जब से देश में मोदी सरकार ने सत्ता संभाला है तब से भारत की कायाकल्प ही बदल गई है। भारत आज कृषि से लेकर हर एक आर्थिक मोर्चे पर आगे बढ़ रहा है। देश में असंख्यक कृषि नेता है पर आज के परिदृश्य में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में ऐसा कमल हुआ है जिससे हम यह साफ़ कह सकते हैं की पियूष गोयल ही देश के सच्चे किसान नेता है।
दरअसल पीयूष गोयल के नेतृत्व वाली वाणिज्य मंत्रालय की किसान-समर्थक नीतियों की बदौलत भारत कृषि निर्यात में लगातार आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, इस सीजन में भारत का चीनी निर्यात 2017-2018 चीनी सीजन की तुलना में 15 गुना अधिक रहा है। जबकि देश ने वर्ष 2017-2018 में केवल 6.2 एलएमटी निर्यात किया था, इस वर्ष अनुबंध के रूप में 15 गुना उछाल देखा जा रहा है, 90 एलएमटी के निर्यात पर हस्ताक्षर किए गए हैं और लगभग 75 एलएमटी पहले ही निर्यात किया जा चुका है।
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मोदी सरकार का मुख्य उद्देश्य किसानों के कल्याण
आपको बतादें कि चीनी निर्यात की सुविधा के लिए सरकार ने चीनी मिलों को 14,456 करोड़ रुपये और बफर स्टॉक बनाए रखने के लिए लगभग 2000 करोड़ रुपये की लागत के रूप में जारी किया। साथ ही गन्ना किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार ने पिछले 8 वर्षों में गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) में 31% की वृद्धि की है।
आज भारत अतिरिक्त चीनी का उत्पादन कर रहा है जिससे गन्ने की कीमतें बहुत कम हो सकती हैं और गन्ना किसानों की स्थिति खराब हो सकती है। इसी कारण से, सरकार चीनी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सुलभ नीतियां तैयार कर रही है। वहीं केंद्र सरकार ने 2022 तक 10% इथेनॉल मिश्रण और 2025 तक 20% मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है। सरकार ने पिछले 8 वर्षों में इथेनॉल उत्पादन क्षमता 421 करोड़ लीटर से बढ़कर 867 करोड़ लीटर कर दिया है। 2014 से, चीनी मिलों और डिस्टिलरी ने ओएमसी को इथेनॉल की बिक्री से 64000 करोड़ रुपये कमाए हैं।
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राकेश टिकैत और पीयूष गोयल
कृषि कानून को लेकर आंदोलन के मुख्य चेहरा कोई था तो वह थे राकेश टिकैत। उन्होंने अपनी उलझी बातों के दम पर खुद को देश के सबसे बड़े किसान नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश की। देश के भोले भाले किसानों को भ्रम करके किसान आंदोलन करवाया लेकिन बाद में वो किसान जान गए की टिकैत ने उनका राजनीतिक शिकार किया है। आज टिकैत की वो हालत है की कृषि संगठन भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने उन्हें संघ से बाहर कर दिया। वहीँ वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल चुपचाप काम कर रहे हैं और हमारे कृषि निर्यात को बढ़ावा देने और हमारे किसानों को मजबूत करने के लिए सभी बाधाओं को दूर कर रहे हैं। वह किसानों को केंद्र में रखते हुए व्यापार सौदों पर हस्ताक्षर करने के लिए अपने विदेशी समकक्षों के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं
भारत बहुत लंबे समय से एक कृषि अर्थव्यवस्था रहा है और भारत में कई बड़े किसान नेता उभरे हैं। लेकिन दुख की बात है कि किसानों की कुछ वास्तविक चिंताओं का राजनीतिक लाभ केवल धोखेबाज ही उठा रहे हैं। लेकिन पीयूष गोयल ने जिस तरह से देश की कृषि व्यवस्था को आगे बढ़ाया है उससे उनका नागरिक अभिनन्दन किया जाना चाहिए।
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