विदेश में भारत विरोधी बयार बहा रहे थे राहुल गांधी लेकिन ‘जयशंकर डोज़’ ने तहलका मचा दिया

जयशंकर ने राहुल के बयानों का बताशा बना दिया!

Rahul Gandhi

Source- TFIPOST

कांग्रेस ने अपने चिंतन शिविर के जरिए ये दिखाने का प्रयास किया था कि राहुल गांधी जल्द ही ‘भारत जोड़ों’ अभियान पर निकलने वाले हैं। लेकिन ‘कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय’ में जिस प्रकार राहुल बाबा ज्ञान बांचते फिर रहे थे, उससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वो ‘भारत जोड़ो’ कम और ‘भारत तोड़ो’ अभियान पर निकले थे। राहुल गांधी ने विदेशी मंच से भारत को अपमानित करने का जी तोड़ प्रयास किया लेकिन विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने भारतीयों की ओर से उनके बयानों का बताशा बना दिया और उन्हें दिन में तारे दिखा दिए।

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राहुल गांधी को मिला करारा जवाब

हाल ही में ‘आइडिया फॉर इंडिया’ के नाम से कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने एक सम्मेलन आयोजित कराया, जो एक सम्मेलन कम और विपक्षी सांसदों का सम्मेलन अधिक प्रतीत हो रहा था, जिन्होंने इस मंच का उपयोग करते हुए मोदी सरकार के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप किया। राहुल गांधी ने लद्दाख और डोकलाम की तुलना यूक्रेन के साथ की। इसके साथ ही विदेशी धरती पर बैठकर, विदेशी लोगों के कार्यक्रम में शामिल होकर राहुल गांधी ने कहा कि आज भारत के लोकतंत्र की स्थिति अच्छी नहीं है। भाजपा ने पूरे देश में केरोसिन छिड़क दिया है। एक चिंगारी और हम सब एक बड़े संकट में पहुंच जाएंगे। परंतु राहुल बाबा इतने पर ही नहीं रुके। महोदय ने यह भी दावा किया कि “यूरोप में नौकरशाहों ने बताया कि भारतीय विदेश सेवा बिल्कुल बदल गई है। वो अहंकारी हो गए हैं और किसी की सुनते नहीं है। अब वो सिर्फ लोगों को ऑर्डर देते हैं, कोई बातचीत नहीं होती है, वो ऐसा नहीं कर सकते।”

साफ और स्पष्ट शब्दों में कहें तो राहुल गांधी को ये बात बिल्कुल नहीं पच रही है कि अब भारत भी अपनी बात रखने में सक्षम है, औपनिवेशिक मानसिकता को ठेंगा दिखाता है और नेहरुवादी विचारधारा का अब भारत में कोई स्थान नहीं है। इसी बात को परिलक्षित करते हुए विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने हाल ही में ट्वीट किया और लिखा, “हाँ, अब चीजें बदल गई हैं। भारतीय विदेश सेवा बदल गई है और वो सरकार के ऑर्डर को फॉलो करते हैं। वे दूसरों के तर्कों का विरोध करते हैं। इसे अहंकारी नहीं बल्कि इसे आत्मविश्वास और राष्ट्रहित की रक्षा कहा जाता है” –

भारत पर ‘बकलोली’ करने वालों की जमकर बजाता है!

शायद राहुल गांधी ये भूल रहे हैं कि अब भारत वो नहीं रहा, जो गांधी परिवार के एक आदेश पर नतमस्तक हो जाएगा और अमेरिका अथवा किसी भी पश्चिमी देश का आदेश सर आंखों पर रखेगा। इसका प्रमाण सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने लगभग एक माह पूर्व ही दे दिया था, जब भारत द्वारा रूस-यूक्रेन विवाद के बाद भी रूस से तेल खरीदने के मामले पर उन्होंने पाश्चात्य जगत को खरी खोटी सुनाते हुए कहा था कि “ये बड़ा ही दिलचस्प है, हमने देखा है कि इस मुद्दे पर यह एक अभियान (हमारे खिलाफ) जैसा दिखता है। जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो मुझे लगता है कि देशों के लिए मार्केट जाना और ये देखना कि उसके लोगों के लिए क्या सही है, यह देखना स्वाभाविक है। मुझे पूरा यकीन है कि अगर हम दो या तीन महीने तक इंतजार करेंगे तो देखेंगे कि वास्तव में रूसी तेल और गैस के बड़े खरीददार कौन हैं। मुझे इस बात का संदेह है कि हम उस लिस्ट में टॉप 10 में भी नहीं होंगे।” ऐसे में यदि राहुल गांधी या उनके समर्थकों को लगता है कि वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के माध्यम से भारत की जनता को दिग्भ्रमित करेंगे, तो वे भूल जाएं, क्योंकि ये नया भारत है। ये न किसी फिरंगी का अनर्गल प्रलाप सुनेगा और न ही उनकी जयजयकार करने वाले भारतीय चाटुकारों को सहेगा।

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