क्या कंगना रनौत वास्तविक जीवन की Frankenstein है?

लीजिए, बॉलीवुड ने एक और कट्टरपंथी के पाप धो दिए!

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ऑल्ट बाला जी द्वारा प्रॉड्यूस किए गए शो लॉकअप का बिग बॉस की नकल उतारना शायद पर्याप्त नहीं था तभी तो उसे ऐसे लोगों से भरा जाने लगा जिन्हें आज से पूर्व शायद हम और आप तो छोड़िए, गली के भूत प्रेत तक नहीं जानते होंगे। लेकिन अब एक महोदया की कृपा से एक ऐसे व्यक्ति के करियर का पुनरुद्धार हुआ है जिसे जनता ने बहुत पूर्व ही बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे मुनव्वर फारूकी को एक रियलिटी शो पर आमंत्रित करवाकर और उसे वो शो जितवाकर कंगना रनौत वास्तविक Frankenstein बन चुकी है।

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Frankenstein ही क्यों?

Frankenstein के बारे में सुना है? यदि नहीं, तो अभी आपको बताते हैं? मेरी बी शैली द्वारा रचित इस विश्वप्रसिद्ध उपन्यास में एक वैज्ञानिक Victor Frankenstein तय करता है कि वह अपने सिद्धियों से एक अजीवित वस्तु में भी प्राण भर सकता है और वह एक ऐसे व्यक्ति को बनाने चलता है जो संसार का सबसे रूपवान, सबसे गुणी व्यक्ति है, परंतु होता है उसका ठीक उल्टा।

अब इसका कंगना रनौत के मामले से क्या वास्ता? असल में अपने कथित रेयलिटी शो ‘लॉक अप’ पर कंगना रनौत ने कई प्रतिभागियों को आमंत्रित किया था, जिनमें से एक वामपंथी कलाकार मुनव्वर फारूकी भी थे। अब इस शो में विजयी होने के पश्चात मुनव्वर वो पहले वाले मुनव्वर नहीं रह जाएंगे जिन्हें कोई भी, कभी भी, कुछ भी कह सकता था। ये वही मुनव्वर है, जिसने कभी गुजरात के दंगों का उपहास उड़ाया था और सनातनी देवी देवताओं को खुलेआम अपमानित किया था। इसके पीछे मध्यप्रदेश में एक बार इसे जनता के कोपभाजन का सामना करना पड़ा और कुछ दिन जेल में भी बिताने पड़े। उसके बाद जनविरोध का एक ऐसा सैलाब आया कि मुनव्वर का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया था।

मृत करियर को पुनर्जीवित करने का कंगना ने किया पाप

लेकिन, कंगना रनौत ने शो के माध्यम से वही किया जो Frankenstein में मूल किरदार ने अपने प्रयोग पर किया। कंगना रनौत ने एक निर्जीव, असफल कलाकार के मृत करियर को पुनर्जीवित करने का पाप किया है। इसके लक्षण तो इस सीरीज के प्रारंभ में ही दिख गए थे, परंतु अब इस शो में विजयी होने के पश्चात मुनव्वर की स्थिति में आकाश पाताल का अंतर आ जाएगा।

इस शो पर ही मुनव्वर को इतनी कवरेज दी जा रही थी, जितनी शायद ही उन्हें कभी अपने जीवन में मिली होगी। चाहे अपने कथित संबंध हो, अपने मां की ‘भावुक कथाएं’ हों या फिर कुछ और ही क्यों न हो, सारी लाइमलाइट तो मानो मुनव्वर पर ही केंद्रित थी। मां से जुड़ी कहानियां अल बगदादी, हाफिज सईद, मौलाना मसूद के पास भी होंगी तो क्या कंगना उन्हें भी मंच दे देंगी? ऐसे में कंगना रनौत ने पहले मुनव्वर फारूकी जैसे निकृष्ट वामपंथी को मंच दिया फिर उसे अनावश्यक कवरेज दी, और अब उसे ‘लॉक अप’ का विजेता भी बना दिया, जिससे स्पष्ट होता है कि वह वास्तविक जीवन में किसी Frankenstein से कम नहीं, जो चुके हुए, फ्लॉप लोगों को भी अनावश्यक लाईमलाइट दिलवा दे।

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