दिल्ली के ‘बाबू’ को अपने कुत्ते को टहलाना था इसलिए एथलीटों के लिए बंद कर दिया गया त्यागराज स्टेडियम

त्यागराज स्टेडियम में ये चल क्या रहा है भाई?

IAS officer Sanjeev Khirwar.

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नौकरशाही को देश की व्यवस्था संभालने के प्रतीक के रूप में बनाया गया था पर आए दिन अनेको अनेक घटनाक्रम इस बात को सिद्ध करते हैं कि कैसे नौकरशाही देश की मान मर्यादा पर सबसे बड़ा श्राप बनकर रह गया है। हालिया उदाहरण है, दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में प्रशिक्षण लेने वाले एथलीटों और कोचों ने आरोप लगाया कि उन्हें हर दिन की भांति अब पहले शाम 7 बजे तक प्रशिक्षण समाप्त करने के लिए कहा जाता है क्योंकि एक आईएएस अधिकारी संजीव खिरवार को अपने कुत्ते के साथ वहां टहलने की आपक होती है।

कुत्ते के साथ टहलने के लिए ये क्या कर रहे हैं अधिकारी?

वाह, एक प्रशासनिक सेवा अधिकारी जिस ध्येय के लिए स्टेडियम बने हैं उसको दरकिनार करते हुए अपने कुत्ते के साथ टहलने के लिए खिलाड़ियों को उनके अधिकार से वंचित कर रहे हैं, इससे बड़ा दुर्व्यवहार कहां ही देखने को मिलेगा। दरअसल, दिल्ली के प्रधान सचिव (राजस्व) संजीव खिरवार ने ‘कुत्ते को घुमाने’ के बाद नया विवाद छेड़ दिया है। संजीव खिरवार 1994 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वह वर्तमान में दिल्ली सरकार के राजस्व आयुक्त हैं, जिनके अधीन राष्ट्रीय राजधानी के सभी जिला मजिस्ट्रेट काम करते हैं। इसके साथ ही वे दिल्ली के पर्यावरण विभाग के सचिव भी हैं। वह पहले दिल्ली में व्यापार और कर आयुक्त के रूप में तैनात थे।

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आईएएस संजीव खिरवार के खिलाडियों के साथ ऐसे खिलवाड़ पर वहीं के एक कोच ने कहा कि, “हम पहले सायं 8-8.30 बजे तक प्रशिक्षण लेते थे। लेकिन अब हमें शाम 7 बजे तक मैदान छोड़ने को कहा जाता है ताकि अधिकारी अपने कुत्ते के साथ ग्राउंड पर टहल सकें। हमारा प्रशिक्षण और अभ्यास दिनचर्या बाधित हो गया है।” एक अत्यंत जवाबदेहीपूर्ण दायित्व पर बैठे अधिकारी से कोई भी ऐसी तानाशाही पूर्ण व्यवहार की कतई उम्मीद नहीं कर सकता है पर हां, खिरवार ने ऐसा किया।

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मामला बढ़ने के बाद क्या हुआ?

मामला बढ़ने के बाद जब एक मीडिया समूह ने खिरवार से उनका पक्ष जानना चाहा तो 1994 बैच के आईएएस अधिकारी, खिरवार जवाब देते हुए आरोप को “बिल्कुल गलत” बताया। उन्होंने स्वीकार किया कि वह “कभी-कभी” अपने पालतू कुत्ते को टहलाने के लिए ले जाते हैं, लेकिन इस बात से इनकार करते हैं कि इससे एथलीटों की अभ्यास दिनचर्या बाधित होती है।”

अब जो वहां के खिलाड़ी और कोच कह रहे हैं उसे भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है, संभवतः ऐसी कोई आपसी दुश्मनी न ही किसी खिलाड़ी या कोच की होगी जिसके कारण वो संजीव खिरवार के विरुद्ध यह सब कह रहे हैं। निश्चित रूप से ऐसा हुआ होगा तभी पूछे जाने पर कोच और खिलाडी अपनी आपबीती बता रहे हैं। यह बेहद अन्यायपूर्ण कृत्य है जिसकी निंदा अवश्य की जानी चाहिए क्योंकि स्टेडियम निर्माण का मूल ध्येय खिलाड़ी और अच्छे खिलाड़ी पैदा करना होता है जिसको संजीव खिरवार जैसी प्रशासनिक अधिकारी ने अपने रौब से बाधित करने का काम किया।

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