केजरीवाल सरकार को चाहिए भारी वेतन वृद्धि लेकिन कर्मचारियों को मिलती हैं लाठियां

दोहरे मापदंड का पर्याय बन चुकी है केजरीवाल सरकार!

Kejriwal government in Delhi

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अरविंद केजरीवाल देश की राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं पर उनके दोहरे चरित्र ने देश की राजनीति को पूरी तरह से दूषित कर दिया है। केजरीवाल सरकार अपनी वाहवाही के लिए विज्ञापन द्वारा प्रचार करती रहती है। ऐसा ही दोहरा चरित्र देखने को मिला जब पंजाब और दिल्ली में सत्ताधीश आम आदमी पार्टी की कार्यशैली और नीतियों का जबरदस्त विरोध दिख रहा है। एक साल पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली के विधायकों की मासिक पारिश्रमिक बढ़ाने के केजरीवाल सरकार के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी थी।

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विधायकों का वेतन पहले ही बढ़ चुका है

तब से राष्ट्रीय राजधानी के विधायकों को 90,000 रुपये प्रति माह मिलने की बात कही गई थी। यह 54,000 रुपये के पिछले उत्सर्जन की तुलना में 66 प्रतिशत की वृद्धि है।  वेतन घटक में 250 प्रतिशत की वृद्धि की गई और विधायकों को 12,000 रुपये के स्थान पर 30,000 रुपये मिलेंगे। निर्वाचन क्षेत्र भत्ता अब पहले के 18,000 रुपये के बजाय 25,000 रुपये है। टेलीफोन भत्ता और सचिवालय भत्ता क्रमशः 6,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये और 10,000 रुपये से 15,000 रुपये कर दिया गया । विधायकों को अब वाहन भत्ता के रूप में 10,000 रुपये मिलेंगे, जो पहले के 6,000 रुपये के भत्ते से 66 प्रतिशत अधिक है।

दिल्ली के विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी की मांग आम आदमी पार्टी की तरफ से लंबे समय से की जा रही है थी। पिछली बार 2011 में दिल्ली के विधायकों के मासिक वेतन में वृद्धि की गई थी। केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP के प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आयी सरकार ने विधायकों के वेतन घटक को 12,000 रुपये से बढ़ाकर 54,000 रुपये करने की अपनी मांगों को आगे बढ़ाया था। लेकिन, केंद्र ने इसे 30,000 रुपये तक सीमित कर दिया और एक नया प्रस्ताव मांगा फिर पिछले साल अगस्त में केजरीवाल सरकार ने कम और यथार्थवादी उम्मीदों के साथ नए प्रस्ताव भेजे थे।

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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को छला जाना सबको दिख रहा है

यही नहीं दिल्ली में केजरीवाल ने मेहनती आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को छला है। याद हो कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के विरोध में सोमवार को आईएसबीटी कश्मीरी गेट स्थित महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग के मुख्यालय के बाहर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गईं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने कहा ,अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली सरकार उस समझौते से पीछे हट गई है जो पिछले महीने की शुरुआत में यूनियनों के साथ द्विपक्षीय वार्ता में कथित रूप से हुआ था।

दिल्ली में करीब एक हजार आंगनवाड़ी केयरगिवर्स को मार्च की शुरुआत में 39 दिनों की लंबी हड़ताल के सिलसिले में उनकी सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया था। हड़ताल कई यूनियनों के बैनर तले की गई थी, जिसमें श्रमिकों और सहायकों के मासिक मानदेय में पर्याप्त वृद्धि की मांग की गई थी।

अब केजरीवाल की पंजाब में उनके दोहरे चरित्र को लेकर चर्चा करते हैं –

दरअसल जिस तेजी से आप सरकार ने दिल्ली में अपने विधायकों का वेतन बढ़ाने की दिशा में काम किया, पर वह पंजाब में मौन है। पार्टी ने पंजाब में रोजगार मांगने वाले लोगों पर लाठी-डंडों से पिटवा दिया है। ज्ञात हो की ये वही शिक्षक हैं जिन्हें केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव से पहले लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अब जबकि आम आदमी पार्टी पंजाब की सत्ता में है तो केजरीवाल उन्हें भूल गए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 8 मई, 2022 को शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षक (पीटीआई) नौकरी के इच्छुक शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर के बरनाला स्थित आवास के बाहर एकत्र हुए। वे आप सरकार से 2,000 पीटीआई भर्ती करने की मांग कर रहे थे, जिसके लिए चरणजीत सिंह चन्नी सरकार द्वारा विज्ञापन प्रकाशित किया गया था।

जब प्रदर्शनकारियों ने मंत्री के घर के पास अपनी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे तभी पंजाब सरकार ने राज्य पुलिस से निर्दोष उम्मीदवारों पर लाठीचार्ज  करने का आदेश दिया। इस तरह की हरकत के बाद पंजाब के लोगों में बहुत रोष है। केजरीवाल और आप ने फिर से साबित कर दिया है कि वे झूठा शिगूफा छोड़ने में माहिर है।

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केजरीवाल ने यह भी साबित कर दिया की उनका कोई सिद्धांत नहीं है। वो अपने राजनीति के माहौल के हिसाब से प्रचार करते हैं अगर ऐसा नहीं होता तो वह दिल्ली और पंजाब में इतना भेद-भाव नहीं करते। पंजाब विधानसभा चुनाव के समय जिस शिक्षकों के लिए केजरीवील और उनकी पार्टी बड़े -बड़े वादे कर रह थे और जब सरकार बनी तो वह हिटलरशाही कर रहे हैं जिसके बाद से पंजाब और पंजाब की जनता ने आम आदमी पार्टी का असली चेहरा देख लिया है।

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