सर्विस चार्ज के नाम पर ग्राहकों को लूटने वाले रेस्टोरेंट्स पर अब चलेगा सरकारी डंडा

अब नहीं चलेगी रेस्टोरेंट्स की चालाकी!

Service Charge

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जब आप किसी महंगे रेस्टोरेंट में जाते हैं तो वहां खाने के बाद का बिल देख कर शायद आपके भी होश कई बार उड़े होंगे. पर क्या आपने कभी सोचा है कि रेस्टोरेंट में इतनी महंगाई क्यों? प्याज ज़्यादा महंगा हो गया है या फिर आलू के भाव बढ़ गए? दरअसल, आप अपने खाने के बिल को अगर ध्यान से देखें तो आपको उस पर Service Charge ज़रूर दिखेगा. रेस्टोरेंट अपनी मेज़बानी के लिए आपको आपके पूरे बिल का 10% सर्विस चार्ज देने के लिए कहता है और एक सर्वे के मुताबिक 37% भारतीय तो इस पर ध्यान भी नहीं देते, लेकिन कोई ध्यान दे या न दे Consumer Affairs Department इस पर ध्यान दे रहा है और अब जल्द ही इस पर सरकार की ओर कदम भी उठाया जा सकता है. पर उससे पहले यह जानते हैं कि आखिर ये सर्विस चार्ज होता क्या है और रेस्टोरेंट कैसे ग्राहकों को बेवकूफ बनाते हैं?

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यहां समझिए कैसे बेवकूफ बनते हैं आप?

ध्यान देने वाली बात है कि रेस्टोरेंट में सर्विस चार्ज खाना परोसने वाले, बनाने वाले या अन्य सेवा देने वाले के लिए लिया जाता है. सर्विस चार्ज आपके पूरे बिल का 10% तक हो सकता है. रेस्टोरेंट यह पैसा अपने स्टाफ पर खर्च करता है, लेकिन क्या हो अगर आपको उस रेस्टोरेंट का खाना पसंद न आया या फिर उनकी सर्विस पसंद नहीं आयी? क्या आपको तब भी सर्विस चार्ज देना होगा? तो जवाब है नहीं! हालांकि, कुछ रेस्टोरेंट अपने कस्टमर को यह सर्विस चार्ज देने के लिए उन पर दबाव बनाते हैं लेकिन एक ग्राहक के तौर पर आपको पूरा हक है इसे न कहने का और आपको न कहने का हक तो यहां खुद सरकार ने दी है.

अप्रैल 2017 में डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स (DoCA) ने कुछ निर्देश दिए थे, जिनके तहत कोई रेस्टोरेंट और होटल कस्टमर को सर्विस चार्ज देने के लिए मजबूर नहीं कर सकता. सरकारी आदेश में तो बिल में भी सर्विस चार्ज का कॉलम खाली रखने के निर्देश दिए गए थे और कहा गया था कि कस्टमर अपनी मर्ज़ी से उस कॉलम में जितनी चाहे उतनी रकम भर सकता है. यानी कि सर्विस चार्ज पूरी तरह से स्वैच्छिक है, अगर ग्राहक अपनी इच्छा से सर्विस चार्ज देना चाहता है तो ठीक, वरना कोई बात नहीं. अगर कोई ग्राहक रेस्टोरेंट को सर्विस चार्ज देने से मना करता है तो रेस्टोरेंट को वह चार्ज बिल से हटाना होगा.

सरकार जल्द ही बना सकती है कानून

आपको बताते चलें कि सरकारी आदेश के बाद कुछ रेस्टोरेंट ने चालाकी दिखाते हुए अपने मेनू और होटल के गेट पर लिखवा दिया कि अगर आप हमारे यहां खाना आर्डर करते हैं तो आप सर्विस चार्ज देने के लिए भी हामी भर रहे हैं. और इस तरह आपकी 5 रूपए की चाय की कीमत 50 रुपए हो गयी. हालांकि, DoCA ने यह भी साफ़-साफ़ कहा था कि कस्टमर को इस तरह से बिल देने के लिए मजबूर करना Consumer Protection Act, 1986 का उल्लंघन है. पर कई रेस्टोरेंट इसके बाद भी सर्विस चार्ज वसूलते रहे. एक सर्वे के मुताबिक लगभग 7% लोगों ने रेस्टोरेंट से बात कर के अपने बिल से सर्विस चार्ज हटवाया, जबकि बाकी लोग सर्विस चार्ज देकर आये जिनमें से कुछ तो साथ में टिप भी देकर आये.

National Consumer Helpline पर कई लोगों ने रेस्टोरेंट द्वारा ज़बरदस्ती सर्विस चार्ज वसूलने की बात कही, तो DoCA ने 2 जून 2022 को National Restaurant Association of India के साथ एक मीटिंग बुलाई है जिसमें सर्विस चार्ज के नाम पर की जाने वाली वसूली के ऊपर चर्चा होगी. इस मीटिंग में कई होटल और रेस्टोरेंट हिस्सा लेंगे. उम्मीद की जा रही है कि इस बातचीत के बाद सिर्फ निर्देश ही नहीं बल्कि ऐसा क़ानून बनाया जायेगा, जो सर्विस चार्ज के नाम पर ग्राहकों की जेब कटने से बजाएगा. होटल या रेस्टोरेंट की चालाकी पर नकेल कसने और ग्राहकों को बचाने की दिशा में सरकार कदम बढ़ा चुकी है.

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