क्या आप CHRI के बारे में जानते हैं? शायद, नहीं जानते होंगे। बहुत से लोग नहीं जानते। CHRI भी ये बात जानता है की उसे कोई नहीं जानता इसीलिए उसने कुछ ऐसा किया जिससे लोग उसे जाने। CHRI अर्थात कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव एक स्वतंत्र, गैर-पक्षपातपूर्ण और गैर-लाभकारी अंतरराष्ट्रीय है जो राष्ट्रमंडल के देशों में मानवाधिकारों की व्यावहारिक प्राप्ति की दिशा में काम करता है। यह परिभाषा विकिपीडिया पर लिखित है और यह परिभाषा आपको इस संस्था के आधिकारिक वैबसाइट पर मिलेगी।
हाल ही में गृह मंत्रालय द्वारा इस संस्था का विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पंजीकरण को रद्द कर दिया। अब यह संस्था सरकार के अनुमति के बिना विदेश से चंदा, पैसे, फ़ंड या फिर आर्थिक सहायता नहीं ले सकती।
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CHRI का पक्ष
हालांकि, इस गैर-सरकारी संगठन ने कहा कि रद्द करने का एक आधार पूरी तरह से अस्पष्ट हैऔर वे इस आदेश के निरस्तीकरण के लिए सभी कानूनी उपायों का पता लगाएगा।
इस एनजीओ ने एक बयान में कहा-“CHRI ने निलंबन आदेश, ऑडिट टीम की रिपोर्ट और कारण बताओ नोटिस में निहित आरोपों के खिलाफ विस्तृत प्रतिक्रिया गृह विभाग के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है। हमारे लेन-देन के विवरण वाले 7,500 से अधिक पृष्ठों के रिकॉर्ड की फोटोकॉपी की गई और निर्धारित समय सीमा के भीतर गृह मंत्रालय की मांग पर जमा किया गया। हम समझ नहीं पा रहे की गृह मंत्रालय हमारे स्पष्टीकरण को असंतोषजनक, अनुचित या अस्थिर क्यों पाता है।सीएचआरआई एमएचए के रद्द करने के आदेश को उलटने के लिए कानून में सभी उपायों की तलाश करेगा।“
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सरकार का पक्ष
लाइसेंस रद्द करने की वजह पिछले साल CHRI द्वारा किए गए कानूनी उल्लंघन है। सीएचआरआई ने 2018-19 की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की थी। इसके साथ ही सीएचआरआई ने सरकार को उन परियोजनाओं के बारे में भी नहीं बताया जिनके लिए एनजीओ को विदेशों से धन प्राप्त हुआ था। एक अधिकारी ने बताया कि उल्लंघन में ऐसे उदाहरण शामिल हैं जहां CHRI द्वारा भारत में प्राप्त विदेशी धन को समाज के लाभ के लिए भारतीय क्षेत्र के बाहर खर्च किया गया था। साथ ही, एक विदेशी संस्था के लिए एनजीओ के परामर्श और पेशेवर शुल्क को उसके वार्षिक रिटर्न में विदेशी योगदान के रूप में दिखाया गया था।
CHRI का FCRA लाइसेंस पिछले साल 7 जून को गृह मंत्रालय द्वारा 180 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था और फिर एनजीओ द्वारा किए गए उल्लंघनों को देखते हुए दिसंबर 2021 में 180 दिनों के लिए और बढ़ा दिया गया था। निलंबन को चुनौती देते हुए CHRI दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा था, लेकिन फरवरी 2022 में कोर्ट ने एनजीओ को कोई राहत देने से इनकार कर दिया. हालांकि, CHRI के प्रभारी निदेशक वेंकटेश नायक ने कहा है कि हम रद्द करने को चुनौती देंगे। जल्द ही हम इस बारे में एक बयान जारी करने जा रहे हैं।
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मोदी सरकार का अनैतिक और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल गैर-सरकारी संस्थाओं पर कहर जारी है। हाल ही में बलात धर्मपरिवर्तन में शामिल 6 ईसाई संगठनों का FCRA लाइसेंस रद्द किया गया। CHRI भी कमोबेश ऐसे ही संस्था है जो मानवीय घटकों के विकास और स्वतन्त्रता की आड़ लेकर देश को कमजोर और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर बदनाम करते हैं। इसी कड़ी में CHRI के Amnesty International बनने का ख्वाब सरकार ने ध्वस्त कर दिया।