भारत की एक और जीत- जर्मनी ने आखिरकार भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ को स्वीकारा

पूरी दुनिया में हो रही है भारत की बल्ले-बल्ले!

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भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ को जर्मनी ने मंजूरी दे दी है. पिछले लंबे समय से इस मंजूरी का इंतजार किया जा रहा था. अब इस खबर के बाद उन तमाम लोगों को बड़ी राहत मिली है, जो जर्मनी की यात्रा करने की तैयारी में हैं. यात्रा करने वाले भारतीयों को अब 1 जून से वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट देने की जरूरत नहीं होगी. कोवैक्सीन को ये मंजूरी ट्रैवल के लिए दी गई है. बीते गुरूवार को भारत बायोटेक ने अपने एक ट्वीट में इस बात की घोषणा करते हुए कहा कि “जर्मनी की फ़ेडरल कैबिनेट ने कोवैक्सीन को मंजूरी देते हुए कहा है कि प्रवेशकों को अब टीकाकरण के प्रमाण की आवश्यकता नहीं होगी. WHO  द्वारा स्वीकृत टीकों के साथ टीकाकरण करने वालों पर प्रतिबंधों में ढील दी है. यह घोषणा 1 जून 2022 से प्रभावी होगी.”

भारत में जर्मन राजदूत वॉल्टेर जे. लिंडनर ने अपने ट्विटर हैंडल से यह खबर साझा करते हुए कहा, “मैं बहुत खुश हूं कि जर्मन सरकार ने 1 जून से जर्मनी की यात्रा के लिए WHO – सूचीबद्ध कोवैक्सीन को मान्यता देने का निर्णय लिया है. दूतावास इस तरह के निर्णय के लिए काफी लम्बे समय से ज़ोर दे रहा है.” आज आखिरकार भारत सरकार की कोशिशे  रंग लायी और भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन को वैक्सीन पासपोर्ट के लिए योग्य टीकों की सूची में शामिल कर लिया गया है.

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टीकाकरण के बाद भी होना होता था क्वारंटीन

ध्यान देने वाली बात है कि अक्टूबर 2021 में जर्मनी ने नए यात्रा नियम को घोषित करते हुए कहा था कि वे भारतीय यात्री जिन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों खुराक ली है, उन्हें टीकारहित (Unvaccinated) समझा जायेगा. राजदूत वॉल्टेर जे लिंडरन ने इस बात पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि “जैसे ही विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत बायोटेक के कोविड वैक्सीन को मान्यता दे देगा, उनका देश कोवैक्सीन के सम्बन्ध में अगला कदम उठाएगा.” वहीं, भारतीय वैक्सीन कोविशील्ड की मान्यता को लेकर भी भारत और यूके के बीच तनाव उत्पन्न हुआ था, जिस पर वॉटर जे लिंडनर ने कहा था कि “मैं नहीं जानता की यूके भारत में बने कोविशील्ड को पहचान क्यों नहीं दे रहा. मैंने खुद कोविशील्ड की डोज़ यहां के एक अस्पताल में ली है.”

दरअसल, पिछले वर्ष ब्रिटिश सरकार ने यात्रा नियम जारी करते हुए कहा था कि जिन लोगों को कोवैक्सीन या किसी अन्य वैक्सीन का टीका लगाया गया है जिसे मान्यता प्राप्त नहीं है, उन्हें COVID-19 Negative Test आने के बाद ही देश में प्रवेश करने की इजाज़त दी जाएगी. इसके जवाब में नई दिल्ली द्वारा ब्रिटिश नागरिकों पर भी ऐसे ही पारस्परिक उपायों को लागू करते हुए आदेश जारी किया गया कि ब्रिटेन से भारत में आने वाले ब्रिटिश नागरिकों को उनके आगमन के बाद 10 दिनों के लिए क्वारंटीन में रहना होगा.

हालांकि, अब ब्रिटेन भी लाइन पर आ गया है और उसके साथ-साथ दुनिया के अन्य देश भी भारतीय वैक्सीन को अपनाने की ओर बढ़ चुके हैं. इससे पहले अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने भारत बायोटेक के कोविड-19 वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ के तीन में से दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल पर लगाई गई रोक हटा ली है. अमेरिका और कनाडा में इस वैक्सीन के लिए भारत बायोटेक के साझेदार ओकुजेन इंक की तरफ से जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई थी. वहीं, दूसरी ओर भारत बायोटेक दुनिया के तमाम देशों को वैक्सीन की आपूर्ति भी कर रहा है.

WHO ने नवंबर 2021 में दी थी स्वीकृति

आपको बताते चलें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नवंबर 2021 में भारत बायोटेक द्वारा बनाए गए COVID 19 वैक्सीन को स्वीकृति दे दी थी, जिससे विदेश यात्रा करने वाले लाखों भारतीयों ने चैन की सांस ली. हालांकि, जर्मनी में भारत बायोटेक की वैक्सीन को मान्यता नहीं दी गयी थी, जिस कारण भारतीयों को कोरोनारोधी वैक्सीन लगवाने के बाद भी क्वारंटाइन किया जाता था और कोरोना टेस्ट दोबारा कराना पड़ता था. यह प्रक्रिया काफी लम्बी हो जाती थी, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ जाता था।

गौरतलब है कि जिस भी वैक्सीन को कोई देश मंजूरी नहीं देता है, उसे लगाने वाले यात्रियों को कई नियमों का पालन करना होता है, जिसमें कोविड वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट, कोरोना टेस्ट, क्वारंटीन जैसे नियम शामिल हैं. कोवैक्सीन लेने वाले लोगों को भी जर्मनी में ऐसी ही दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन अब मंजूरी के बाद लोगों के लिए ये एक बड़ी राहत है. अब पूर्ण टीकाकरण यात्रियों को ग्रीन पास मिल चुका है और इसी के साथ भारत को एक बड़ी जीत हासिल हुई है.

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