सोनू सूद थाली में छेद करने वाला वही शख्स है जिसके बारे में जया बच्चन ने हमें चेतावनी दी थी

छेदी! तुमसे यही उम्मीद किए थे!

Source: TFI

हाल ही में सोनू सूद ने इंडियन एक्सप्रेस को एक लंबे चौड़े साक्षात्कार में दक्षिण भारतीय उद्योग के साथ अपने अनुभव के बारे में बताते हुए कहा, “मैं अपनी स्क्रिप्टस का चयन बहुत सोच-समझकर करता हूं। चाहे वह हिन्दी हो, तमिल हो या तेलुगु। दक्षिण भारतीय उद्योग ने मुझे सदैव घटिया हिन्दी फिल्में करने से बचाया है। अन्यथा एक ऐसा समय आ जाता है जब आप केवल एक बड़ी फिल्म में काम करने हेतु काम कर रहे हैं और साउथ में ऐसा नहीं होता।”

सोनू सूद के इस बयान के मायने यह हैं कि जब समाज सेवा में स्कोप नहीं दिखा तो अब बहुभाषीय सिनेमा उद्योग की चाकरी करने में जुट गए। आप दबंग के छेदी सिंह के रूप में फेमस हुए थे कि किसी दक्षिण भारतीय फिल्म ने आपको विश्वप्रसिद्ध बनाया? आप बाहुबली हो या अल्लू अर्जुन कि आप झुकोगे ही नहीं? जिस फिल्म उद्योग के कारण आज सोनू सूद किसी योग्य हैं- जिस फिल्म उद्योग के कारण सोनू सूद का आज नाम है- उसी भाषा, उसी उद्योग को दुलत्ती मारने में उन्हे तनिक भी लज्जा नहीं आती।

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परंतु हम भूल जाते हैं कि सोनू सूद कौन हैं। ये वही सोनू सूद हैं जो समाजसेवा पर कर चोरी से लेकर ठगी और जालसाजी तक में आरोपित हैं। ये वही सोनू सूद हैं, जिन्होंने कोविड के समय चैरिटी के नाम पर खूब ढिंढोरा पीटा, परंतु उनके काले धंधों पर कम ही लोगों का ध्यान गया। उदाहरण के लिए 2021 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई स्थित कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दीकी, अभिनेता सोनू सूद की चैरिटी फाउंडेशन और कुछ अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

सोनू सूद के फाउंडेशन ने नोटिस का जवाब देते हुए लिखा, “उन्होंने केवल कुछ मामलों में दवाईयों की लागत का भुगतान किया है, जबकि कुछ मामलों में दवाएं उन्हें मुफ्त में मिली हैं। इतना ही नहीं वे निर्माताओं के संपर्क में हैं।”

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जब बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने सुना कि सोनू सूद का फाउंडेशन निर्माताओं के संपर्क में है, तब वे तिलमिला गए और महाराष्ट्र सरकार के अधिवक्ता से कहा,” क्या आपके अधिकारी इस उत्तर को स्वीकार कर सकते हैं? क्या यह विश्वसनीय है?”

सच कहें तो सोनू सूद ने जाने-अनजाने जया बच्चन के उस कथन को परिभाषित किया है, जहां महोदया ने ‘थाली में छेद’ करने वालों से सचेत रहने को कहा था। उनका तरीका और बोलचाल अवश्य गलत थी पर संकेत बिल्कुल सटीक था क्योंकि जब तक सोनू सूद जैसे ‘थाली में छेद’ करने वाले व्यक्ति रहेंगे हिन्दी फिल्म उद्योग की यूं ही दुर्गति होती रहेगी।

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