भारत की वैक्सीन नीति के आगे नतमस्तक हुई दुनिया, दावोस शिखर सम्मेलन में मिला ‘स्टैंडिंग ओवेशन’

झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए!

Indian Vaccine

Source- TFI

“देखन में छोटन लगे, घाव करे गंभीर”, वैश्विक महाशक्तियों ने जिसे दशकों से छोटा समझा, हीन दृष्टि से देखा, आज वहीं देश भारत पूरी दुनिया में धूम मचा रहा है। भारत आज वही देश बन गया है जो समृद्ध देशों के आगे अभी विकासशील देशों में ही आता है लेकिन कई मामलों में देश दुनिया के तमाम बड़े देशों को पीछे छोड़ता दिख रहा है। इस बात को अब स्वयं वैश्विक स्तर के संगठन प्रमाणित कर रहे हैं, जो भारत की यथास्थिति और कोरोना में उसकी कार्यशैली की सराहना कर रहे हैं। एकदम सही समय पर अपने कोरोना रोधी वैक्सीन निर्माण में तेजी लाने और बाकी दुनिया को आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत की सराहना करते हुए, विश्व आर्थिक मंच के नेताओं ने बीते सोमवार को भारत जैसा बनने का आह्वान कर कहा कि वैक्सीन इक्विटी और व्यापक टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए बाकी सभी को भारतीय मॉडल का पालन करने की आवश्यकता है।

निश्चित रूप से भारत, दावोस शिखर सम्मेलन में अपनी वैक्सीन नीति के लिए स्टैंडिंग ओवेशन प्राप्त कर चुका है। भारत ने अपनी सराहना पर अहम में चूर न होते हुए दुनिया को यह आश्वासन दिया कि देश वैश्विक वैक्सीन राजधानी बनने के लिए दृढ़ है और अब भारत अन्य देशों को पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने की स्थिति में है। यह कोई आम बात नहीं जब भारत को इतनी तरजीह ऐसी बैठकों में मिल रही है और भारत अपनी आगे की नीति को उसी बैठक में साझा कर रहा है।

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वैश्विक स्तर पर मच रही है भारत की धूम

वेलकम ट्रस्ट के निदेशक जेरेमी फरार ने कहा कि भारत को अपनी टीका उत्पादन क्षमताएं बढ़ाने के लिए बड़ा श्रेय जाता है। टीका गठबंधन गावी के सीईओ सेठ एफ बर्कली ने कहा कि भारतीय टीका निर्माताओं ने इस बात को समझा कि टीकों की उपलब्धता को व्यापक बनाने के लिए उद्योग को अपने प्रयास बढ़ाने की जरूरत है। ऑक्सफैम इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने कहा कि टीका समानता और इनके न्यायसंगत वितरण व उपयोग (वैक्सीन इक्विटी) से संबंधित वर्तमान मॉडल मुझे सबसे अधिक चिंतित करता है। जिस रफ्तार से टीके बने वह सराहनीय है लेकिन किसी कारण से ये कई गरीब, कम विकसित देशों तक नहीं पहुंच पाए।

बुचर ने कहा कि भारत एक अच्छा उदाहरण रहा है और वैक्सीन समानता, इक्विटी और सभी तक उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी को इसी राह पर चलना चाहिए। इस कार्यक्रम में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने प्रभावित किया था, हमारे लिए अपनी विशाल आबादी की देखभाल करना बहुत जरूरी था और उस समय हमारे पास केवल दो टीका उत्पादक थे। कांत ने कहा कि अह हमारे पास 10 टीका निर्माता हैं।

अमिताभ कांत ने कहा कि 14 और टीके विकास के विभिन्न चरणों में हैं और हम दुनिया की वैक्सीन कैपिटल बनने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम मानते हैं कि जब तक इस दुनिया में हर व्यक्ति सुरक्षित नहीं है, तब तक कोई भारतीय भी सुरक्षित नहीं है। इसके लिए हम पूरी दुनिया में जहां भी आवश्यकता होगी वहां टीकों की आपूर्ति करेंगे। अब जब इतने उद्यमों ने सराहना करते हुए भारत के कसीदे पढ़ ही दिए हैं, तो यह समझना आवश्यक हो जाता  है कि अब दुनिया की नजर में भारत की स्थिति क्या है और पीएम मोदी के नेतृत्व में कैसे भारत विकास की सीढ़ियों पर सरपट भागते जा रहा है। दावोस शिखर सम्मेलन में भारत के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यही थी कि हमारे मेहनत को वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता मिलने के साथ ही वैश्विक शक्तियां अब भारत को आराध्य की तरह पूजने लगी है।

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