झारखंड में फैले भ्रष्टाचार के विरुद्ध केंद्र सरकार की कार्यवाही से झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चिढ़ से गए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार और झारखंड के संबंध को रूस और यूक्रेन के संबंध के समान बता दिया है। अपने विवादास्पद बयान में झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा है “केंद्र जिस तरह से झारखंड में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई राज्य सरकार को अस्थिर करने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल कर प्रचार कर रहा था, उसकी तुलना यूक्रेन को विसैन्यीकरण और मिटा देने के लिए रूस की सैन्य कार्रवाई से की जा सकती है। रूस ने सोचा था कि वह एक या दो दिन में यूक्रेन को हरा सकता है, लेकिन देखिए कैसे यूक्रेन जवाबी हमला कर रहा है, जिसमें तीन महीने से युद्ध चल रहा है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर केंद्र को लगता है कि वह “झूठी कहानी” बनाकर लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर कर सकता है, तो यह सरासर गलत है। उन्होंने आगे कहा “हम लड़ेंगे..मैं न झुकूंगा और न कायरों की तरह भागूंगा।” उन्होंने झारखंड सरकार के संघर्ष को यूक्रेन के संघर्ष के समान बताया है। लगता है हेमंत सोरेन अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं।
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झारखंड का अस्तित्व
सर्वप्रथम तो हेमंत सोरेन को यह पता होना चाहिए कि रूस और यूक्रेन दो स्वतंत्र और संप्रभु देश हैं जबकि झारखंड संप्रभु देश नहीं है बल्कि भारतीय गणराज्य का एक अंग है। उनका बयान देश के संघात्मक ढांचे के विरुद्ध है। केंद्र देश का संचालन करने के लिए एक केंद्रीय शक्ति की भूमिका निभाती है जबकि राज्यों को प्रशासनिक सुविधा और बेहतर कार्यप्रणाली के लिए गठित किया जाता है। दूसरी बात हेमंत सोरेन यह भूल रहे हैं कि उनकी पार्टी का अस्तित्व पूरे झारखंड के अस्तित्व से नहीं जुड़ा है। उनकी पार्टी भ्रष्टाचारियों के पक्ष में खड़ी है तो इसका यह अर्थ नहीं है कि पूरा झारखंड प्रदेश भ्रष्टाचारियों के पक्ष में खड़ा है।
निश्चित रूप से झारखंड हेमंत सोरेन जैसे बलात्कार के आरोपी के पक्ष में खड़ा नहीं होगा। यह सत्य है कि उन्होंने चुनाव जीता है और जब तक उनका कार्यकाल समाप्त नहीं होता और जब तक उनके पास बहुमत है उन्हें सत्ता से नहीं हटाया जा सकता। किंतु इसका अर्थ यह नहीं कि झारखंड के लोग एक बलात्कार के आरोपी नेता के साथ में राज्य के अस्तित्व को जोड़ कर देखने लगे हैं, न ही झारखंड के लोग भ्रष्टाचार के समर्थन में खड़े हैं।
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उपराष्ट्रवाद और क्षेत्रवाद
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने झारखंड में आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आईएएस अफसर पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया है। पूजा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की खास हैं। वह खनन और उद्योग विभाग में सचिव पद पर कार्यरत थीं। उनपर मनी लांड्रिंग का जो मुकदमा है, वह 5 वर्ष पुराना है किंतु हेमंत सोरेन सरकार ने इस मामले को आगे ही नहीं बढ़ने दिया था। हेमन्त सोरेन एक ओर तो यह कह रहे हैं कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासन में भ्रष्टाचार हुआ, अब पूरे कार्यकाल की जांच करनी होगी, दूसरी ओर केंद्रीय एजेन्सी की ओर से की जा रही गिरफ्तारी के बाद ऐसी कार्रवाई की तुलना रूस यूक्रेन युद्ध से करने लग रहे हैं।
बड़े परिपेक्ष में देखें तो यह एक नकारात्मक चलन इन दिनों हावी होता दिख रहा है। राज्य सरकारों द्वारा केंद्र सरकार के विरुद्ध राजनीतिक लड़ाई में उपराष्ट्रवाद और क्षेत्रवाद का प्रयोग किया जा रहा है। ऐसे राज्य जहां क्षेत्रीय दलों का प्रभाव है और उस राज्य की अपनी विशेष भाषा और संस्कृति है वह लोगों को केंद्र के विरुद्ध भड़काने के लिए राज्य की अस्मिता को अपनी राजनीति में प्रयोग कर रहा है। यह एक प्रकार से भाजपा के राष्ट्रवाद की राजनीति के उत्तर में उपराष्ट्रवाद की राजनीति को बढ़ावा देना है।
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जब महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी की सरकार का गठन हो रहा था उस समय NCP के एक बैनर पर लिखा था, इतिहास गवाह है महाराष्ट्र दिल्ली के आगे नहीं झुकता। पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी द्वारा बंगाली अस्मिता के नाम पर चुनाव लड़ा गया और केंद्र को घुसपैठिए के समान प्रदर्शित किया गया। हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की इसी राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं। हेमंत सोरेन इन लोगों से एक कदम आगे बढ़ते हुए झारखंड को संप्रभु देश के सामान बताने लगे हैं। यह तुच्छ राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए देश के हित से समझौता करने का कार्य है और ऐसी मानसिकता का राज्य के लोगों द्वारा ही दमन आवश्यक है।