‘मासिक धर्म’ के लिए छुट्टी की अवधारणा- अल्पावधि में उत्कृष्ट लेकिन लंबे समय के लिए विनाशकारी है

'मासिक धर्म' के लिए छुट्टी की अवधारणा क्या सही है? समझिए

period cramp in office

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ऐसी खबर हाल ही में आयी है कि स्पेनिश गवर्नमेंट मासिक धर्म [Menstruation] के दौरान महिलाओं को छुट्टी देने के बारे में विचार कर रही है। जापान, साउथ कोरिया और भारत की फूड डिलीवरी सर्विस Zomato भी अपनी महिला कर्मचारियों को पेड पीरियड लीव यानी मासिक धर्म के दौरान छुट्टी देती है।

एक तरफ तो यह बहुत अच्छी बात है कि सरकारें और कई बड़ी कंपनियां अपनी महिला कर्मचारियों की परेशानियों को समझने का प्रयास कर रही हैं। दूसरी तरफ अभी भी इस बात पर बहस होने लगती है कि जब महिलाएं पीरियड में हों और उनको काम करने में परेशानी हो रही हो तो क्या वे छुट्टी के लिए आवेदन कर सकती हैं? यह छुट्टी वैतनिक होगी या अवैतनिक होगी? महिलाओं को पीरियड लीव मिलनी चाहिए या नहीं?

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छुट्टी की क्यों हो सकती है आवश्यकता?

दरअसल, छुट्टी संबंधी ऐसे प्रश्न इसलिए उठते हैं क्योंकि महिलाएं पीरियड्स के दौरान कई परेशानियों से जूझती हैं, जैसे कि चिढ़चिढ़ापन, बदन दर्द, पेट में दर्द, और भी बहुत कुछ। कई महिलाओं को इस दौरान ऐसा कमर दर्द होता है कि मानो 80 किलो का वजन पीठ पर देकर किसी मैराथन में दौड़ने को भेज दिया हो। ऐसी परेशानियां होंगी तो छूट्टी पर बहस भी होगी और समाधान भी खोजना होगा। लेकिन अगर कोई इस समस्या का समाधान छुट्टी ले लेना समझता है तो इस बात पर उसे अवश्य अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि पीरियड लीव के कारण और कौन-कौन सी दूसरी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

समझना होगा और अवश्य प्रश्न करना होगा कि ये पेड लीव्स हर महीने आने वाली पीरियड्स की समस्या के समाधान के रूप में कब तक काम कर पाएंगी और एक महत्वाकांक्षी और उमंगी महिला को उसके सपनों के कितना पास या दूर ले जा पाएंगी? प्रश्न ये भी है कि ऐसी छुट्टियों से महिलाओं के लिए दूरगामी परिणाम किस तरह के हो सकते हैं?

सोचिए कि अगर एक महिला को हर महीने पीरियड्स के पहले दो दिन की भी छुट्टी दी जाए तो एक साल में 24 दिन हुए। जो की लगभग एक महीने के बराबर है। महिला के लिए उस महीने में उस स्थिति के लिए छुट्टी समाधान तो बन जाएगी लेकिन जब प्रमोशन, इंक्रिमेंट जैसी स्थितियां आएंगी तो वो अपने साथी पुरुष कर्मचारी से पीछे पायी जाएंगी क्योंकि वो साल में लगभग एक माह छुट्टी पर थीं। जब काम के आधार पर किसी पद का चयन किया जाएगा तो महिला का साल में एक माह काम न करना अवश्य जोड़ा जाएगा। ऐसे में उनके पीछे रह जाने की पूरी संभावना दिखती है, चाहे महिला जितनी भी मेहनती, लक्ष्य के प्रति सजग और गंभीर हो।

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वास्तविक और दूरगामी समाधान क्या हो सकते हैं?

यह एक अच्छी बात है कि कंपनियां अब महिलाओं की परेशानियों को समझ रही हैं और पीरियड्स को टैबू समझने के बजाए उन पर बात करने को तैयार हैं। फिलहाल कुछ ऐसे सुझाव हैं जो कंपनियां अपना सकती हैं और महिलाओं को वास्तविक और दूरगामी समाधान दे सकती हैं।

* कंपनियां अपने कार्यालय की महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन और आवश्यकता पड़े तो संबंधित दवाइयां उपलब्ध करवा सकती हैं।

* महिलाओं को महीने के चार से पांच दिन आराम से काम करने दिया जा सकता है। वर्कप्रेशर कम हो तो और अच्छी बात है।

* इस दौरान हो सके तो महिलाओं को Work from home यानी घर से काम करने की अनुमति मिलनी चाहिए ताकि इससे उनका काम भी न छूटे और ऑफिस आने जाने की थकावट से वो बच जाएं, किसी तरह के चिढ़चिढ़ेपन से बच जाएं, घर पर रिलैक्स होकर अपना काम पूरा कर सकें।

* अगर ऐसी स्थिति में महिलाएं ऑफिस आ रही हैं तो उनके लिए एक रेस्ट रूम की भी व्यवस्था की जाए ताकि जब कभी उनका पीरियड क्रैम्प असहनीय हो जाए तो वो उस रेस्ट रूम में जाकर आराम कर सकें।

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कुछ और बातों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है

स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां पीरियड्स में भी स्कूल जाती हैं, एग्जाम में भी बैठती हैं और ओलम्पियाड का हिस्सा भी बनती हैं। आजकल पढ़ाई में इतनी प्रतिस्पर्धा है कि हर महीने चार दिन की छुट्टी भी कक्षा की उस होशियार लड़की को काफी पीछे धकेल सकती है जो पीरियड के कारण हर महीने के कुछ दिन छुट्टी पर रही हो।

पीरियड्स को साधारण सी घटना के रूप में देखने के लिए ये आवश्यक है की पीरियड्स से जुड़े किसी भी तरह के टैबू को दूर किया जाए साथ ही ये भी आवश्यक है कि महिलाओं के लिए पीरियड्स संबंधी कुछ ऐसे समाधान ढूंढे जाएं जिससे वो जीवन में  बिना किसी बाधा के आगे बढ़ती रहें। एक ऐसे समाधान की आवश्यकता है पीरियड्स या इस जैसी कोई और परेशानी से निपटने के लिए जिससे अपने करियर के लिए गंभीर रहने वाली महिलाओं की राहें कभी बाधित न हो पाएं।

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