ज्यादातर भारतीय ‘डिजिटल रेप’ से अनजान हैं, इसके बारे में विस्तार से यहां समझिए

हाल ही में डिजिटल रेप के केस में नोएडा से एक 81 साल के शख्स को गिरफ्तार किया गया है।

Source: TV9 BharatVarsh

हाल ही में नोएडा पुलिस ने एक 81 साल के स्केच आर्टिस्ट को एक 17 साल की बच्ची के साथ लगभग सात सालों तक डिजिटल रेप करने के जुर्म में गिरफ्तार किया है. बच्ची का परिवार उस आदमी को काफी समय से जानता था और उन्होंने अपनी बेटी को उसके घर इसलिए भेजा था की उनकी बेटी शहर में रहकर पढ़ सके लेकिन तब से ही वह आदमी उसका योन शोषण करता रहा.

इंडियन पैनल कोड (IPC) के सेक्शन 376, 323, 506 के तहत मौरिस राइडर को रेप, चोट पहुँचाने और धमकी देने का आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया गया है।

डिजिटल रेप है क्या?

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठता है कि आखिरकार यह डिजिटल रेप है क्या? आज भी भारत में बड़ी जनसंख्या ऐसी है जो नहीं जानती कि डिजिटल रेप है क्या? सुनने में ऐसा लगता है जैसे मेटावर्स या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर किसी का शोषण करना हो लेकिन ऐसा नहीं है.

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‘Digital’ शब्द का इस्तेमाल उंगलियों, अंगूठे, और पैर की उंगलियों के लिए भी किया जाता है. ऐसे में जब कोई किसी महिला या लड़की की सहमति के बिना उंगलियों से उसका शारीरिक शोषण करने की कोशिश करता है तो उसे डिजिटल रेप कहा जाता है. इसको सरल शब्दों में ऐसे भी परिभाषित किया जा सकता है, रिप्रोडक्टिव आर्गन के अलावा किसी अंग या ऑब्जेक्ट जैसे उंगलियां, अंगूठा या किसी वस्तु का यूज करके जबरन सेक्स करना है। डिजिटल रेप है।

2012 तक डिजिटल रेप को छेड़छाड़ माना जाता था। इसको दो उदाहरणों से समझिए।

  1. मुंबई में दो साल की बच्ची को खून से लथपथ हॉस्पिटल लाया गया. जांच करने पर पता चला की उसकी योनि में जबरन कुछ डाला गया था. हालाँकि यौन उत्पीड़न का कोई संकेत नहीं था. लेकिन बाद में पता चला की उस बच्ची के पिता ने अपनी उंगलियां उसके शरीर में डाली थीं. उस आदमी को गिरफ्तार किया गया
  2. दिल्ली  में 60 वर्षीया महिला से ऑटो रिक्शा चालाक ने दुष्कर्म किया. अपने रिश्तेदार की शादी में आयी बुजुर्ग महिला के शरीर में लोहे की रोड डाली।  ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया गया लेकि आईपीसी की धरा 376 के तहत उसे दोषी नहीं ठहराया गया.

ये दो केस उन हज़ारों बलात्कार के केसों में से हैं जिन्होंने आईपीसी की धारा 376 की खामियों की ओक इशारा किया. इसके बाद 2012 में निर्भया सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद संसद में नए बलात्कार कानूनों को पारित किया गया और इस अधिनियम को यौन अपराध के रूप में वर्गीकृत किया गया.

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डिजिटल बलात्कार के लिए अधिनियम की सज़ा;

1 . दोषी साबित होने पर अपराधी को कम से कम पांच साल की जेल हो सकती है.

2. अदालत दस वर्ष या आजीवन कारावास का आदेश दे सकती है.

उपरोक्त सभी मामलों को और अपराधों को ध्यान में रखते हुए और मानते हुए कि ऐसे और भी तरीके हैं जिनका इस्तेमाल एक पुरुष किसी महिला या बच्चे की गरिमा भंग करने के लिए कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार की परिभाषा  और क़ानून में कुछ बदलाव किए हैं-

संशोधन 2013

निर्भया अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति की योनि, मूत्रमार्ग, मुँह या गुदा में लिंग का प्रवेश होने पर एक पुरुष को बलात्कारी कहा जाता है.

बलात्कार अब सहवास तक सीमित नहीं रह गया है. किसी व्यक्ति की योनि, मूत्रमार्ग, मुँह या गुदा में में किसी वास्तु या शरीर के किसी अंग को सम्मिलित करना, या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करने के लिए उसे मजबूर करना भी रेप कहलाता है.

डिजिटल रेप समेत बलात्कार के कई मामले सामने आए हैं जिनमें आमतौर पर कोई करीबी ही ऐसे कामों को अंजाम देता है. कई बार लोग डर, शर्मिंदगी के कारण रिपोर्ट नहीं करवाते हैं. बलात्कार कानूनों के बारे में जागरूकता भी बहुत जरूरी है. जागरुकता के अभाव में कई मामले दर्ज नहीं हो पाते.

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