हम सभी जानते है की लोकतंत्र में सत्ता कितने संघर्ष से मिलती है। अगर आप विपक्ष में हैं तब तो सत्ता के लिए सत्ता से ही संघर्ष करना पड़ेगा। पर शायद, बंगाल भाजपा को ये समझ में नहीं आता। चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने अपने कर्मठ कार्यकर्ताओं पर भरोसा न कर के बाहर से आये नेताओं पर भरोसा किया। भाजपा में सत्ता की मलाई न मिलने पर ये नेता पुनः सत्ताधारी पार्टी TMC के साथ हो लिए और जमीनी कार्यकर्ता राजनीतिक प्रतिशोध में मर खप गए। जो बंगाल भाजपा के नेता बचे है वो भी जमीनी लड़ाई लड़ने के बजाये सोशल मीडिया पर ट्वीट और पोस्ट के माध्यम से राजनीति कर रहें है। ये आरोप लगाया है भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बैरकपुर से लोकसभा सांसद अर्जुन सिंह ने।
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नड्डा से बंगाल भाजपा नेताओं की शिकायत
उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को सूचित किया है कि पश्चिम बंगाल में पार्टी को पुनर्जीवित करने की तत्काल आवश्यकता है। पार्टी के नेता केवल सोशल मीडिया की राजनीति में रुचि रखते हैं और जमीनी स्तर पर काम नहीं कर रहे हैं।
अर्जुन सिंह ने कहा- “राज्य भाजपा फेसबुक और व्हाट्सएप पर राजनीति करना चाहती है। पार्टी को जमीनी स्तर पर काम करना चाहिए। मैंने मामले की सूचना भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को दी। दिल्ली मामले को अपने स्तर पर देख रही है। कई लोगों की राय एक जैसी है, लेकिन कोई कुछ नहीं बोल रहा है। हम सभी जानते हैं कि संगठन की स्थिति अच्छी नहीं है।“ भगवा पार्टी को पार्टी की जिम्मेदारी ऐसे लोगों को देनी चाहिए जो सक्षम हैं और इसके हकदार हैं। उन्होंने कहा- “जो लोग संगठन को समझते हैं, उन्हें जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। उन्हें कुछ शक्ति दी जानी चाहिए। पार्टी ने हमें कुर्सी दी है, लेकिन उसके पास पैर नहीं हैं। पार्टी ने हमें एक कलम दी है पर, उसमें स्याही नहीं है।”
पहले भी हो चुकी है ऐसी शिकायत
इससे पहले, भाजपा नादिया जिला समिति के एक सदस्य ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि भगवा पार्टी के दो विधायकों ने अपनी बेटियों को जिले में केंद्र सरकार द्वारा संचालित मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल में नौकरी दिलाने में अपने पद का इस्तेमाल किया। भाजपा नेता पार्थ चटर्जी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि बांकुरा के विधायक नीलाद्री शेखर दाना की बेटी और चकदाहा के विधायक बंकिम घोष ने अपनी बहू को कंपनी में नियुक्त कराया है। उन्होंने आगे कहा कि बाधाओं का सामना कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं को नियुक्तियों में प्राथमिकता मिलनी चाहिए थी।
अपने नेताओं से प्रेरणा ले भाजपा
ममता बनर्जी ने बंगाल को बर्बाद कर दिया है। कभी विकास के मामले में देश से भी दो कदम आगे चलने वाला बंगाल अब मीलों पीछे छूट चुका है। पर फिर भी मुख्य विपक्ष के रूप में भाजपा उन्हें घेरने में विफल रही है। सुवेंदु अधिकारी और जमीनी कार्यकर्ता बंगाल में भगवा को जीवित करने के लिए राजनीति नहीं युद्ध लड़ रहें है पर, बड़े नेताओं के नेतृत्व के बिना ये नाकाफी है। ऊपर से TMC की विधायक रानी सरकार के बांग्लादेशी निकालने से ये सिद्ध हो गया है ममता से लड़ाई अब सत्ता पाने के लिए नहीं बल्कि भारत की संप्रभुता बचने के लिए है। ऐसे में एक विपक्ष के रूप में भाजपा को हतोत्साहित होने की आवश्यकता नहीं है। प्रेरणा और मागदर्शन के लिए वो महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडनविस, तमिलनाडू में अन्नामलाई, हेमंत सोरेन और मार्गदर्शक मंडल में बैठे आडवाणी से सीख सकते हैं जिन्होंने पराजय की राख से भगवा सत्ता की लौ प्रज्ज्वलित कर दी।