ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर मौजूद फर्जी समीक्षाओं से परेशान हैं? वे जल्दी ही खत्म हो जाएंगी

ग्राहकों को अब वास्तविक समीक्षाएं ही दिखेंगी!

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ज्यादातर ई-कॉमर्स वेबसाइट अपने ग्राहकों को ठगने के लिए फ़र्जी रिव्यू का सहारा लेती हैं। वेबसाइट पर हजारों की संख्या में फर्जी रिव्यू लिख दिए जाते हैं, जिन्हें ग्राहक पढ़ते हैं और उत्पाद की गुणवत्ता पर विश्वास करके उत्पाद खरीद लेते हैं लेकिन जब वो प्रोडक्ट अच्छा नहीं निकलता है तो ठगा हुआ महसूस करते हैं। ऐसे में अब केंद्र सरकार इसके लिए कदम उठाने जा रही है। अगले कुछ वर्षों में ही ग्राहकों को ई-कॉमर्स वेबसाइट पर वही रिव्यू मिलेंगे जोकि वास्तविक होगे

भारत सरकार ने ई-कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स यानी ओएनडीसी को लॉन्च कर दिया है। ऐसे में दूसरी ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे अमेजॉन या फ्लिपकार्ट भी अपने एल्गोरिदम को ओनडीसी के साथ साझा करेंगी, यह होने पर फर्जी रिव्यू का सिस्टम पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।

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ओएनडीसी, यूपीआई (UPI) की तरह बहु-पक्षीय प्रोटोकॉल है  और एक पार्टी को एक कार्य तक सीमित रखकर ई-कॉमर्स संचालन को विघटित कर देगा। इससे अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, ओला या उबर जैसे सभी प्लेटफॉर्म खरीददार और विक्रेता के बीच लेन-देन को सुविधाजनक बनाने वाले उत्पाद बनकर रह जाएंगे। आने वाले वर्षों में अधिकांश ई-कॉमर्स साइटें ONDC में समाहित हो जाएंगी जैसे कि UPI के आने पर सभी भुगतान ऐप हो गए थे।

ओएनडीसी के सीईओ थैंपी कोशी (Thampy Koshy) ने बताया, ‘एक ओपन नेटवर्क के साथ ओएनडीसी सभी खरीददारों को सभी विक्रेताओं के लिए खोजे जाने योग्य बनाएगा।’

इसके साथ ही सरकार ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर नकली समीक्षाओं पर रोक लगाने के लिए एक रुपरेखा विकसित करेगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को भारतीय विज्ञापन मानक परिषद के साथ एक वर्चुअल बैठक का आयोजन किया था। इस बैठक में फर्जी समीक्षाओं से संभावित ग्राहकों को गुमराह करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के मुद्दे पर चर्चा की गई। इस बैठक में ई-कॉमर्स कंपनियों और अन्य संबंधित पक्षों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

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फर्जी समीक्षाएं और भ्रामक सूचनाएं, उपभोक्ता संरक्षण कानून-2019 के तहत उपभोक्ता अधिकार का उल्लंघन है। देश में रोजमर्रा के जीवन में ऑनलाइन खरीदारी का प्रचलन बढ़ रहा है।

ऐसे में फर्जी समीक्षाएं उपभोक्ता अधिकारों पर विशेष प्रभाव डालती हैं। मंत्रालय ने 223 प्रमुख वेबसाइटों की समीक्षा की थी। इसमें पाया गया कि 55 फीसदी वेबसाइटें यूरोपीय संघ द्वारा तय खरीदी-बिक्री के नियमों का उल्लंघन कर रही थी।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर उत्पादों एवं सेवाओं के बारे में अपनी समीक्षाएं पोस्ट करने वाले ग्राहकों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करना और इस बारे में वेबसाइट की जवाबदेही तय करना, इस मुद्दे के दो अहम पहलू हैं। इसके साथ ही ई-कॉमर्स कंपनियों को यह भी बताना होगा कि वे सर्वाधिक प्रासंगिक समीक्षा का चयन किस तरह निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से करते हैं।

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