झारखंड की राजनीति में फिर से उथल-पुथल मचा हुआ है। हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का नाम उस जमीन के खनन विवाद में फंस गया, जिसे उन्होंने खुद को पट्टे पर दिया था और अभी यह मामला ठंडा ही नहीं हुआ था कि राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी और खनन सचिव पूजा सिंघल को प्रवर्तन निदेशालय ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के फंड और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के कथित गबन के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया। दरअसल, ED ने झारखंड की खनन सचिव पूजा सिंघल के कई परिसरों पर छापेमारी की। इस मामले को लेकर सम्बंधित जांच अधिकारियों ने कहा कि 2008-11 के दौरान राज्य के खूंटी जिले में 18 करोड़ रुपये से अधिक के मनरेगा फंड के कथित गबन से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के संबंध में यह छापेमारी की गई है। इन दोनों मामले को लेकर राज्य की सोरेन सरकार बैकफुट पर आ गई है और राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी ने उनका धागा खोलना आरंभ कर दिया है। स्थिति तो यह भी हो गई है कि हेमंत सोरेन अपने पद से इस्तीफा भी दे सकते हैं।
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सोरेन की जा सकती है कुर्सी
इस मामले को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कहा कि “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी को एक औद्योगिक क्षेत्र में 11 एकड़ जमीन दी गई है।” उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सोरेन उद्योग विभाग के प्रमुख हैं, इसलिए उन्हें यह बताना चाहिए कि क्या यह आवंटन उनके ज्ञान और प्रभाव में किया गया था। भाजपा नेता ने आगे कहा था कि हेमंत सोरेन के राजनीतिक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को साहेबगंज में महाकाल पत्थर के नाम पर पट्टा दिया गया है। इस मामले को लेकर दास ने स्वतंत्र एजेंसी से गहन जांच की मांग भी की थी। ध्यान देने वाली बात है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने खुद को और अपने भाई बसंत को ग्रेनाइट खनन पट्टा आवंटित किया। यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई, लेकिन इस मामले में बवाल इसलिए मच गया क्योंकि सोरेन के पास पर्यावरण और खनन विभाग थे। सोरेन ने 11 फरवरी, 2022 को पट्टे को सरेंडर कर दिया। हालांकि, अदालत ने इसे आपत्तिजनक पाया और उन्हें एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा।
इसी बीच भाजपा ने खनन से संबंधित सभी दस्तावेज राज्यपाल रमेश बैस को सौंपे, जिनकी सिफारिश के आधार पर चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री को नोटिस जारी किया। चुनाव आयोग ने सोरेन को जवाब देने के लिए 10 दिन का समय दिया है, क्योंकि सोरेन को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9A के तहत अयोग्य घोषित किए जाने का खतरा है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोरेन पर निजी फायदे के लिए पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि सोरेन का कार्य जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 का उल्लंघन है, जिसके परिणामस्वरूप उनका इस्तीफा हो सकता है। खनन घोटाले में नाम आने के बाद सोरेन को अपना मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ सकता है, क्योंकि उन्हें अयोग्य होने का डर सत्ता रहा है और उनकी सरकार भी गिरने के आसार दिखने लगे हैं।
सोरेन के विकल्प बन सकते हैं ये नेता
हालांकि, अनगड़ा प्रखंड की कार्यवाही से जुड़े दस्तावेज बताते हैं कि सोरेन का आवेदन 28 मई 2021 को रांची के जिला खनन अधिकारी (DMO) के पास पट्टे की मांग के लिए पहुंचा था। वहीं, 1 जून को DMO ने अनगड़ा के सर्किल ऑफिसर को जांच के लिए कहा। खनन पर सहमति जताने के लिए 7 जून को ग्राम पंचायत बुलाई गई। उसी दिन अनगड़ा प्रखंड विकास पदाधिकारी ने DMO को लिखित में जानकारी दी कि ग्रामसभा ने खनन के पट्टे के लिए सहमति दे दी और 15 दिन के भीतर 14 जून को सोरेन और गांव के 9 लोगों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर भी हो गए।
वहीं, इस मामले को लेकर दैनिक भास्कर में छपे लेख में झारखंड के पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार कहते हैं कि अगर रिप्रेंजेटेशन ऑफ पीपुल एक्ट के धारा 9(A) के ऑब्जेक्टिव मीनिंग पर जाएंगे तो ये गंभीर मामला है। आरोप सही पाए जाने पर ECI चाहे तो CM हेमंत सोरेन की सदस्यता को रद्द कर सकता है। ECI ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उनको नोटिस भी भेजा है। अब आगे की कार्रवाई उनके जवाब पर ही तय होगी।
इस मामले को लेकर झामुमो नेता मनोज कुमार ने कहा, “झामुमो सरकार को कोई खतरा नहीं है क्योंकि हमारे पास विधानसभा में बहुमत है। जहां तक खनन मामले की बात है तो हमने चुनाव आयोग से हमारी बात पर विचार करने को कहा है। हमारा मानना है कि खादान के मालिक होने से सोरेन की अयोग्यता नहीं होगी।” लेकिन इलेक्शन कमीशन तक मामला पहुंचने के बाद से हेमंत सोरेन के हाथ से सत्ता जाने का डर सता रहा है इसलिए JMM और हेमंत सोरेन नए मुख्यमंत्री के लिए नाम चयन करने में लगे हैं। आपको बता दें कि हेमंत सोरेन के विकल्प के तौर पर दो नाम चर्चाओं के केंद्र में हैं जिनमें हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का नाम पहले पंक्ति में चल रहा है, वहीं हेमंत सोरेन के कैबिनेट मंत्री चम्पई सोरेन भी मुख्यंत्री दावेदार में शामिल है। हालांकि अभी तक यह मामला चुनाव आयोग के संज्ञान में है लेकिन एक बात तो तय है कि अगर चुनाव आयोग ने इस मामले में सरकार को दोषी पाया तो हेमंत सोरेन का झारखंड की सत्ता से विदाई तय है।
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