विश्व क्रिकेट के इतिहास में लॉर्ड्स मैदान के गौरवशाली परंपरा से सभी परिचित हैं। लॉर्ड्स का मैदान हमेशा से अपनी गौरवशाली और विराट क्रिकेट संस्कृति के लिए जाना जाता है शायद इसीलिए इसे क्रिकेट के मक्का के नाम से भी जाना जाता है। परंतु कालांतर में कुछ बुद्धिजीवी और तथाकथित उदारवादी इसे अपने स्वार्थ और मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए सचमुच में ‘मक्का और मदीना’ के रूप में परिवर्तित कर रहे हैं।
दरअसल, 21 अप्रैल, 2022 इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) के लिए एक woke दिवस था। इसी दिन अंग्रेजी बोर्ड ने रमजान के मौके पर लंदन के लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में पहली इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। इसमें कई पूर्व और वर्तमान दिग्गज महिला और पुरुष क्रिकेटरों ने भी भाग लिया। पार्टी का आयोजन ईसीबी के आईटी हेल्पडेस्क की मैनेजर तमिना हुसैन ने किया था। इफ्तार लॉर्ड्स लॉन्ग रूम में हुआ। इसके अंदर अज़ान थी और नमाज़ भी अदा की गई, जिसकी वीडियो ईसीबी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है।
इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में पहली बार इफ्तार कार्यक्रम की मेजबानी की। यॉर्कशायर क्रिकेट क्लब में अजीम रफीक के नस्लवाद कांड के बाद, ईसीबी एक तथाकथित सकारात्मक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है। रफीक भी इस कार्यक्रम में शामिल होने वालों में से एक थे। इस कार्यक्रम में कई हाई-प्रोफाइल गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया और इसकी मेजबानी कमेंटेटर आतिफ नवाज और तमीना हुसैन ने की। ईसीबी के इशारे की सराहना करने के लिए, पाकिस्तान के तेज गेंदबाज, शाहीन शाह अफरीदी ने ट्विटर पर लिखा कि “यह वास्तव में एक अविश्वसनीय कदम है और सभी को इसकी पूरी तरह से सराहना और स्वीकार करना चाहिए।”
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ध्यान देने वाली बात है कि यॉर्कशायर के पूर्व ऑलराउंडर अजीम रफीक ने आरोप लगाया था कि काउंटी क्लब में उनके दो कार्यकालों के दौरान खिलाड़ियों और कोचों द्वारा उन्हें नस्लवाद का शिकार बनाया गया था। इंग्लैंड के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी जो रूट, इयोन मोर्गन और मोइन अली ने क्रिकेट में नस्लवाद से निपटने के लिए ईसीबी का आह्वान किया और रफीक के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की। अज़ीम रफीक एक 30 वर्षीय पूर्व पेशेवर क्रिकेटर हैं, जिन्होंने मुख्य रूप से एक ऑफ स्पिनर के रूप में अपना करियर शुरू किया। उनका जन्म कराची में हुआ था लेकिन वर्ष 2001 में 10 साल की उम्र में वो इंग्लैंड चले गए थे।
हसन रसूल ने इफ्तार पार्टी में दी अज़ान
वहीं, कमेंटेटर तमिना हुसैन ने कहा, “मैं इस क्रिकेट हाउस में एक लंबा कमरा बनाना चाहती थी जहां हम इफ्तार का आयोजन कर सके। मैं बहुत आभारी हूं कि मैं इस अवसर पर यहां हूं।” इस मौके पर लॉर्ड्स में अजान भी रखी गई, जिसे हसन रसूल ने निभाया। रसूल ने कहा, “मैं इस दौरान प्राकृतिक और ऐतिहासिक चीजों का अनुभव करने में सक्षम था। लेकिन इससे भी ज्यादा, मैं उन सभी भावनाओं को समेटने में सक्षम था जो मानवता के साथ मौजूद थी।” इफ्तार पार्टी में इंग्लैंड के वनडे-टी20 कप्तान इयोन मोर्गन, पूर्व कप्तान ग्राहम गूच, लिडिया ग्रीनवे और महिला क्रिकेटर टैमी ब्यूमोंट भी शामिल हुए। मॉर्गन ने भी ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि बीती शाम अच्छी रही, पहली इफ्तार पार्टी लॉर्ड्स में हुई थी।
क्रिकेट केवल एक समुदाय विशेष का खेल नहीं
ईसीबी के सीईओ टॉम हैरिसन ने कहा, “यह शाम ऐतिहासिक है। आज की शाम ऐसी है जो क्रिकेट को प्यार से जोड़ती है। साथ ही यह एक दूसरे की संस्कृति को गहराई से जानने और एक दूसरे को समझने का उत्सव है।” इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड की यह स्वीकारोक्ति संपूर्ण क्रिकेट जगत के मन में खटास और विद्वेष पैदा कर सकती है। लोग यह सोचने के लिए अवश्य ही बाध्य होंगे कि अगर रमजान का आयोजन एक दूसरे की संस्कृति और सभ्यता को समझने के लिए किया जा रहा है तो यह पूर्ण रूप से एकतरफा क्यों है? क्या इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड को यह नहीं पता कि उसी समय हिंदू धर्म के पवित्रतम त्योहारों में से एक अक्षय तृतीया भी था। क्या कभी लॉर्ड्स का क्रिकेट ग्राउंड दिवाली, दशहरा या फिर होली के आयोजन का स्थल बना है? हम सभी को यह समझना होगा कि वह कौन से सार्वजनिक स्थान या फिर कृत्य हैं जो पूरी तरह से धर्म या फिर संप्रदाय निरपेक्ष होनी चाहिए, अन्यथा अन्य धर्म और समुदाय के लोग इसे एक उत्सव नहीं बल्कि भेदभाव का आयोजन समझेंगे। उनका यह समझना भी बिल्कुल जायज है क्योंकि क्रिकेट केवल एक समुदाय विशेष के लोग ही नहीं खेलते।
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