दिल्ली में अल्पसंख्यक बच्चों के लिए मुफ्त निजी स्कूल शिक्षा, क्यों हिंदुओं स्वाद आया!

क्यों केजरीवाल बस अल्पसंख्यकों ने ही वोट दिया था क्या?

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षड्यंत्रकारी शासकों में जब भी भावी पीढ़ियां नाम दोहराएंगी तो कलयुग के सबसे बड़े षड्यंत्रकारी के रूप में दिल्ली के कथित मालिक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम सबसे ऊपर आएगा। षड्यंत्रकारी विशेषण मिलना ऐसे ही नहीं हो गया, अपने कर्मों का प्रतिफल भोगना तो संसार की रीत रही है, उसी का अनुसरण केजरीवाल कर रहे हैं जो कि कोई नई बात नहीं है।

दिल्ली सरकार का ये है नया फैसला

दरअसल, अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार ने सभी निजी स्कूलों को ‘कक्षा 1 से 12 तक के अल्पसंख्यक छात्रों को ट्यूशन फीस की प्रतिपूर्ति’ के तहत अल्पसंख्यक छात्रों की ट्यूशन फीस वापस करने के लिए कहा है, जो एक राज्य द्वारा वित्त पोषित योजना है। इसके बाद एक ही सवाल सबके सामने है दिल्ली में अल्पसंख्यक बच्चों के लिए निजी स्कूल में मुफ्त शिक्षा, क्या हाल हैं हिन्दुओं? आ गया स्वाद!

दरअसल, दिल्ली शिक्षा निदेशालय, दिल्ली DoE द्वारा एक आधिकारिक आदेश जारी किया गया था। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने सोमवार को दिल्ली के सभी निजी स्कूलों से अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों की ट्यूशन फीस वापस करने को कहा। यह निर्णय तब आया जब सरकार को स्कूल स्तर पर लंबित मामलों की अधिक संख्या वाले लाभार्थी छात्रों को फीस के भुगतान में देरी का सामना करना पड़ रहा था।

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ज्ञात हो कि, अल्पसंख्यक छात्रों के लिए दिल्ली सरकार की योजना के तहत ‘अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों के लिए ट्यूशन फीस की प्रतिपूर्ति’ के तहत पहली से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले, दिल्ली में अल्पसंख्यक छात्र जिनकी पारिवारिक आय 3.00 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम है, उन्हें वर्ष के अंत में ट्यूशन फीस पूरी तरह से वापस मिल जाती है। योजना के अनुसार, फीस की प्रतिपूर्ति केवल उन्हीं छात्रों को की जाती है, जिन्होंने 50% या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं और पिछले वर्ष में 70% से कम उपस्थिति नहीं है। एक छात्र के लिए आवंटित की गई अधिकतम राशि रु 48,000 है।

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वोट क्या केवल अल्पसंख्यकों ने दिया था?

वाह जी वाह, वोट तो सिर्फ एक वर्ग विशेष से मिला था तभी तो केजरीवाल सरकार ने ऐसी योजना को स्वीकृत दे कर एक और बार अपना अल्पसंख्यक कार्ड खेल दिया है। अब फ्री-पुरुष के ढकोसलों से ग्रसित दिल्ली की वो जनता क्या करेगी जिसे फ्री के अतिरिक्त कुछ दिख ही नहीं रहा है, और तो और उसके सामने दिल्ली का राजस्व एक वर्ग विशेष के लिए लुटा जा रहा है पर उसे फर्क नहीं पड़ रहा क्योंकि उसके लिए तो यही सत्ता और शासन व्यवस्था स्वर्गलोक समान है।

बता दें, अब, दिल्ली के निजी स्कूलों को 12 मई, 2022 के नये आदेश का पालन करने का निर्देश दिया गया है, जो उन्हें कक्षा 1 से 12 तक के सभी अल्पसंख्यक छात्रों के लिए फीस वापस करने के लिए कहता है। स्कूलों को शैक्षणिक वर्षों 2020-21 और 2021-22 के लिए आदेश को लागू करने के लिए कहा गया है। । दिल्ली सरकार की योजना ‘अल्पसंख्यक छात्रों को बारहवीं कक्षा से ट्यूशन फीस की प्रतिपूर्ति’ से संबंधित आदेश में स्कूलों को ऐसे सभी आवेदनों का ऑनलाइन सत्यापन ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर पूरा करने के लिए भी कहा गया है।

अब तुगलकी फरमान पुराने हो गए हैं अब शाही नवाब केजरीवाल की तकरीरें और फरमान दिल्ली की जनता के लिए जारी होने लगे हैं और उसके लिए स्वयं वही हिंदू मतदाता ज़िम्मेदार हैं जो आंख मूंदकर अपने सेक्युलर होने का सबूत केजरीवाल को वोट देकर देते रहे हैं।

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