‘बक्कल उतारने वाले’ टिकैत बंधुओं को BKU ने संगठन से निकाल फेंका

टिकैत बंधु की राजनीतिक दुकान हुई बंद !

Rakesh Tikait

Source- TFIPOST।in

भारत में कृषि कानून को लेकर पिछले कुछ महीनों में बहुत बवाल मचा था। इस बवाल की जो सबसे बड़ी उपज थी वो कृषि कानून को लेकर किसान नेताओं को बरगलाने की और इस कृषि कानून में नाकारत्मक एजेंडा फ़ैलाने में जो नाम सबसे पहले पंक्ति में आगे आया वो था राकेश टिकैत।  इन्होनें ही कृषि कानून को लेकर खूब अफवाह फैलाया और ग्रामीण किसानों को आंदोलन करने के लिए मजबूर कर दिया था । लेकिन कहते हैं न की अफवाहों से कब तक किसी को बरगलाया जा सकता है। धीरे -धीरे उन किसानों को सच पता चल गया की उनका टिकैत बंधू द्वारा राजनीतिक शिकार किया गया है।

टिकैत की सच्चाई सामने आने के बाद अब भारतीय किसान यूनियन दो फाड़ में हो चुका है। आपको बतादें कि भारतीय किसान यूनियन ने रविवार को तथाकथित किसान नेता राकेश टिकैत को निष्कासित कर दिया। राकेश टिकैत के अलावा, उनके भाई नरेश टिकैत को भी बीकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। किसान नेताओं ने टिकैतों पर ‘राजनीति खेलने’ और ‘राजनीतिक दल’ के हित में काम करने’ का आरोप लगाया है।

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इसलिए बनाया गया अलग संगठन 

टिकैत को हटाने के साथ ही साथ, संगठन, जो लगभग एक साल तक तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान के विरोध का नेतृत्व करने के लिए जिम्मेदार था। वहीं टिकैत भाइयों को हटाने के बाद किसान नेता राजेश सिंह चौहान ने नरेश टिकैत की जगह ली है और उन्हें नए बीकेयू (अराजनीतिक) प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया है। किसान नेता राजेश सिंह चौहान ने शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, टिप्पणी की और एकीकृत भारतीय किसान संघ बनाने में बहुत मेहनत की गई थी।

जिसे किसानों के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया था। हालांकि, टिकैत के तहत संगठन एक ‘राजनीतिक क्षेत्र’ में बदल रहा था। यह कहते हुए कि किसान संगठन किसी भी ‘राजनीतिक दल’ के लिए काम नहीं करेगा, नेता ने एक नए गुट ‘भारतीय किसान संघ (अराजनीतिक)’ के गठन की घोषणा की।

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टिकैत की नेतागिरी

आपको ज्ञात हो की उत्तर प्रदेश चुनाव के समय टिकैत ने कहा था कि उन्होंने तो अपने मत का इस्तेमाल किया, लेकिन यहां बीजेपी वालों की बहुत सी वोटों को कोको ले जाती देखी गई है। उस समय कोको को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी। दरअसल कोको असल में बाज पक्षी की एक छोटी नस्ल होती है जिसे पश्चिमी यूपी में बच्चों को बहलाने, फुसलाने के लिए इसका जिक्र किया जाता है।

राकेश टिकैत पर बहुत बार राजनीतिक प्रचार का आरोप लगा था। राकेश टिकैत कभी बंगाल चुनाव में तृणमूल के लिए प्रचार करते दिखे तो कभी वो जयंत चौधरी के प्रचारक के रूप में। इसी बात से भारतीय किसान यूनियन में विवाद पैदा हो गया और अब टिकैत को संगठन से बाहर निकालने के बाद टिकैत की नेतागिरी भी ‘कोको’ ले कर चली गई है।

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