एक होते हैं राजनीतिक नौसिखिये, फिर आते हैं अरविन्द केजरीवाल जैसे बेवकूफ और फिर आते हैं जीतन राम मांझी और उदित राज जैसे महानुभाव, जो चुनाव के अंडरटेकर समान हैं, यानी जब तक चुनाव आसपास न हो, इनका अस्तित्व भी किसी को ज्ञात न होवे! ऐसे ही एक राजनीतिक अंडरटेकर समान है हार्दिक पटेल, जिन्होंने राजनीति में कदम तो जोर शोर से रखा था, परंतु आज तो शायद इनके परिवार वाले भी सोचते होंगे, ‘हार्दिक पटेल कौने छे?” (हार्दिक पटेल कौन है?)
अब महोदय को कांग्रेस में अपने लिए कोई लाभ न दिखते हुए उन्होंने आखिरकार कांग्रेस को ‘खत्म टाटा गुडबाय’ कह दिया है, यानी अपना त्यागपत्र सौंप दिया है। परंतु जिस तरह से हार्दिक पटेल ने अपना त्यागपत्र सौंपा है, उसने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है और एक बार फिर सिद्ध किया है कि आखिर क्यों कभी देश पर एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस अब भारत से सदैव के लिए नष्ट होने के मुहाने पर है।
हार्दिक पटेल के त्यागपत्र के अंश अनुसार, “कांग्रेस पार्टी देशहित व समाज हित के बिल्कुल विपरीत कार्य कर रही है। पार्टी सिर्फ विरोध की राजनीति कर रही है, जबकि देश के लोग विकल्प चाहते हैं जो उनके भविष्य के लिए सोचता हो। अयोध्या से लेकर अनुच्छेद-370, जीएसटी से लेकर सीएए तक के मुद्दे पर केवल केंद्र का विरोध करती रही। कांग्रेस पार्टी को आज देश का हर राज्य रिजेक्ट कर चुका है, इसकी वजह यही है क्योंकि कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व जनता के समक्ष एक रोडमैप प्रस्तुत नहीं करती। उनके शीर्ष नेतृत्व में ही गंभीरता की भारी कमी है” –
आज मैं हिम्मत करके कांग्रेस पार्टी के पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूँ। मुझे विश्वास है कि मेरे इस निर्णय का स्वागत मेरा हर साथी और गुजरात की जनता करेगी। मैं मानता हूं कि मेरे इस कदम के बाद मैं भविष्य में गुजरात के लिए सच में सकारात्मक रूप से कार्य कर पाऊँगा। pic.twitter.com/MG32gjrMiY
— Hardik Patel ( Modi Ka Parivar ) (@HardikPatel_) May 18, 2022
परंतु हार्दिक केवल इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, “जब मैं शीर्ष नेतृत्व से मिलता था और गुजरात की समस्या पर बात करना चाहा तो साफ पता चला कि उनका ध्यान गुजरात की परेशानियों से ज्यादा मोबाइल व बाकी की चीजों पर है। जब भी देश संकट में था और कांग्रेस के नेतृत्व की जरूत पड़ी तो वो विदेश में थे। ये व्यवहार बिल्कुल ऐसा ही है जैसे कांग्रेस को गुजरात से नफरत हो।”
परंतु सबसे भयंकर प्रहार तो अभी जैसे उन्होंने बचाकर रखा हुआ था। उसी पत्र में आगे लिखा, “मुझे दुख होता है कि कि हमारे जैसे कार्यकर्ता 500-600 किलोमीटर अपने खर्चे पर यात्रा करके जनता के बीच जाते हैं। लेकिन पार्टी के बड़े नेताओं की चिंता होती है कि दिल्ली के नेताओं ने चिकन सैंडविच खाया या नहीं।” वो कहते हैं कि उन्हें कई युवाओं ने पूछा था कि ‘तुम ऐसी पार्टी में क्यों हो जो हर समय हर क्षेत्र में गुजरातियों का अपमान करती है?’ कॉन्ग्रेस ने बुरी तरह युवाओं का भरोसा तोड़ा है। यही वजह है कि कोई युवा कांग्रेस के साथ दिखना भी नहीं चाहता।
यदि कांग्रेस को यह लगता है कि जनता उससे क्यों नहीं जुड़ पाती, तो उत्तर यहीं है। कई वर्षों पहले इसी बर्ताव के कारण एक व्यक्ति ने क्रुद्ध होकर कांग्रेस त्याग दिया था और आज उसी हिमन्ता बिस्वा सरमा ने पूर्वोत्तर भारत से कांग्रेस का सर्वनाश करके ही दम लिया। आज पूर्वोत्तर के एक भी राज्य में सरकार तो छोड़िए, विपक्ष में भी रहने के लिए कांग्रेस के लाले पड़े हुए हैं। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस ने इस प्रकरण से कोई सीख नहीं ली है और अब छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान को छोड़कर पूरे देश में कहीं भी उसकी सरकार नहीं बची है। हार्दिक पटेल भले ही राजनीतिक रूप से मृत हो, परंतु अपने त्यागपत्र से इसने कांग्रेस का अस्थि पंजर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
और पढ़े: कांग्रेस और हार्दिक का पटेल फार्मूला, इससे न तो पटेल समाज का भला है ना गुजरात का