महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार ने हाल ही में आदेश दिया है की कोई भी कार्यालय हो फिर चाहे वह प्राइवेट हो या सरकारी, किसी महिला अधिकारी या कर्मी को बिना उसकी लिखित मंजूरी के सुबह 6 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद काम करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता. साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है की अगर कोई महिला सुबह 6 बजे से पहले या शाम 7 बजने के बाद भी कंपनी के लिए काम करती है तो यह कंपनी की ज़िम्मेदारी है की उसे मुफ्त खाना दिया जाये और जितने समय वह अपना काम कर रही है उचित निगरानी रखी जाये ताकि महिला स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सके. साथ ही शिफ्ट ख़त्म होने के बाद यह कंपनी की ज़िम्मेदारी है की वह अपनी महिला कर्मी को सुरक्षित घर तक पहुंचाए.
आगे यह भी कहा गया है की अगर कोई महिला नाईट शिफ्ट में काम करती है और उसके साथ कोई भी अभद्र व्यवहार करता है तो वह महिला बिना देर किये स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट कर सकती है. कार्यालय के निरीक्षक महिला कर्मी की सुरक्षित कार्य स्थितियों को लागू करंगे और समय समय पर उनके निरिक्षण में गैर अनुपालन पर ध्यान देंगे. कंपनी के मालिक योन उत्पीड़न रोकने के लिए उचित कदम उठांएगे।
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महिला सशक्तिकरण पर सरकार का ज़ोर
सरकार आगे नियोक्ता को कार्यस्थल पर ही एक ऐसी प्रणाली बनाने के लिए आदेश देती है जहाँ महिला अपने साथ हुए अभद्र व्यवहार या योन शोषण की शिकायत कंपनी में ही कर सके. ऐसा Sexual Harrassment of Women at workplace [Prevention , Prohibition and Redressal] Act, 2013 के तहत कहा गया है. इसमें कहा गया है की ”महिला कर्मियों को उनके अधिकारों के बारे में विशेष रूप से आवश्यक दिशा निर्देशों को प्रमुखता से प्रदर्शित करके जागरूक किया जाये। अगर कंपनी का मालिक इनमे से किसी भी नियम का पालन नहीं करता है या पालन करने से इनकार करता है तो सरकार उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.
नियम में आगे कहा गया है की अगर कोई महिला शाम 7 बजे के बाद काम करने से इंकार करती है तो उसे नौकरी से नहीं निकला जा सकता। इस नियम का उल्लंघन करने या अवमानना करने पर कंपनी को भारी जुर्माना या जेल हो सकती है. सरकार ने यह भी कहा है की कंपनी को ऑफिस से काम करने वाली महिलाओं को अन्य सुविधाओं के साथ मुफ्त कैब की सुविधा भी उपलब्ध करवानी होगी. एक महिला को कार्यालय से काम करने के लिए तभी कहा जा सकता है जब उस शिफ्ट में चार अन्य महिलायें हों. महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न न हो यह सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक संगठन में एक समिति होनी चाहिए. इस आदेश के अनुसार अब कंपनी मालिक कार्यालय के पास शौचालय, चेंजिंग रूम, पानी पीने की सुविधा का इंतज़ाम करवाने के लिए बाध्य है. साथ ही जिस जगह कर्मी कार्य करेंगे उस स्थान पर प्रकाश होना चाहिए
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नया आदेश क्या कहता है: एक नज़र
- किसी भी महिला कार्यकर्ता को उसकी लिखित सहमति के बिना सुबह 06:00 बजे से पहले और शाम 07:00 बजे के बाद काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
- यदि कोई महिला 07:00 बजे से 06:00 पूर्वाह्न के बीच काम करने से इनकार करती है तो उस महिला कर्मचारी को उसके रोजगार से बर्खास्त नहीं किया जाएगा ।
- 07:00 बजे से 06:00 पूर्वाह्न के बीच काम करने वाली महिला श्रमिकों को कारखाने के नियोक्ता और वापस उनके आवास से कार्यस्थल तक मुफ्त परिवहन प्रदान किया जाएगा।
- शाम 07:00 बजे से सुबह 06:00 बजे के बीच काम करने वाली महिला श्रमिकों को कारखाने के नियोक्ता द्वारा मुफ्त भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।
- 07:00 बजे से 06:00 पूर्वाह्न के बीच काम करने वाली महिला श्रमिकों को काम के घंटों और उनकी यात्रा के दौरान पर्याप्त पर्यवेक्षण प्रदान किया जाएगा।
- नियोक्ता कार्यस्थल के पास शौचालय, वाशरूम, चेंजिंग रूम, पीने की सुविधा और रोशनी सुनिश्चित करेगा।
- प्रातः 07:00 बजे से प्रातः 06:00 बजे के बीच कार्य के दौरान कम से कम चार महिला श्रमिकों को परिसर या किसी विशेष विभाग में कार्य करने की अनुमति होगी।
- नियोक्ता महिला श्रमिकों के नियोजन के संबंध में उनके द्वारा प्रस्तावित व्यवस्था को सत्यापन के लिए संबंधित क्षेत्र के कारखानों के निरीक्षक को इस तरह के सत्यापन के लिए अधिकतम सात दिनों की अवधि के लिए सूचित करेगा।
- नियोक्ता रात की पाली में काम करने वाली महिला श्रमिकों के विवरण के बारे में संबंधित क्षेत्र के कारखानों के निरीक्षक को इलेक्ट्रॉनिक या अन्यथा मासिक रिपोर्ट भेजेगा और जब भी कोई अप्रिय घटना होती है तो कारखाने के निरीक्षक को एक एक्सप्रेस रिपोर्ट भी भेजेगी। संबंधित क्षेत्र, और स्थानीय पुलिस स्टेशन भी।
- कारखानों का निरीक्षक महिला श्रमिकों की सुरक्षित कार्य स्थितियों को लागू करेगा और समय-समय पर उनके निरीक्षण में गैर-अनुपालन को ध्यान से रखेगा।
- यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए नियोक्ता उचित कदम उठाएगा। कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 या किसी अन्य संबंधित अधिनियमों में निर्धारित अनुसार नियोक्ता को कारखाने में ही शिकायत तंत्र बनाए रखना होगा।
- महिला कामगारों को उनके अधिकारों के बारे में विशेष रूप से आवश्यक दिशा-निर्देशों को प्रमुखता से प्रदर्शित करके जागरूक किया जाएगा।
- कारखाने के नियोक्ता द्वारा ऊपर निर्धारित किसी भी शर्त के उल्लंघन पर अनुमति स्वतः रद्द मानी जाएगी।
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इससे पहले, राज्य में भाजपा सरकार ने महिला सशक्तिकरण योजना के लिए 75.50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था। राज्य प्रशासन ने जिला स्तर पर महिलाओं के लिए साइबर सपोर्ट डेस्क स्थापित करने की भी सिफारिश की है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यह कदम शहरी और ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रयास में उठाया गया है.