लाल सिंह चड्ढा: 14 वर्ष लगे आमिर खान को ‘Ctrl C + Ctrl V’ करने में

‘फॉरेस्ट गम्प’ को तो बख्श देते आमिर खान!

lal singh

Source- Google

“मेरी मम्मी कहती थी कि जिंदगी गोलगप्पे जैसी होंदी है। पेट भले ही भर जावे, मन नहीं भरता”। भई एक बात बताएं, बस इसके लिए अतुल कुलकर्णी और आमिर खान ने 14 वर्षों की ‘तपस्या’ की थी? ये था इनका प्रयास? आपने यदि एक ऑस्कर विजेता फिल्म को रूपांतरण के लिए पकड़ा है, वो भी ऐसी जिससे अनेकों सिनेमा प्रेमियों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं तो विश्वास मानिए, आपसे कम से कम इतनी तो आशा की जाएगी कि आप एक अच्छी फिल्म बनाएं जो मूल फिल्म की भावना का सम्मान करें परंतु लाल सिंह चड्ढा का ट्रेलर अब समझ में आया है कि क्यों बॉलीवुड हंसी का पात्र बना हुआ है और क्यों जनता अब बॉलीवुड से अधिक बहुभाषीय सिनेमा, विशेषकर दक्षिण भारतीय सिनेमा पर विश्वास करने लगी है।

‘फॉरेस्ट गम्प’ पर आधारित है ‘लाल सिंह चड्ढा’

अद्वैत चंदन द्वारा निर्देशित ‘लाल सिंह चड्ढा’ प्रसिद्ध ऑस्कर विजेता फिल्म ‘फॉरेस्ट गम्प’ पर आधारित है, जो स्वयं विंस्टन ग्रूम द्वारा रचित इसी नाम के पुस्तक पर आधारित है। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में आमिर खान हें जो लाल सिंह चड्ढा की भूमिका निभाएंगे, एक अनोखा लड़का जो अपने दृष्टिकोण से संसार को देखता है। ये फिल्म 11 अगस्त को प्रदर्शित होगी और काफी विलंब के बाद इसका ट्रेलर कल जाकर आईपीएल के फाइनल के समय लॉन्च हुआ।

और पढ़ें- फिल्म “अनेक”- भाई ये पूर्वोत्तर है, दिल्ली प्रेस क्लब की बकैती नहीं!

इस फिल्म को लेकर काफी हाइप फैलाई गई, जैसे कबीर खान की ‘83’ के साथ हुआ। परंतु ‘83’ और ‘लाल सिंह चड्ढा’ में अंतर इस बात का है कि कम से कम ‘83’ के ट्रेलर ने कुछ हद तक दर्शकों को सिनेमाघरों तक आकर्षित करने का प्रयास तो किया, वहीं ‘लाल सिंह चड्ढा’ का ट्रेलर देखकर क्रिटिक्स और बुद्धिजीवियों का तो पता नहीं परंतु जनता को शायद ही इसकी झलक भाई। रीमेक बनाना कोई बुरी बात नहीं है पर तरीका होता है भाई, ‘जर्सी’ कौन सी बुरी थी?

अब यहां पर फॉरेस्ट गम्प को आत्मसात करना आवश्यक नहीं था, परंतु कम से कम कुछ नयापन तो आमिर खान दिखाते। लेकिन यहां एक नया किरदार कम, और ‘पीके’ एवं ‘धूम 3’ के ‘समर’ की झलक अधिक दिखती है और इसको लेकर सोशल मीडिया पर काफी यूजर्स ने प्रश्न भी किया है। बाकी जिस प्रकार से फॉरेस्ट गम्प को कट, कॉपी, पेस्ट रजके किया है उसके लिए जो भी निंदा की जाए, सो कम है। कहीं इसीलिए तो महोदय ‘KGF’ से भिड़ने से पहले भाग खड़े नहीं हुए थे? समझदार को संकेत पर्याप्त है।

और पढ़ें- रावण से की गई सम्राट पृथ्वीराज चौहान की तुलना, अब अक्षय कुमार की फिल्म से कोई उम्मीद नहीं बची

फिल्म को 14 वर्ष से भी अधिक का समय लगा

आमिर खान के अनुसार, इस फिल्म को धरातल पर लाने में 14 वर्ष से भी अधिक का समय लगा, क्योंकि रीमेक के राइट्स से लेकर स्क्रिप्ट तैयार करने में उन्हें काफी पापड़ बेलने पड़े थे। यदि ऐसी बात है तो फिर कसम से अक्षय कुमार के लिए हृदय से सम्मान बढ़ जाता है, कम से कम इतनी लंबी-लंबी नहीं फेंकते और 42 दिन में ही अपनी काम धाम निपटा देते हैं। 14 वर्ष की ‘तपस्या’ के बाद अगर आड़े तिरछे मुंह बनाना ही ‘लाल सिंह चड्ढा’ के लिए प्रमुख आवश्यकता थी तो फिर इंस्टाग्राम रील वाले कौन से बुरे हैं? कम से कम आमिर खान से तो बेहतर ही अभिनय कर लेते और ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ होने का ढोंग भी नहीं करते।

ऐसे में जिस प्रकार से ‘लाल सिंह चड्ढा’ के ट्रेलर ने लोगों को निराश किया है, उससे स्पष्ट होता है कि आमिर खान न स्वयं सुधरना चाहते हैं और न ही वे जनता को कुछ नया दिखाना चाहते हैं। लेकिन ये पब्लिक है भैया, जब अपने आदर्शों से विमुख होने पर कंगना रनौत को कहीं का नहीं छोड़ा, तो फिर आमिर मामू किस खेत की मूली?

Exit mobile version