्ट ने
चूंकि शिवसेना महाविकास अघाड़ी को हार का डर इसलिए सुप्रीम कोर्ट में वो OBC आरक्षण का लॉलीपॉप लेकर गए थे जिसे सुप्रीम कोर्ट पहले भी नकार चुका है। कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि ओबीसी आरक्षण की मंजूरी के बाद ही चुनाव होने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात की संवैधानिकता बाद में तय होगी। ओबीसी रिजर्वेशन पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने साफ किया कि बिना ट्रिपल टेस्ट के ओबीसी रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता है। यानी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत अभी बिना ओबीसी रिजर्वेशन के ही स्थानीय निकाय के चुनाव होंगे।
3 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की उस रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, जिसमें आयोग ने कहा था कि राज्य के निकाय चुनाव में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देना बहाल कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और राज्य चुनाव आयोग से कहा था कि वह आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई न करें। यह स्टडी और रिसर्च पर आधारित नहीं है। पिछले साल 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से कहा था कि वह महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय के चुनाव में 27 फीसदी सीटें जो ओबीसी के लिए रिजर्व की गई थीं, उन्हें जनरल कैटिगरी के लिए नोटिफाई किया जाए ताकि चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़ाया जा सके।
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बता दें, बृहन्मुंबई नगर निगम चुनाव, बृहन्मुंबई नगर निगम के सदस्यों का चुनाव है जो भारत के सबसे बड़े शहर ग्रेटर मुंबई को नियंत्रित करता है। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के नागरिक चुनाव 2017 के बाद अब आगामी चुनाव नौ नए वार्ड होंगे, तीन शहरी क्षेत्रों में, तीन पश्चिमी उपनगरों में और तीन पूर्वी उपनगरों में होंगे। शहर के तीन वार्ड वर्ली, परल और भायखला, बांद्रा, अंधेरी, पश्चिमी उपनगरों में दहिसर, पूर्वी उपनगरों में कुर्ला, चेंबूर और गोवंडी हैं अर्थात कुल मिलाकर अब 236 पार्षद होंगे।
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