महाराष्ट्र की ‘ममता बनर्जी’ बनने की राह पर शरद पवार

महाराष्ट्र में जो भी पवार के विरुद्ध बोलता है उसे पीट दिया जाता है या जेल में ठूंस दिया जाता है।

Sharad Pawar-Mamata Banerjee

Source: India tv

सत्ता की सनक और कुर्सी की धमक नेता को क्रूर शासक बनाने में मिनट नहीं लगाती। 60 साल के लंबे राजनीतिक सफर के बाद अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार का हाल भी इन दिनों कुछ ऐसा ही हो गया है। बीते दिनों में कई ऐसी प्रत्यक्ष घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें उन लोगों को प्रताड़ित किया गया जिन्होंने शरद पवार की आलोचना की थी. कई मामलों में शरद पवार की आलोचना करने वालों को महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया तो वहीं कई मामलों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आलोचना करने वालों को बुरी तरह से पीटा।

खुद को लोकतांत्रिक मूल्यों का संरक्षक बताने वाले शरद पवार अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में एक बात तो बिल्कुल साफ है कि लोकतंत्र पर, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ज्ञान देना तो बहुत आसान है लेकिन उसका पालन करना आसान नहीं है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी भी ऐसा ही करती हैं।

सोशल मीडिया पर लिखा तो गिरफ्तारी

पश्चिम बंगाल में कोई भी ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के विरुद्ध अगर बोलता है तो उसकी शामत आ जाती है। पश्चिमी बंगाल में कितनी ही घटनाएं ऐसी हुईं हैं जो हमें दिखाती हैं कि वहां एक तरह से आपातकाल लगा है। ऐसे में अब अगर कहा जाए कि शरद पवार, ममता बनर्जी बनने की राह पर हैं तो यह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

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दरअसल, हाल ही में कई ऐसे घटनाक्रम हुए जब शरद पवार के विरुद्ध अपना गुस्सा प्रकट करने के लिए लोगों ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। सोशल मीडिया पर लोगों ने शरद पवार के विरोध में लिखा। उनकी आलोचना की। बस, इतना होना था कि उन लोगों के विरुद्ध कार्रवाई शुरु हो गई।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के आरोप में नासिक जिले के एक 21 वर्षीय फार्मेसी छात्र को गिरफ्तार किया गया। 11 मई को शाम करीब 7 बजे निखिल भामरे ने कथित तौर पर पवार के खिलाफ अपने ट्विटर अकाउंट पर एक कमेंट पोस्ट किया। उन्होंने मराठी में ट्वीट किया, “बारामती के गांधी का समय आ गया है. बारामती के नाथूराम गोडसे को बनाने का।” चूंकि पवार महाराष्ट्र के बारामती के रहने वाले हैं ये साफ़ होता है कि यहाँ शायद उन्हीं की बात की जा रही हो।

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इसके बाद ‘शरद पवार गैंग’ सक्रिय हो गया। हीन भावना के तहत की गई कार्रवाई में राकांपा नेता और राज्य के आवास मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने उस ट्वीट को अपने ट्विटर अकाउंट पर फ्लैग करते हुए महाराष्ट्र पुलिस से कार्रवाई करने की अपील की।

नासिक में डिंडोरी पुलिस ने भामरे को नासिक शहर में उसके किराए के आवास से गिरफ्तार कर लिया। डिंडोरी निवासी भामरे किसान परिवार से ताल्लुक रखता है और पढ़ाई के लिए नासिक में था। उसका पूर्व में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था।

अभिनेत्री केतकी चिताले गिरफ्तार

इसके बाद एक और बड़ा मामला सामने आया। मराठी अभिनेत्री केतकी चिताले ने सोशल मीडिया पर शरद पवार को लेकर एक पोस्ट री-शेयर की। बस, इसी पोस्ट को लेकर मराठी अभिनेत्री केतकी चिताले को महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया और तीन दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया।

ऐसी तमाम घटनाएं महाराष्ट्र में आए दिनों देखने को मिल रही हैं जिनमें शरद पवार को लेकर कोई भी कुछ भी बोलता है तो एनसीपी और अघाड़ी सरकार के नेता बौखलाने लगते हैं। इसके बाद बिलबिलाते हुए वो आलोचना करने वाले शख्स के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करते हैं और उद्धव ठाकरे की पुलिस इसमें बिल्कुल भी देरी नहीं करती।

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शरद पवार के विरोध में लिखने पर आम जनता के विरुद्ध कार्रवाई हो रही है। अभिनेत्री के विरुद्ध भी कार्रवाई हो रही है। इसके साथ विपक्षी पार्टियों के नेता भी अगर शरद पवार के विरुद्ध कुछ बोलते हैं तो उनके विरुद्ध भी एनसीपी हिंसक हो जा रही है।

बीजेपी नेता की पिटाई

एक घटना का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रहा है। वीडियो में एक बुजुर्ग भाजपा नेता को NCP के कार्यकर्ता थप्पड़ मार रहे हैं। इसके पीछे कारण वही पुराना है शरद पवार के विरुद्ध बोलना। भाजपा प्रवक्ता विनायक आंबेकर को एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को पार्टी प्रमुख शरद पवार के विरुद्ध सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने को लेकर थप्पड़ मारा था।

हमले का एक वीडियो राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किए जाने के बाद वायरल हो गया। “महाराष्ट्र प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता विनायक आंबेकर पर एनसीपी के गुंडों ने किया हमला। मैं भाजपा की ओर से इस हमले की कड़ी निंदा करता हूं। इन राकांपा गुंडों से तुरंत निपटा जाना चाहिए!”

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यह लिबरल-सेक्युलर सरकारों का वो दोगला चरित्र है जिसे उन्होंने स्वयं ही उजागर किया है। हाल ही में असम पुलिस ने गुजरात से कांग्रेसी नेता और विधायक जिग्नेश मेवानी को गिरफ्तार किया तो इन्हीं विपक्षी पार्टियों ने विधवा-विलाप शुरू कर दिया था। उस वक्त चीख-चीखकर पूरी लिबरल लॉबी कह रही थी कि अभिव्यक्ति की आज़ादी ख़त्म हो गई। आपातकाल लग गया। तानाशाही आ गई। और दूसरी तरफ महाराष्ट्र में जो रहा है, उस पर लिब्रांडुओं के मुंह से एक शब्द नहीं निकलेगा।

‘ममता बनर्जी’ बनने की राह पर पवार

ऐसे में अगर यह कहा जाए कि शरद पवार, पश्चिम बंगाल की ‘खूनी खेला होबे’ की जननी ममता बनर्जी की राह पर चल चुके हैं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में भी अगर कोई बीजेपी कार्यकर्ता या फिर आम आदमी ममता बनर्जी की आलोचना करता है तो उसे भी टीएमसी गुंडों की मार खानी पड़ती है या फिर जेल जाना पड़ता है।

बंगाल में तो कई बीजेपी कार्यकर्ताओं को मौत के घाट तक उतार दिया गया। इन दोनों नेताओं में एक और समानता है। पवार और ममता दोनों एक ही सपने के उपासक हैं, सपना है प्रधानमंत्री बनने का और सहिष्णुता के नाम पर शून्य, ऐसे में अगर यह कहा जाए कि पीएम बनने का इनका सपना बस सपना ही रहेगा तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

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