स्टालिन सरकार ने तमिलनाडु की सदियों पुरानी पट्टिना प्रवेशम परंपरा को अपवित्र कर दिया

द्रमुक सरकार सुधरने का नाम नहीं ले रही है!

Pattina Pravesam

source google

देश में दिन-प्रतिदिन भारतीय संस्कृति को कुछ राजनीतिक पार्टियां नुकसान पहुंचा रही हैं और इन सबमें तमिलनाडु की स्टालिन सरकार सबसे आगे दिख रही है। दरअसल जब से तमिलनाडु में DMK सरकार आई है तब से हिन्दू संस्कृति को चोट पहुंचाया गया है। हिन्दुओं के धार्मिक स्थल, मंदिरों को तोड़ने को लेकर स्टालिन सरकार की देशव्यापी आलोचना हुई है फिर भी द्रमुक सरकार सुधरने का नाम नहीं ले रही है। आपको बता दें कि तमिलनाडु फिर से विवादों के केंद्र में है। दरअसल, द्रमुक सरकार के शैव परंपरा पर एक और हमले से राज्य में विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल एक अनुष्ठानिक यात्रा में पालकी में मठाधीश द्वारा सिर ले जाने की सदियों पुरानी प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के राजस्व विभाग के एक अधिकारी के फैसले से तमिलनाडु में आक्रोश फैल गया है।

पट्टिना प्रवेशम’ संस्कार को लेकर लोगों में आक्रोश पैदा हो गया

मयिलादुथुराई जिले के धर्मपुरम अधीनम में ‘पट्टिना प्रवेशम’ संस्कार को लेकर लोगों के बीच आक्रोश पैदा हो गया जिससे आरडीओ ने मानवाधिकारों के उल्लंघन और कानून व्यवस्था के मुद्दों का आरोप लगाया और अंततः अनुष्ठान पर प्रतिबंध लगा दिया।

और पढ़ें- मेडिकल कॉलेज में छात्रों ने महर्षि चरक की शपथ क्या ली, स्टालिन ने डीन ही हटवा दिया

तमिलनाडु भाजपा ने धार्मिक आयोजन पर प्रतिबंध लगाने के लिए डीएमके शासन के पीछे के राजनीतिक उद्देश्यों का दावा किया है और मदुरै के 293वें पुजारी अधीनम श्री ला श्री हरिहर श्री ज्ञानसंबंदा देसिका स्वामीगल ने अनुष्ठान की रक्षा के लिए कदम उठाते हुए कहा, ‘वह अपना जीवन देने के लिए तैयार थे।

आपको बता दें कि पट्टिना प्रवेशम, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘एक शहर में प्रवेश करना’, जो एक सदियों पुरानी रस्म है जिसमें इच्छुक भक्त एक देवता को एक सुशोभित पालकी पर ले जाते हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ लोगों के अनुसार मूल लक्ष्य शहर में आने वाले पोंटिफ का सम्मान करना था।

धर्मपुरम अधीनम मठ के संस्कार में पोंटिफ को चांदी की पालकी में धारण करना होता है। अपने पूर्ववर्ती पोंटिफ, श्रीलाश्री शनमुगा देसिगा ज्ञानसम्बंदा परमाचार्य स्वामीगल की मृत्यु के बाद, वर्तमान पोंटिफ, श्रीलाश्री मासिलामणि ज्ञानसंबंदा परमाचार्य स्वामीगल ने 13 दिसंबर, 2019 को धर्मपुरम अधीनम के रूप में पदभार ग्रहण किया। पोंटिफ के रूप में अपना कार्यभार संभालने के लिए उन्हें पालकी पर ले जाया गया। 24 दिसंबर, 2019 को सिरकाज़ी के पास वैथीस्वरन कोविल में धर्मपुरम अधीनम में इसी तरह का एक ‘पट्टिना प्रवेशम’ आयोजित किया गया था।

वैष्णव गुरु मन्नारगुडी श्री सेंडलंगरा जीयर ने प्रतिबंध पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ‘धर्मद्रोही’ और ‘देशद्रोही’ को ‘चेतावनी’ भेज दी है। उन्होंने कहा “पट्टिना प्रवेशम एक धार्मिक अनुष्ठान है। इसे रोकने का अधिकार किसी को नहीं है। यह मठ के अनुयायियों द्वारा किया जाता है। मैं, मन्नारगुडी जीयर के रूप में, इन ‘धर्मद्रोही’ और ‘देशद्रोही’ को उनके हिंदू विरोधी कार्यों के लिए चेतावनी देता हूं। अगर वे हिंदू मान्यताओं और मंदिरों में हस्तक्षेप करते हैं, तो इस सरकार का कोई भी मंत्री सड़क पर नहीं चल पाएगा।”

और पढ़ें- राज्यपाल का अधिकार छीनने पर तुली है तमिलनाडु की स्टालिन सरकार!

भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख ने क्या कहा?

भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख के अन्नामलाई ने कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के नेतृत्व में द्रमुक के पिछले शासन के दौरान भी मठ के ‘पट्टिना प्रवेशम’ कार्यक्रम धर्मपुरम अधीनम समय-समय पर होते थे। सरकार को आज्ञाओं के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए। प्रतिबंध वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा “यह सरकार गुरुओं का अनादर कर रही है और मठों को डरा रही है। सरकार को इस खतरनाक खेल को छोड़ देना चाहिए.”

एक सवाल का जवाब देते हुए अन्नामलाई ने कहा कि श्री वैष्णव मठ के एक पुजारी द्वारा सरकारी प्रतिबंध की निंदा करते हुए व्यक्त किए गए विचार से पता चलता है कि तमिलनाडु सरकार के कदम से हिंदू आध्यात्मिक गुरु आहत हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरी अपील है कि मुख्यमंत्री एम के स्टालिन कार्यक्रम की अध्यक्षता करें और यह उनका कर्तव्य है। वह सभी धर्मों को मानने वाले लोगों के लिए मुख्यमंत्री हैं। उसे दिखाने दें कि वह धर्मनिरपेक्ष हैं और वह सभी धर्मों का सम्मान करता है।

स्टालिन सरकार की हिन्दू विरोधी नीतियों ने तमिलनाडु को परेशान कर दिया है और आने वाले समय में भी स्टालिन का यही हिन्दू विरोधी रवैया रहता है तो राज्य का हिन्दू स्टालिन की सरकार को सड़क पर ले आएगी।

और पढ़ें- NEET, CUET & Hindi – केजरीवाल और ममता जैसे नेताओं के कारण रडार में नहीं आते ‘कुंठित’ स्टालिन जैसे लोग

Exit mobile version