डियर इकोनॉमिक टाइम्स, भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु ‘बम भोले’ का उद्धोष होता है न कि ‘बोम भोले’ का

इकोनॉमिक टाइम्स = एंटी हिंदू टाइम्स!

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जिन्ह के कपट दंभ नहिं माया, तिन्ह के हृदय बसहु रघुराया, अर्थात् जिनके न तो काम, क्रोध, मद, अभिमान और मोह हैं, न लोभ है, न क्षोभ है, न राग है, न द्वेष है और न कपट, दम्भ और माया ही है- हे रघुराज! आप उनके हृदय में निवास कीजिए। निश्चित रूप से देश आज भी घर के भेदियों का त्रास झेल रहा है, सेक्युलर चोला ओढ़ आज भी जिस धर्म को कोसा जाता है वो हिन्दू ही है। ज्ञानवापी विवाद में सबसे बड़ा प्रश्न जहां औरंगजेबी सोच के जिहादियों पर होना चाहिए था तब देश का मीडिया उस शिवलिंग पर तंज कस्ते हुए फब्तियां कस रहा था कि कुछ भी गोल आकार दिख जाए तो वो शिवलिंग हो जाती है। मतलब कहां जा रहा है ये देश, एक धर्म की धार्मिक स्वतंत्रता के लिए कथित शांतिदूत मरने मारने पर उतर आते हैं और दूसरे के साक्ष्यों को कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ते। ऐसा ही काम कट्टरता का हिमायती टाइम्स ग्रुप कर रहा है।

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जानें क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर से एक शिवलिंग के निकलने से उदारवादियों और इस्लामवादियों के कपडे ढीले हो गए और उन्हें बार-बार घबराहट के दौरे पड़ने शुरू हो चुके हैं। हद तो तब हो गई जब अवतरित शिवलिंग को चटक प्रवृत्ति वाले मीडिया समूह में से कई ने उसे भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की तस्वीर के साथ तुलना करते हुए व्यंग्यात्मक करने की कोशिश की। इस व्यंग्य को व्यंग्य की तरह छोड़ भी दिया जाता पर चूंकि ये टाइम्स ऑफ़ इंडिया समूह से था तो सीधा काम तो यहां होने से रहा था। ध्यान देने वाली बात है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का न्यायालय द्वारा अनिवार्य वीडियोग्राफी सर्वेक्षण पिछले सोमवार को पूरा हुआ था।

सर्वे टीम को कुएं के अंदर एक 12 फीट 8 इंच लंबा शिवलिंग मिला, जिसकी चौड़ाई 4 फीट के करीब है। विडंबना की बात यह है कि अगर अनन्य दावों पर विश्वास किया जाए, तो जिस कुएं में शिवलिंग पाया गया है, उसका इस्तेमाल मुसलमानों ने नमाज से पहले के वजुह के लिए किया था। इसके बाद से तो मामला और सिरे चढ़ता जा रहा है क्योंकि यह हिन्दू धर्म की आस्था के साथ भद्दा और घिनौना मज़ाक था। इसके बावजूद हिन्दू पक्ष न्यायलय पर भरोसा जताते हुए सारी कार्रवाई पूर्ण होने का इंतज़ार कर रहा है।

पर बात वही की वही है, टाइम्स ग्रुप जैसे घर के भेदी हिन्दू धर्म को तो धूमिल करने के षड्यंत्र हमेशा से रचते ही आए हैं पर आज उदारवादियों के विधवा विलाप के बाद टाइम्स वालों का ऐसा दिल पसीजा कि उसने बेशर्मी और तुच्छता और नीचता की सारी पराकाष्ठा ही पार कर दी। इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी औकात अनुसार और विवेकहीन बुद्धि के साथ हिंदुओं और उनकी मान्यताओं का मजाक उड़ाने के लिए एक दकियानूसी मीम प्रकाशित किया। जिसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र को एक कैप्शन के साथ दिखाया गया था, “बोम भोलेनाथ! आपको यकीन है कि यह भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र है”।

टाइम्स ग्रुप को भेजा गया लीगल नोटिस

निश्चित रूप से BOM BHOLENATH लिखकर मीम प्रकाशित करने का एक ही ध्येय है कि हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाना है। यह हिंदुओं को भड़काने के लिए की गई तुच्छता है। हिंदुओं का उपहास करना, उनकी मान्यताओं का मजाक उड़ाने आदि के मामले में सिर्फ टाइम्स ग्रुप ही नहीं बल्कि ऐसे कई देसी और विदेशी मीडिया घराने हैं जो ताक में रहते हैं कि कैसे हिन्दू धर्म की छवि को धूमिल किया जाए। इनका उद्देश्य हिंदुओं को ऐसे लोगों के रूप में चित्रित करना है जो अपने विश्वास के प्रतीक के समान किसी भी संरचना पर अवैध रूप से दावा करेंगे। वाह भाई वाह! सड़कों पर अतिक्रमण कर मजारें, मस्जिद और कब्र बनाने वाले वैध हैं और हिन्दू यदि कागजी और साक्ष्यों के साथ अपनी जगह का दावा कर दे तो वो अवैध। लिब्रांडुओं आखिर इतनी बकलोली आखिर लाते कहां से हो?

इकोनॉमिक टाइम्स का यह अहंकार कहें या नीचता, ऐसे बिना जांचे परखे BAM BHOLE को BOM BHOLE कर देना बड़े समूहों की निर्लज्जता और आलसीपन को प्रतिबिंबित करता है। कोई भी कम अकल का व्यक्ति तक जानता होगा कि मंत्र “बोम भोलेनाथ” नहीं बल्कि “बम भोले” है। लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि इस बार टाइम्स ग्रुप केस भी झेलेगा क्योंकि हिन्दू आस्था के प्रतीक महादेव पर मज़ाक बनाना कोई आम बात नहीं है। भाजपा नेता और पालघर साधु मामले के लिए याचिकाकर्ता रहे अधिवक्ता आशुतोष दुबे ने इस मीडिया ग्रुप को लीगल नोटिस भेजा है, जिसके बाद अब इस बात की पूरी संभावना है कि इन पर नकेल कसी जाएगी।

टाइम्स ने महादेव का किया अपमान

टाइम्स ग्रुप के उपर्युक्त प्रकरण से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं, क्या यह जल्दबाजी में प्रकाशित किया गया था या ईटी में काम करने वाला प्रत्येक व्यक्ति एक विकृत धर्मांध है या नहीं, यह अभी तक ज्ञात नहीं है। गौरतलब है कि टाइम्स समूह का सदा से एक ही काम था- हिंदुओं का उपहास करना। यह ग्रुप शुरू से ही और काफी पहले से ही ऐसा करता आया है। इकोनॉमिक टाइम्स ने सिर्फ हिंदुओं को निशाना नहीं बनाया। वास्तव में उसने सबसे पूजनीय आराध्य देवों के देव महादेव को निशाना बनाया। यदि कोई प्रमुख मीडिया संगठन खुले तौर पर हिंदुओं का मज़ाक उड़ा सकता है, तो कोई केवल उस घृणास्पद घृणा की कल्पना और आंकलन कैसे कर सकता है जो इस्लामवादी और उदारवादी भारत के बहुसंख्यक समुदाय के खिलाफ करते आ रहे हैं। इस्लामवादी और उदारवादी हिंदुओं पर जितने भी कटाक्ष कर रहे हैं, उपहास उड़ा रहे हैं, उसके पीछे भारत के बहुसंख्यक समुदाय, उनकी आस्था, धार्मिक प्रतीकों और संस्कृति के प्रति उनकी गहरी नफरत है।

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