फैक्ट-चेकिंग के नाम पर कई वेबसाइट्स अपने प्रोपेगेंडा को काफी पहले से ही बढ़ावा देते आई है। अपने आप को कथित तौर पर फैक्ट चेकर बताने वाली Alt News भी इन्हीं में से एक है। इसके संस्थापक मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा आये दिन सोशल मीडिया पर जहर उगलते दिख जाते हैं! उन्हें अक्सर इस वेबसाइट के जरिए फैक्ट चेक के नाम पर झूठ परोसते देखा गया है। उनका यह दिखावा कुछ लोगों को दिग्भ्रमिक भी कर चुका है। इसी बीच खबर है कि ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा भारतीय लेखक और कार्यकर्ता हर्ष मंदर को शांति अनुसंधान संस्थान ओस्लो (PRIO) द्वारा नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अपनी वार्षिक शॉर्टलिस्ट में नामित किया गया है। ध्यान देने वाली बात है कि PRIO के निदेशक हर साल नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अपनी व्यक्तिगत शॉर्टलिस्ट के साथ आते हैं। वर्ष 2017 में पद संभालने वाले वर्तमान निदेशक हेनरिक उरदल ने 1 फरवरी को अपनी पांचवीं सूची प्रस्तुत की थी, जिसके विजेता की घोषणा अक्टूबर में की जाएगी।
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ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर को फेक न्यूज़ से निपटने में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए इस सूची में शामिल किया गया है। यहां तक कि अन्य वामपंथी झुकाव वाली वेबसाइट भी झूठ फ़ैलाने के मामले में अव्वल दर्जा प्राप्त कर चुके हैं। यह बड़ी दुःख की बात है कि इन जैसे वामपंथी और झूठे पत्रकारों को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर जैसे दो कौड़ी के पत्रकार आज फैक्ट चेक के नाम पर लोगों को भरमाते है और अशांति फैलाते हैं, उन्हीं लोगों को आज नोबेल पुरुस्कार वाली संस्था नोबेल शांति पुरस्कार देने की बात करती है, जो निंदनीय है!
नोबेल शांति पुरस्कार
आपको बताते चलें कि नोबेल शांति पुरस्कार 1901 से हर साल नॉर्वेजियन नोबेल समिति द्वारा व्यक्तियों या संगठनों को दुनिया में शांति को बढ़ावा देने के लिए उनके प्रयासों और कार्यों के लिए दिया जाता है और इसे दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है। नोबेल शांति पुरस्कार रसायन विज्ञान, भौतिकी, शरीर क्रिया विज्ञान या चिकित्सा और साहित्य के साथ पांच नोबेल पुरस्कारों में से एक है। यह पुरस्कार उस व्यक्ति को दिया जाता है जिसने राष्ट्रों के बीच भाईचारे के लिए स्थायी सेनाओं के उन्मूलन या कमी के लिए और शांति कांग्रेस के आयोजन और प्रचार के लिए सबसे अधिक या सबसे अच्छा काम किया है। अब न प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर जैसे लोग शांति दूत हैं और न हीं कोई पत्रकार, इनका काम है सच को झूठ और झूठ को सच साबित करके आम जनमानस के बीच नफरत फैलाना और दिग्भ्रमित करना। अब लोगों को भ्रमित करने का उनका जादू कुछ ऐसा चला है जिससे नोबेल शांति पुरस्कार संस्था भी नहीं बच पाई है।
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