कोरोना के आंकड़े को लेकर भ्रम फैलाने वाले WHO को मांडविया ने जमकर धोया

अब भारत को लेकर फिर कभी 'बकलोली' नहीं करेगा WHO

Mansukh Mandaviya

source google

‘झूठ बोलो, बार बार झूठ बोलो और झूठ के सामने आने के बाद स्वयं की पोल खोलो’ ये विश्व स्वास्थ्य संगठन का आदतन कृत्य बन गया है। अब ऐसा ही एक हालिया प्रकरण खूब सुर्खियां बटोर रहा है जिसे लेकर भारत के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख लाल मांडविया ने भारत का रुख स्पष्ट कर दिया। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे मनसुख लाल मांडविया ने WHO के झूठ पर उसे उसी के सामने धो दिया और उसकी गई गुजरी गणित के लिए भी उसे लताड़ दिया।

सांख्यिकीय कौशल में WHO है निल-बटे सन्नाटा

दरअसल, सांख्यिकीय कौशल में निल-बटे सन्नाटा WHO ने एक ओर कोरोनाकाल में भारत में हुई मौतों पर झूठे आंकड़े प्रस्तुत किए तो वहीं स्विट्ज़रलैंड में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख लाल मांडविया ने विश्व स्वास्थ्य सभा में भाग लिया और उसके इस कृत्य के लिए उसकी ही जगह पर उसे कूट दिया।

WHO की कोविड मृत्यु रिपोर्ट पर भारत ने निराशा दर्ज की है। स्विट्जरलैंड के जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य सभा में बोलते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को कहा कि भारत सभी कारणों से अधिक मृत्यु दर पर डब्ल्यूएचओ के हालिया बयान पर निराशा और चिंता व्यक्त करता है, जहां भारत के वैधानिक प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित देश विशिष्ट प्रामाणिक डेटा की अवहेलना की गई है। भारत और अन्य देशों द्वारा व्यक्त की गई चिंता की अनदेखी करते हुए, जिस तरह से डब्ल्यूएचओ के द्वारा सर्व-कारण अधिक मृत्यु दर पर रिपोर्ट तैयार और प्रकाशित की गई थी, उस पर भारत अपनी निराशा व्यक्त करना चाहता है।

और पढ़ें- हमारे स्वास्थ्य क्षेत्र की गुमनाम नायक हैं आशा वर्कर्स, जिन्हें अब WHO ने किया है सम्मानित

भारत इस महीने की शुरुआत में रिपोर्ट जारी करने के बाद से गणितीय मॉडल के आधार पर अधिक मृत्यु दर अनुमान लगाने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली पर लगातार आपत्ति जताता रहा है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए क्या कहा? 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए ये साफ कर दिया कि WHO की ओर से भारत को लेकर जारी किए गए कोरोना से मौत आंकड़े काफी निराशाजनकर और भ्रमित करने वाले रहे। विश्व स्वास्थ्य महासभा में केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने ‘केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद’ की ओर से निराशा व्यक्त की। यह परिषद भारत के हर राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है। इसने डब्ल्यूएचओ की ओर से प्रकाशित अत्यधिक मौतों की रिपोर्ट के संबंध में एकमत से प्रस्ताव पारित किया था।

और पढ़ें- मानचित्र में WHO ने दिखाया J&K को पाक और चीन का हिस्सा, सरकार को दिखानी चाहिए सख्ती

बता दें कि, डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत में 1 जनवरी, 2020 से 31 दिसंबर, 2021 के बीच कोविड-19 से 47 लाख मौतें हुई। जबकि, भारत सरकार के आंकड़े के मुताबिक इस दौरान देश में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से 5,20,000 मौतें हुई। मतलब WHO कुछ भी..! कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा, WHO ने अंततः हमेशा भानुमति का कुनबा जोड़ा। यह चीन परस्त वही WHO है जिसने हमेशा महामारी के जनक चीन के प्रति तो नरम रुख अपनाया ही पर भारत की उपलब्धियों पर हमेशा सवाल ही उठाया। वैक्सीन निर्माण हो या अन्य कोई चिकित्सकीय उपलब्धि भारत पर हमेशा WHO की टेढ़ी आंख ही रही।  भारत सरकार ने डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों को खारिज किया था।

डब्ल्यूएचओ कई मौकों पर अपनी इज़्ज़त को नीचे रखते हुए पाया गया है। यह वही वैश्विक स्वास्थ्य निकाय है जिसने चीन की प्रशंसा करते हुए कोरोनावायरस महामारी की उत्पत्ति को कवरअप करने का प्रयास किया और दावा किया कि तब मानव-से-मानव संचरण संभव नहीं था जब वायरस केवल मध्य साम्राज्य में केंद्रित था। यह वही निकाय है जिसने वायरस की उत्पत्ति की जांच में जल्दबाजी की और जांच की भी तो भ्रष्ट व्यवहार सामने आया। इस प्रकार भ्रष्टाचार युक्त जांच में अंततः WHO ने अपने चीनी अधिपतियों को क्लीन चिट दी थी।

और पढ़ें- WHO ने Covaxin को मंजूरी देने से इनकार किया, तो भारत ने WHO को ‘वैक्सीन दान’ करने से किया मना

WHO मुख्यालय में जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य सभा के 75वें सत्र में एक ऐतिहासिक संबोधन देते हुए मनसुख मांडविया ने एक वैश्विक आह्वान किया और साथ ही उसी विश्व स्वास्थ्य संगठन को लताड़ दिया कि अब भी समय है सुधर जाओ, नहीं तो कूट देंगे तुम्हें तुम्हारे ही गढ़ में।

Exit mobile version