अखिलेश यादव ने मानव जाति के इतिहास में सबसे कम उपस्थिति वाले राजनीतिक विरोध का आयोजन किया

अखिलेश यादव अब राजनीतिक तौर पर पूरी तरह से अकेले हो चुके हैं!

Akhilesh Azam Khaan

Source- TFIPOST.in

उत्तर प्रदेश मे इस समय फिर से समाजवादी पार्टी में चल रहा राजनितिक झगड़ा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। शिवपाल सिंह यादव और ओम प्रकाश राजभर के बाद अब जेल से निकलने के बाद आज़म खान भी समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव से रूठे-रूठे नज़र आ रहे हैं।

23 मई 2022 को प्रदेश में बजट सत्र की शुरुआत हुई जिसमे समाजवादी पार्टी के MLAs और MLCs ने अखिलेश यादव के नेतृत्व में योगी सरकार के खिलाफ प्रोटेस्ट किया, जहाँ उन्होंने किसानो के लिए सस्ती बिजली, स्कूल और कॉलेज की पढाई और खेतों की सिंचाई को सस्ता करने की मांग उठाई और साथ ही ये भी डिमांड रखी की विपक्ष पर कोई भी गलत केस कर के उन्हें जेल न भेजा जाये।

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आजम ने सपा विधानमण्डल की बैठक से किया किनारा

वैसे समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य और वरिष्ठतम नेता, आज़म खान 89 केसेस पर जेल में 27 महीने बिताने के बाद जब वापस अपने घर लौटे तो उनसे मिलने न अखिलेश यादव पहुंचे और न ही मुलायम सिंह। हालाँकि आज़म खान ने इस पर कोई नज़रगी नहीं जताई है लेकिन उनके समर्थको में अखिलेश के इस बर्ताव से काफी नाराज़गी हैं। वैसे जेल से निकलने के बाद आज़म खान काफी चर्चा में बने हुए हैं। 23 मई को जब वह अपने बेटे अब्दुल्ला आज़म के साथ जब विधानसभा पहुंचे तो न वो अखिलेश से मिले और न ही अखिलेश उनसे मिलने बाहर आये। हैरानी की बात तो यह है की मुलायम सिंह ने भी जेल से घर वापसी करने के बाद आज़म खान से मिलना ज़रूरी नहीं समझा। हलांकि इन दोनों दिन शिवपाल यादव आज़म से मिलने उनके आवास पर पहुंचे।

शपथ लेने के बाद आज़म खराब तबियत का हवाला देकर वापस घर लौट गए और उनके बेटे जो सभा में ही मौजूद थे उन्होंने भी योगी सरकार के खिलाफ अखिलेश के इस प्रदर्शन से अपना पल्ला झाड़ लिया। जिस तरह आज़म, सपा विधानमंडल की बैठक से किनारा करते नज़र आ रहे हैं उससे साफ़ ज़ाहिर है की उनके और अखिलेश यादव के बीच सब कुछ ठीक नहीं है।

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अपने ही गठबंधन साथियो का विरोध झेल रहे अखिलेश

वैसे तो अखिलेश की पार्टी के लोग इस विरोध को लेकर काफी जोश में दिखे है लेकिन वहीं दूसरी ओर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के  विधायक, ओम प्रकाश राजभर और शिवपाल यादव ने भी अभी इससे दूरी बनाई रखी। हालाँकि राजभर का कहना था की वह इसलिए शांत रहे है क्योंकि वह गवर्नर का अपमान नहीं करना चाहते थे। हाल ही में हुए उत्तर प्रदेश के चुनावों में राजभर की पार्टी ने 6 सीटें जीती और अब उड़ती खबरें आ रहीं हैं की शायद राजभर अब बीजेपी का हिस्सा बनने जा रहे हैं।

इन दिनों अखिलेश यादव अपनी ही गठबंधन दलों के निशाने पर हैं। कुछ दिन पहले राजभर यह कहते नज़र आये की ‘उनकी पार्टी के कई लोग कहते हैं की अखिलेश जी से कहिये की अपने घर से निकलें और लोगों से मिलें। लेकिन शायद अखिलेश को AC की हवा की आदत सी हो गयी है। इससे पहले प्रसपा अध्यक्ष, अखिलेश के चाचा, शिवपाल सिंह यादव अपने एक ट्वीट में कहते हुए नज़र आये की ‘हमने उसे चलना सिखाया और आज वो ही हमें रोंदते चला गया।’ जेल से लौटने के बाद सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान से जब पिता पुत्र की जोड़ी में से मिलने कोई नहीं पहुंचा तो उठने वाले सवालों को शांत करते हुए उन्होंने कहा की सपा अध्यक्ष से उन्हे  किसी भी तरह की नाराज़गी नहीं है लेकन बाप बेटे की जोड़ी पर तंज कसते हुए ये अवश्य कहा की ‘हो सकता है की उनके पास हमारा फ़ोन नंबर न हो’।

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आजम खान की सियासी ताकत से सभी वाकिफ हैं। उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। ना सिर्फ रामपुर बल्कि पूरे प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय के वोटर्स पर आजम की मजबूत पकड़ है।

अब सवाल यह है की क्या शिवपाल यादव और आज़म खान के बीच की ये गुफ्तगू अखिलेश के ‘बुरे दिन आ रहे है’ इस बात की ओर इशारा करती हैं? या फिर ये जो अखिलेश अपने साथी और समर्थकों का विश्वास खो रहे हैं उसकी छोटी सी झलक है? अब अपनी ही पार्टी के नेता अपने नहीं रहे तो किसी से क्या शिकायत करना। पर वजह चाहे जो भी हो लेकिन यह शायद विश्व या फिर कम से कम भारत के इतिहास में पहली बार हुआ की किसी विरोध में विपक्ष के खुद के नेताओं और समर्थकों ने ही उनका साथ नहीं दिया। अब आगे आने वाले दिनो में किस ओर करवट लेगा यह तो वक़्त ही बताएगा।

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