आखिर शहबाज शरीफ ने दिखा ही दिया अपना असली रंग

अरे ये तो देश बदलने आए थे जी !

Shahbaaz shareef

Source- Google

शहबाज शरीफ कौन है? आप कहेंगे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री। पर, ऐसा नहीं है। वो पाकिस्तानी सेना के संसदीय प्रशासनिक अधिकारी हैं। पाकिस्तानी सेना वैसे तो इस संसदीय प्रशासनिक अधिकारी के लोकतांत्रिक माध्यम से चुने जाने का ढोंग करती है। पर, वास्तविकता तो यह है कि ये नियुक्त होते हैं और अपनी नवनियुक्ति के पश्चात ही शहबाज शरीफ ने अपनी सार्थकता सिद्ध कर दी।

बीते दिनों अल जज़ीरा के वेस्ट बैंक में पत्रकार शिरीन अबू अकलेह की मौत हो गयी। अल जज़ीरा ने इसके लिए इजरायली सेना को जिम्मेदार ठहराया है। शिरीन की मौत के बाद से दुनिया भर के लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं और इस्राइली सेना पर सवाल उठा रहे हैं। इसी बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी अपने मालिक को दिखा दिया है की वो भी भौंक सकते हैं। भले ही भौकने का कोई तुक न बनता हो पर, भौंक सकते ही हैं। इसीलिए उन्होंने इस मामले में भारत को जबरन घसीटा है। हालांकि, इसके बाद पाकिस्तान की जनता ने उल्टे शहबाज पर ही निशाना साधा है।

और पढ़ें: ‘आतंक की फैक्ट्री’ पाकिस्तान में पढ़ाई करने वालों को भारत में नहीं मिलेगी नौकरी

शहबाज शरीफ ने एक ट्वीट में कहा कि अल-जज़ीरा से जुड़े पत्रकारों को इजरायली सेना ने मार डाला। शिरीन की हत्या की हम कड़ी निंदा करते हैं। यह फिलिस्तीन और भारत के कब्जे वाले कश्मीर में इजरायल की रणनीति का हिस्सा है।

बलूचिस्तान के लोग

शहबाज के इस ट्विट से न सिर्फ बलोची लोग बल्कि पाकिस्तानी लोग भी नाराज हैं। हकीम बलूच नाम के एक व्यक्ति ने ट्वीट किया कि क्या शहबाज शरीफ अपने अगले ट्वीट में पाकिस्तानी सेना द्वारा लक्षित बलूच पत्रकारों के अपहरण, यातना और हत्या की भी निंदा करेंगे क्योंकि वह बलूचिस्तान में उत्पीड़ित लोगों की कहानियां बता रहे थे?

शहबाज शरीफ को कहा गया धोखेबाज

कुछ लोगों ने ट्वीट किया है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ धोखा हुआ है। लोगों ने कहा कि कुछ घंटे पहले आपने भारत के साथ व्यापार की अनुमति दी थी और अब आप भारत को निशाना बना रहे हैं। आप कब तक पाकिस्तान की आम जनता को बेवकूफ बनाते रहेंगे? क्या डर्टी गेम्स की कोई सीमा होती है?

पाकिस्तान हमेशा से एक कन्फ्यूज्ड नेशन रहा है। पाकिस्तान में इसी कन्फ्यूजन की वजह से हमेशा द्विराष्ट्र के सिद्धांत सैद्धांतिक तौर पर पलते रहते हैं। सेना के सत्ता के केंद्र बिंदु होने के नाते पाकिस्तान की वास्तविक तौर पर दो विदेश नीति दो रक्षा नीति दो राष्ट्र संचालन नीति और दो व्यापार नीति है। शायद इसीलिए हर प्रधानमंत्री सत्ता के शीर्ष पर तभी बैठता है जब वह भारत के खिलाफ दुराग्रह का भाव रखें और अगर ऐसा भाव उसके मन में नहीं है तो भी उसे समय-समय पर अपने बयानों के माध्यम से इसे प्रदर्शित करते रहना होगा अन्यथा पाकिस्तानी सेना और अपने लोगों के समक्ष वह अपनी प्रासंगिकता खो देगा। शहबाज शरीफ भी अभी इसी संकट से जूझ रहे हैं। इमरान खान भी इसी संकट से जूझ रहे थे और पाकिस्तान का आने वाला हर प्रधानमंत्री और राष्ट्राध्यक्ष इसी संकट से जूझता रहेगा जब तक पाकिस्तान टूट नहीं जाता।

और पढ़ें: 300 अरब नहीं चुकाए तो पाकिस्तान की बत्ती गुल कर देंगे, ‘लाल बादशाह’ की पाकिस्तान को अंतिम चेतावनी

Exit mobile version