RTI में केजरीवाल और सिसोदिया के नौकरी वाले शिगूफे की खुली पोल,7 वर्षों में दी गई सिर्फ 3600 नौकरियां

चंगू और मंगू की जोड़ी ने 20 लाख से ज्यादा नौकरियों का दावा किया था!

केजरीवाल नौकरी

Source- TFI

जिस चीज़ की बुनियाद ही झूठ पर टिकी हो, वो कभी सिरे नहीं चढ़ सकती है फिर चाहे वो किसी का गृहस्थ जीवन हो या सरकार, दोनों में जब विश्वसनीयता और विश्वास पर चोट होती है तब बेआवाज चीख बड़ा शोर करती है! एक व्यक्ति जिसने झूठ से ही अपनी राजनीति की शुरुआत की, राजनीति में कीचड़ की सफाई करने का वादा किया, लोगों को बड़े बड़े हसीन सपने दिखाएं, राज्य के विकास के लिए कई बड़े और झूठे वादे किए, बेरोजगारों को रोजगार देने, प्रदूषण की समस्या से राज्य को निजात दिलाने से लेकर यमुना की सफाई की भी बात कही, लेकिन जमीनी स्तर पर देखने के बाद यह पता चलता है कि वो तो सिर्फ बातों के उस्ताद निकले! जी हां, आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं। हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ही बात कर रहे हैं, जिनके झूठे वादों से दिल्ली की जनता त्रस्त हो चुकी है और राज्य में नौकरी के नाम पर केजरीवाल सरकार के झूठे आंकड़े उनकी असफलता को प्रदर्शित कर रहे हैं।

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केजरीवाल के झूठ की खुली पोल

दरअसल, एक RTI के अनुसार दिल्ली की अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने बीते 7 वर्षों में मात्र 3686 थर्ड ग्रेड स्तर की नौकरियां दी है। ध्यान देने वाली बात है कि विधानसभा में राजधानी का सालाना बजट पेश करते हुए उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने कहा था कि आने वाले 5 वर्षों में दिल्ली में 20 लाख युवाओं को रोजगार दिया जाएगा। इसके बाद केजरीवाल ने विधानसभा में दावा किया कि बीते 7 साल में उनकी सरकार ने 12 लाख युवाओं को नौकरी प्रदान की है। लेकिन केजरीवाल के इस हवा हवाई शिगूफे की पोल खुलते देर नहीं लगी, भाजपा ने उनके बयान पर सवाल उठाया उसके कुछ ही दिनों बाद मनीष सिसोदिया ने डेढ़ लाख से ज्यादा नौकरियों का शिगूफा छोड़ा, लेकिन अब RTI ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है। जिस तीव्रता से केजरीवाल सरकार वादे करती है उतनी ही तीव्रता से सरकार बनने के उपरांत वो इन सबसे भागते नज़र आते हैं। फिर चाहे 500 स्कूल और कॉलेज बनाने की बात हो या अस्पताल निर्माण की, बीते 7 वर्षों में दिल्ली ने न एक नया कॉलेज देखा, न ही एक नया स्कूल और न ही कोई नया अस्पताल या फ़्लाइओवर जो कि दिल्ली सरकार ने अपने इस कार्यकाल में निर्मित किया।

केजरीवाल ने सिर्फ औऱ सिर्फ PR Agency वालों को रोजगार दिया है

ध्यान देने वाली बात है कि केजरीवाल अन्य चुनावी राज्यों में बड़ी-बड़ी घोषणाएं और शिगूफ़े छोड़ते नज़र आ रहे हैं, पर अपने राज्य की प्राथमिकता पूरी करने के लिए वो लेश मात्र भी तैयार नहीं हैं । वर्ष 2013-14 में 49 दिन की सरकार चलाने वाले अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस से मनमुटाव होने पर सरकार गिराना बेहतर समझा था। इस पर उनका तर्क था कि कांग्रेस उन्हें ठीक ढंग से सरकार चलाने नहीं दे रही थी।

उसके बाद वर्ष 2015 हो या 2020 दोनों बार अरविंद केजरीवाल की सरकार को प्रचंड बहुमत मिला था, वो इसलिए ही मिला था क्योंकि अरविंद केजरीवाल में अपने घोषणापत्र में किसी की भी सोच से परे होकर कई बड़े और झूठे वादे कर डाले थे! फिर वो चाहे गेस्ट टीचर को परमानेंट करने की बात हो या वेतन बढ़ोत्तरी की, लोगों ने इसी के चलते केजरीवाल पर विश्वास करते हुए बार-बार 67 और 62 जैसे जादुई आंकड़े दिए। लेकिन आज यही वोटर स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहा है, क्योंकि उसको न नौकरी मिल रही है और न ही कोई रोज़गार का स्त्रोत खुलता दिख रहा है।

आपको बताते चलें कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने सिर्फ़ और सिर्फ एक तबके को रोज़गार दिया है, वो हैं – AD और PR Agency वाले, जिन्हें लाखों-करोड़ों का काम देकर केजरीवाल सरकार ने जमकर जनता के राजस्व को पानी की तरह बहाया और नौकरी की आस और तलाश में खड़े युवक-युवतियों के हाथ में कटोरा थमा दिया। आज के समय में जीविका चलाने के लिए आय का पक्का स्त्रोत होना आवश्यक है पर केजरीवाल सरकार बेशर्मी की पराकाष्ठा पार करते हुए सिर्फ़ अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति में करने में व्यस्त और मदमस्त है, जनता जाए चूल्हे में!

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