गुजरात के मराठी भाजपा अध्यक्ष से खौफ में हैं दिल्ली के हरियाणवी सीएम

केजरीवाल को सताने लगा है हार का डर !

सीआर पाटिल

Source- TFI POST

अरविन्द केजरीवाल देश की राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री है और इतने बड़े पद पर रहते हुए भी केजरीवाल की भाषा बहुत हीं अमर्यादित रही है। केजरीवाल किसी ना किसी मुद्दे पर कई बार अपनी कुंठा दिखाते रहते हैं। अपने विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी पर एक महाराष्ट्रियन को अपनी गुजरात राज्य इकाई का प्रमुख बनाने पर सवाल उठाया। केजरीवाल ने पूछा, “मैं लंबे समय से एक चीज से नाराज हूं। भाजपा की गुजरात राज्य इकाई के अध्यक्ष सीआर पाटिल कौन हैं? वह कहाँ का रहने वाले है? और 6.5 करोड़ गुजरातियों में से, भाजपा नेताओं को राज्य से एक भी व्यक्ति अपनी राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाने के लिए नहीं मिला?” उन्होंने दावा किया कि यह गुजरात के लोगों का बहुत बड़ा अपमान है।

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केजरीवाल के बयान

हालांकि केजरीवाल यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा, ‘इससे बड़ा अपमान किसी पार्टी ने नहीं किया। क्या ये लोग महाराष्ट्र से गुजरात पर राज करेंगे? क्या ये लोग महाराष्ट्र के एक शख्स के जरिए गुजरात चलाएंगे? गुजरात की जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। वहीं केजरीवाल के बयान पर पलटवार करते हुए अब गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने केजरीवाल के बाहरी बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार के काम पर टिप्पणी करना आम बात है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की जमीनी स्तर पर लोक सेवा की कार्यशैली और सरकार के साथ-साथ संगठन की ताकत को देखते हुए यह स्वाभाविक है। केजरीवाल जी परेशान है ये डर काफी अच्छा है।

रैली के दौरान सीआर पाटिल पर केजरीवाल की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, राज्य के भाजपा प्रवक्ता याग्नेश दवे ने कहा कि आप नेता “बकवास” कर रहे थे क्योंकि वह सीआर पाटिल और भाजपा की लोकप्रियता से डरते थे। दवे ने आरोप लगाया, “केजरीवाल खालिस्तानियों और नक्सलियों से संबंध रखने वाले विशेषज्ञ हैं।” दवे ने कहा, “वह यह कहकर देश को बांटने आए हैं कि यह आदमी गुजराती है, वह आदमी मराठी है। गुजरात और महाराष्ट्र दोनों का स्थापना दिवस है और उनका बयान गुजरात और महाराष्ट्र के लोगों का अपमान है। “उन्होंने कहा कि भाजपा उनसे इसी तरह हरियाणा में पैदा होने और दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के लिए सवाल कर सकती थी। उन्होंने कहा, “हम उन पर ऐसा आरोप लगा सकते थे, लेकिन नहीं, भाजपा के संस्कार इसकी इजाजत नहीं देती। लेकिन आपके पास कोई संस्कार नहीं है।”

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देश के संविधान और राजनीति

किसी भी व्यक्ति को किसी भी राज्य में चुनाव लड़ने और राजनीति की अनुमति है। आज़ादी के बाद से ऐसे कई नेता रहे हैं जो अपने गृह राज्य को छोड़कर दूसरे राज्य से चुनाव लड़ते हैं या किसी तरह का पद ग्रहण करते हैं। अगर बात करें केजरीवाल की तो वो खुद हरियाणा से आते हैं पर वो आज दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। केजरीवाल को यह सोचना चाहिए की जब 2014 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ जब वो खुद चुनाव में उतरे थे तो उस समय वो किस राज्य से थे। इन मामलों में भाजपा हमेशा से देश के संविधान के मार्ग पर चला हैं। भाजपा जब भी चुनाव में उतरती है वो अपने पदाधिकारी को दूसरे राज्य में संयोजक बनाकर भेज देता हैं।

2017 चुनाव में गुजरात के अमित शाह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाना, राम माधव का दक्षिण भारत के होने के बावजूद नार्थ ईस्ट का प्रभारी बनाना और यही नहीं वर्तमान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कभी पंजाब के प्रभारी रहे हैं लेकिन केजरीवाल द्वारा इस तरह विभाजनकारी बयान से देश में राज्यों के बीच मतभेद पैदा कर सकता है। केजरीवाल जो खुद को दूध का धुला बताते हैं पर उनकी यह मानसिकता अब लोगों को समझ आ चुकी है। जिस जगह चुनाव होता है केजरीवाल अपना सांप्रदायिक जहर घोल देते हैं लेकिन जनता अब समझदार हो चुकी है और उनके कोई भाषण को दिल पर लेने नहीं वाली।

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