अब COVID/OTT काल के पश्चात केवल Superhero या लगभग Superhero जैसी फिल्मों का ही बोलबाला होगा

बॉलीवुड अब रसातल की ओर अग्रसर है!

Superhero movies

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अगर हिन्दी फिल्म मार्केट के टॉप-3 फिल्मों के बारे में आप बात करें, तो वे कौन से होंगे? आपके दिमाग में दंगल, सुल्तान, टाइगर जिंदा है, वॉर जैसी फिल्में तुरंत कौंध जाएंगी। परंतु, जब आप वास्तविक आंकड़ों को देखने जाएंगे, तो पैरों तले जमीन खिसक जाएंगी, क्योंकि प्रथम दो स्थानों पर एक भी हिन्दी फिल्म नहीं है और न ही वे यथार्थ से कोई संबंध रखते हैं। हिन्दी फिल्म मार्केट में सबसे सफल फिल्मों में प्रथम दो स्थान है बाहुबली – द कन्क्लूशन और केजीएफ चैप्टर-2 का। बॉलीवुड की घिसी पिटी कहानियों से बोर हो चुके दर्शक अब एक तरह से इन्हें नकारने लगे हैं और उसका असर भी दिखने लगा है। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे पोस्ट COVID/OTT युग के पश्चात अब सुपरहीरो या लगभग सुपरहीरो जैसी फिल्में ही आने वाले कुछ समय तक बॉक्स ऑफिस पर अपना प्रभाव जमाएगी।

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देश में हो चुकी है मसाला सिनेमा की धमाकेदार वापसी

पिछले कुछ महीनों में भारतीय बॉक्स ऑफिस की सबसे प्रभावशाली और सफल फिल्मों की सूची पर नजर डालिए। अगर कोविड के प्रभाव के बाद भारत में सफल फिल्मों की बात करें, तो भारतीय बॉक्स ऑफिस में ‘सूर्यवंशी’, ‘पुष्पा’, ‘रौद्रम रणम रुधिरम’, ‘KGF – चैप्टर 2’ जैसी फिल्मों ने जमकर पैसा कमाया। इनमें ‘RRR’ और ‘KGF’ ने तो बॉक्स ऑफिस के अनेकों रिकॉर्ड तोड़ते हुए 1000 करोड़ से अधिक कमाए और ऐसा पहली बार हुआ कि एक के बाद एक दो फिल्मों ने 1000 करोड़ से अधिक का वैश्विक कलेक्शन बॉक्स ऑफिस पर किया हो, जिसमें से 250 करोड़ से अधिक तो केवल हिन्दी बॉक्स ऑफिस से ही आए। KGF का तूफान तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है और उसका सबसे बड़ा प्रमाण इसी बात में है कि उसने तीन बड़ी फिल्में ‘Jersey’, ‘Heropanti 2’ और यहां तक कि ‘Runway 34’ को बॉक्स ऑफिस की लड़ाई में पटक पटक कर धोया है।

परंतु इसका सुपरहीरो या लगभग सुपरहीरो फिल्मों से क्या नाता? ये सभी फिल्में नॉर्मल तो कतई नहीं है और यथार्थवाद से लगभग परे हैं। यूं कहिए तो ‘Larger Than Life’, मारधाड़ से भरपूर, मसाला सिनेमा की धमाकेदार वापसी हुई है और हॉलीवुड के सुपरहीरो फिल्में इस बात को प्रमाणित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। यदि ऐसा नहीं है, तो फिर क्या कारण है कि ‘Spider Man – No Way Home’ और ‘Doctor Strange in the Multiverse of Madness’ के लिए लोग पागलों की तरह थियेटर के पीछे भाग रहे हैं?

अब फिल्म चलाने के लिए नाम नहीं बेहतर कंटेंट चाहिए

अगर आप ध्यान से विश्लेषण करे, तो आप ये भी देखेंगे कि ऐसी फिल्मों को टक्कर भी वही दे पा रहे हैं, जो उस श्रेणी के हों। ‘Spider Man’ को टक्कर देने के लिए ‘83’ से बॉलीवुड के दर्शकों को बहुत आशा थी, लेकिन उसका अंत क्या हुआ, हम सभी जानते हैं। परंतु जिस ‘पुष्पा’ से किसी को आशा न थी, उसने न केवल ‘Spider Man’ तक को टक्कर दी, अपितु ‘83’ तक के कलेक्शन में सेंध लगाई, क्योंकि एक तो ये फिल्म लार्जर दैन लाइफ थी और ऊपर से मसाला सिनेमा का भरपूर तड़का था, जो दर्शकों को अपनी ओर खींचने में कामयाब रही।

इसीलिए जो फिल्म इन फार्मूला पर नहीं चली, वो औंधे मुंह गिरी और बॉलीवुड की अधिकतर फिल्में भी इसी कारण से बॉक्स ऑफिस पर मुंह के बल गिरी, चाहे वो ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ हो या फिर ‘बच्चन पाण्डेय’। बॉक्स ऑफिस कितना निर्दयी हो सकता है, ये इस बात से पता चलता है कि प्रभास जैसे प्रभावशाली अभिनेता की ‘राधे श्याम’ तक बॉक्स ऑफिस पर अपने मूल बजट को रिकवर नहीं कर पाई।

लेकिन इन सबमें अगर कोई अपवाद था तो वह था ‘द कश्मीर फाइल्स’। इस फिल्म को केवल 600 स्क्रीन पर प्रदर्शित किया गया था और इस फिल्म से किसी को कोई आशा नहीं थी। लेकिन जनसमर्थन और अपने कंटेंट के दम पर इस फिल्म का ऐसा तूफान आया कि इसने अकेले भारत से 250 करोड़ से अधिक कमाए और संयोगवश ये उसी दिन प्रदर्शित हुई जिस दिन ‘राधे श्याम’ सिनेमाघरों में आई थी। ऐसे में स्थिति तो स्पष्ट है – जिस लार्जर दैन लाइफ सिनेमा/सुपरहीरो सिनेमा को लोगों ने चलता कर दिया था, उसने Post COVID/OTT युग के पश्चात सिनेमाघरों में धमाकेदार वापसी की है। इसका सबसे बड़े प्रमाण RRR और KGF चैप्टर 2 की अप्रत्याशित सफलता में है,जो अभी रुकने का नाम ही ले रही है और अभी तो ये खेल प्रारंभ ही हुआ है।

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