‛नभः स्पृशं दीप्तम्’, वायुसेना अपने इस ध्येय वाक्य को कर रही है चरितार्थ

भारतीय वायुसेना ने पेपर ड्रैगन को कुचल कर रख दिया है!

Air Force Day

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‛नभः स्पृशं दीप्तम्’ अर्थात ‛गर्व के साथ आकाश को स्पर्श करें’ ये भारतीय वायुसेना का ध्येय वाक्य है और अब तक भारतीय वायुसेना संसाधनों की कमी के बाद भी अपने इस ध्येय वाक्य को अक्षरशः सही साबित करती रही है। गीता के ग्यारहवें अध्याय के 24वें श्लोक से ली गई है यह पंक्ति, जो भगवान विष्णु के विराट स्वरूप की व्याख्या करती है और अब नए अत्याधुनिक विमानों और हथियारों से सज्ज भारतीय वायुसेना विष्णु के विशाल स्वरूप की तरह ही विराट होती जा रही है और विश्व पटल पर अपनी छाप और गहरी करती जा रही है।

विश्व की तीसरी सबसे सशक्त वायुसेना है भारतीय वायुसेना

पिछले कुछ वर्षों में हुए आधुनिकीकरण के प्रयासों का परिणाम यह हुआ है कि अब भारतीय वायुसेना विश्व की तीसरी सबसे सशक्त वायुसेना बन चुकी है। हमारी वायुसेना अब पेपर ड्रैगन चीन की वायुसेना से अधिक सशक्त है। भारतीय वायु सेना की उपलब्धि को विदेशों की प्रतिष्ठित पत्रिका द्वारा भी स्वीकार किया जा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉर्डन मिलिट्री एयरक्राफ्ट (WDMMA) ग्लोबल रेटिंग में भारतीय वायुसेना ने चीन की पीएलए-एयर फोर्स (PLA Air Force) को पीछे छोड़ दिया है. वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉर्डन मिलिट्री एयरक्राफ्ट (WDMMA) के मुताबिक, ये रैंकिंग किस वायुसेना के पास कितने विमान हैं उस पर तो आधारित है ही साथ ही आधुनिकीकरण, लॉजिस्टिक सपोर्ट, डिफेंस और अटैक क्षमताओं पर आधारित है। रिपोर्ट ने दुनिया के विभिन्न देशों की विभिन्न हवाई सेवाओं की कुल लड़ाकू ताकत का मूल्यांकन किया है और उसी के अनुसार उन्हें स्थान दिया है।  सिर्फ चीन ही नहीं, IAF को जापान एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स (JASDF), इजरायली एयर फोर्स और फ्रेंच एयर एंड स्पेस फोर्स से भी ऊपर रखा गया है। भारतीय वायु सेना को 69.4 अंक मिले हैं जबकि चीन की वायुसेना 63.8 अंक के साथ चौथे स्थान पर है।

बता दें कि वायुयानों की संख्या के मामले में भारतीय वायुसेना 1645 वायुयान के साथ चीन के 2040 वायुयानों से पीछे है तो किंतू भारत के पास अत्याधुनिक राफेल और तेजस जैसे विमान हैं, जिनका चीन के पास कोई जवाब नहीं है। विमानों की अलग-अलग श्रेणियां होती हैं। मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट से लेकर सपोर्ट एयरक्राफ्ट तक तथा अटैक हेलीकॉप्टर से लेकर यूटिलिटी हेलीकॉप्टर तक, हर विमान का अलग-अलग कार्य होता है। इसके अतिरिक्त किसी सेना के पास मौजूद मिसाइल और हवाई अड्डा की मौजूदगी भी सेना की सशक्त स्थिति के पीछे महत्वपूर्ण कारक होती है।

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एक से बढ़कर एक एयरक्राफ्ट हैं

मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट की बात करें तो भारत के पास संसार का सबसे अच्छा मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट, राफेल मौजूद है। लाइटवेट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट की श्रेणी में तेजस जैसा दूसरा विमान नहीं है। एयर सुपिरिओरिटी फाइटर जेट श्रेणी में सुखोई और मिग 29 उपस्थित हैं। बॉम्बिंग के लिए जगुआर है। इसके अतिरिक्त मिराज और हेलीकॉप्टर श्रेणी में भी अपाचे सहित कई घातक हवाई जहाज हैं।

विशेष रूप से राफेल, तेजस, अपाचे भारत के पास आए हैं जिससे भारत की शक्ति बढ़ी है। राफेल के जवाब में चीन के पास कोई विमान नहीं है। राफेल की मीटीओर मिसाइल ‛बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल’ श्रेणी में सबसे घातक हथियार है। 200 किलोमीटर तक वार करने में सक्षम यह मिसाइल, एकबार चलने के बाद अमोघ अस्त्र की तरह निश्चित रूप से दुश्मन देश के प्लेन को मार गिराती है। स्कैल्प मिसाइल, एन्टी रनवे मिसाइल है, जो 530 किलोमीटर  दूरी तक स्थित शत्रु देश के हवाई पट्टी को ध्वस्त कर सकती है।

तेजस ने इंटरसेप्टर की भूमिका में पुराने मिग 21 विमानों को बदलना शुरू कर दिया है। उस पर से उसमें इजराइली पायथन जैसी मिसाइल जोड़कर उसकी शक्ति को और बढ़ा दिया गया है। इसके बाद सुखोई में अत्यधिक ब्रम्होस मिसाइल को जोड़ा गया है, जिसकी दक्षता का लोहा पूरी दुनिया मानती है। एक वर्ग मीटर लक्ष्य क्षेत्र में वार करने में सक्षम ब्रम्होस को पाकिस्तान और चीन के एन्टी मिसाइल सिस्टम देख भी नहीं सकते। अपाचे, चिनूक, रुद्र जैसे हेलीकॉप्टर, रुद्रम, नाग, अस्त्र जैसी मिसाइलें हैं। इस आयुध भंडार को बढ़ाने के लिए DRDO प्रयासरत है।

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2035 तक भारत अपने तेजस MK2, HAL का ट्विन इंजन डेक बेस लड़ाकू विमान और AMCA प्रोजेक्ट को  पूरा कर लेगा। इसमें MMRCA के तहत बड़ी संख्या में राफेल या लॉकहेड मार्टिन का आधुनिक विमान भी शामिल हो जाएगा। तब भारतीय वायुसेना संसार की सबसे बड़ी वायुशक्ति बन जाएगी।

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